ख्वाबों की दुनियां में
ख्वाहिशों के नजराने हैं
कराहटों के बोझ, आह के अफसाने हैं,
रहमतों की वारगाह में जन्नतों के ठिकाने हैं।
तसव्वुर तेरी पलकों के तीर ए नजर उम्र भर को पाए हैं,
इस आंगन के दरख्त पर आस्मां से ज्यादा कुहासे छाए हैं।
पंखुड़ियों से लिपटी शबनम ने नागों के आगोश पाए हैं,
भंवरे तो बस फूलों की महक में खिंचे चले आए हैं।
तेरी मशरूफियत जमाने की, मगर एक नजर शिकवों से मुस्कुराती
हसरतों में नजदीक आ जाती।
अगर तुम साथ होते यकीनन रोशनी के मंजर जुदा न होते
तिजारत की मंडी में नुकसान कम नफा ज्यादा होते।
सदका ही सही तेरा अहसान क्या कम है,
तेरी बेवफाई का नशा भी क्या कम है।
टीवी जग्गी, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा
Latest posts by Special Correspondent (see all)
- स्वच्छता में चमका आगरा का नाम, आगरा विकास मंच ने किया महापौर एवं नगर आयुक्त का सम्मान - July 23, 2025
- “एक पेड़ माँ के नाम” — जयपुरिया कॉलोनी आगरा में सिंहवाहिनी संस्था ने किया वृक्षारोपण का भावपूर्ण आयोजन - July 19, 2025
- ब्रजभाषा काव्य मंच ने आगरा में पूर्वजों की स्मृति में लगाए पौधे, प्रकृति रक्षा का संकल्प - July 17, 2025