टीवी जग्गी की ये कविता जरूर पढ़िए

मजबूरियों के मुसाफिर जिंदगी के सफर में, फांके के दिनों में लम्बी सी डगर पैदल ही नपेगी, वीरान पड़ रही बस्ती काम हो गये बंद. उखड़ गया है ठेल ढकेल का संग, गुमराह शहर की रौनक भूल गई है रंग. याद आ रहा फिर से वो मेरा अपनों वाला गांव, आपाधापी खूब मची है, चलने … Continue reading टीवी जग्गी की ये कविता जरूर पढ़िए