तेरी बेवफाई का नशा भी क्या कम है…

तेरी बेवफाई का नशा भी क्या कम है…

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ख्वाबों की दुनियां में

ख्वाहिशों के नजराने हैं

कराहटों के बोझ, आह के अफसाने हैं,

रहमतों की वारगाह में जन्नतों के ठिकाने हैं।

 तसव्वुर तेरी पलकों के तीर ए नजर उम्र भर को पाए हैं,

इस आंगन के दरख्त पर आस्मां से ज्यादा कुहासे छाए हैं।

पंखुड़ियों से लिपटी शबनम ने नागों के आगोश पाए हैं,

भंवरे तो बस फूलों की महक में खिंचे चले आए हैं।

तेरी मशरूफियत जमाने की, मगर एक नजर शिकवों से मुस्कुराती

हसरतों में नजदीक आ जाती।

अगर तुम साथ होते यकीनन रोशनी के मंजर जुदा न होते

 तिजारत की मंडी में नुकसान कम नफा ज्यादा होते।

 सदका ही सही तेरा अहसान क्या कम है,

तेरी बेवफाई का नशा भी क्या कम है।

टीवी जग्गी, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा

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