ख्वाबों की दुनियां में
ख्वाहिशों के नजराने हैं
कराहटों के बोझ, आह के अफसाने हैं,
रहमतों की वारगाह में जन्नतों के ठिकाने हैं।
तसव्वुर तेरी पलकों के तीर ए नजर उम्र भर को पाए हैं,
इस आंगन के दरख्त पर आस्मां से ज्यादा कुहासे छाए हैं।
पंखुड़ियों से लिपटी शबनम ने नागों के आगोश पाए हैं,
भंवरे तो बस फूलों की महक में खिंचे चले आए हैं।
तेरी मशरूफियत जमाने की, मगर एक नजर शिकवों से मुस्कुराती
हसरतों में नजदीक आ जाती।
अगर तुम साथ होते यकीनन रोशनी के मंजर जुदा न होते
तिजारत की मंडी में नुकसान कम नफा ज्यादा होते।
सदका ही सही तेरा अहसान क्या कम है,
तेरी बेवफाई का नशा भी क्या कम है।
टीवी जग्गी, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा
Latest posts by Special Correspondent (see all)
- हिंदी से न्याय अभियान: देशभर से अब तक पौने दो करोड़ हस्ताक्षर - September 28, 2024
- अंतरराष्ट्रीय ताजरंग महोत्सव में नौ हस्तियों को नवरत्न सम्मान, यहां देखें पूरी सूची - September 22, 2024
- अंतरराष्ट्रीय ताज रंग महोत्सव में देश-विदेश से आए रंगकर्मी जमा रहे रंग, चाहिए आपका संग, आज अंतिम दिन - September 22, 2024