बापू की छोटी सी आमदनी में बड़े काम कर गयीं अम्मा…

बापू की छोटी सी आमदनी में बड़े काम कर गयीं अम्मा…

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बड़ी फिक्र में आसमानी हो गयीं अम्मा।

अश्कों की चादर ओढ़कर सुकून से सो गई अम्मा।

टूटती सांसों में आंखों के आइने से, मुझी को निहारती गयीं अम्मा।

घर की सलामती में सुबह और शाम इबादत में दामन फैलाती रहीं अम्मा।

बापू की छोटी सी आमदनी में बड़े काम कर गयीं अम्मा।        

बड़े से घर में सबको दिल में समा ले गयीं अम्मा।

घर आंगन को खूब जतन से सजा गयीं अम्मा।                             

छत की मुड़ेर पर मुहब्बत का बड़ा सा चिराग जला गयीं अम्मा।               

रिश्तों को अहसास की डोर से बांध गयीं अम्मा।

मुख्तसर सी पढ़ाई में इंसानियत का गहरा पाठ पढ़ा गयीं अम्मा। 

टीवी जग्गी, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा

1 thought on “बापू की छोटी सी आमदनी में बड़े काम कर गयीं अम्मा…

  1. बहतरीन अलफ़ाजो को पिराया हैमानो किसी हुनर बंद शिल्पकार ने बड़ी बरीकी से नक्काशी कि हो एक एक line बहुत खूबसूरत सर ✍️

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