किशोरी को देवस्थान में ले जाकर किया दुष्कर्म

किशोरी को देवस्थान में ले जाकर किया दुष्कर्म, दबंग ने विरोध करने पर किशोरी के परिजनों को पीटा

घर के आंगन में सो रही थी किशोरी, दबंग ने किशोरी के परिजनों को किया लहूलुहान Agra (Uttar Pradesh, India). जनपद के थाना मलपुरा क्षेत्र के एक गांव में दबंग युवक ने सोमवार रात को दुस्साहिक वारदात को अंजाम दे दिया। दबंग घर में सो रही किशोरी को जबरदस्ती उठ़ा ले गया। देवस्थान की बाउड्री […]

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गांव-गांव पहुंच रहा किसान आंदोलन, जला रहे कोरे पन्ने, निकाल रहे ट्रैक्टर रैली

Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। किसान आंदोलन चर्चा के सहारे परवान चढ रहा है। किसान कृषि कानूनों पर विरोध दर्ज कराने के लिए बिल की प्रतियों के नाम पर बच्चों की रफ और कोरी कॉपी के पन्ने जला रहे हैं। ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं। किसानों में सांसद हेमा मालिनी के बायन को लेकर भी […]

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डूबे इस कदर शवाब ए इश्क में सुबह होने का गुमान न था

वक्त को समेटना इतना आसां न था, फारिग होने की फुर्सत ही न थी। डूबे इस कदर शबाब ए इश्क में सुबह होने का गुमान न था। गमों की यारी खुशियों की अदावत  अदला-बदली का गर हुनर पास होता। क़जा बेशक है तू मगर ज़िक्र ए जिंदगी में क़ायम है इबादत की जगह। सदियों की […]

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वजनी है तेरी देनदारी , मगर मुझे देनदार रहने दे

अपना स्नेह, यूं ही उधार रहने दे। वजनी है तेरी देनदारी , मगर मुझे देनदार रहने दे। तेरे नेह से सराबोर मेरे दिन और रात, हर खुशी रहे तेरे दामन में, गम मुझी में रहने दे। खो सा गया बचपन, मगर  वादे चाहतों के जवां रहने दे। आलिंगन का वंदन मेरी ही यादों में रहने […]

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तेरी बेवफाई का नशा भी क्या कम है…

ख्वाबों की दुनियां में ख्वाहिशों के नजराने हैं कराहटों के बोझ, आह के अफसाने हैं, रहमतों की वारगाह में जन्नतों के ठिकाने हैं।  तसव्वुर तेरी पलकों के तीर ए नजर उम्र भर को पाए हैं, इस आंगन के दरख्त पर आस्मां से ज्यादा कुहासे छाए हैं। पंखुड़ियों से लिपटी शबनम ने नागों के आगोश पाए […]

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बापू की छोटी सी आमदनी में बड़े काम कर गयीं अम्मा…

बड़ी फिक्र में आसमानी हो गयीं अम्मा। अश्कों की चादर ओढ़कर सुकून से सो गई अम्मा। टूटती सांसों में आंखों के आइने से, मुझी को निहारती गयीं अम्मा। घर की सलामती में सुबह और शाम इबादत में दामन फैलाती रहीं अम्मा। बापू की छोटी सी आमदनी में बड़े काम कर गयीं अम्मा।         बड़े से घर […]

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टीवी जग्गी की ये कविता जरूर पढ़िए

मजबूरियों के मुसाफिर जिंदगी के सफर में, फांके के दिनों में लम्बी सी डगर पैदल ही नपेगी, वीरान पड़ रही बस्ती काम हो गये बंद. उखड़ गया है ठेल ढकेल का संग, गुमराह शहर की रौनक भूल गई है रंग. याद आ रहा फिर से वो मेरा अपनों वाला गांव, आपाधापी खूब मची है, चलने […]

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