अपना स्नेह, यूं ही उधार रहने दे।
वजनी है तेरी देनदारी , मगर मुझे देनदार रहने दे।
तेरे नेह से सराबोर मेरे दिन और रात,
हर खुशी रहे तेरे दामन में, गम मुझी में रहने दे।
खो सा गया बचपन, मगर वादे चाहतों के जवां रहने दे।
आलिंगन का वंदन मेरी ही यादों में रहने दे।
दिन बदले बदलती गयीं सालें, मौसम बदलें हर बार,
सिकुड़ती सी मेरी जिंदगी में अपनी दुआओं को जिंदाबाद रहने दे।
मुहब्बत की रेत पर बना गयीं जो घर
उसमें यूं ही गुनगुनी धूप सुबह से शाम रहने दे।
टीवी जग्गी, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा
Latest posts by Special Correspondent (see all)
- डॉ. भानु प्रताप सिंह, डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा को हिंदी गौरव और राजे को इतिहास शिरोमणि सम्मान - April 24, 2025
- आगरा में कवि शीलेंद्र वशिष्ठ और वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर भानु प्रताप सिंह समेत 10 विभूतियां सम्मानित - March 23, 2025
- हिंदी से न्याय अभियान: देशभर से अब तक पौने दो करोड़ हस्ताक्षर - September 28, 2024