Mother’s Day Special  ब्रह्मकला जैनः बच्चों को पालने के लिए एक किया दिन और रैन

Mother’s Day Special ब्रह्मकला जैनः बच्चों को पालने के लिए एक किया दिन और रैन

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चाहे बसो पहाड़ पर या फूलों के गांव, मां के आंचल से अधिक शीतल कहीं न छांव

Agra (Uttar Pradesh, India)। मां सुनते ही मन श्रद्धा से ओत-प्रोत हो जाता है। मां से हम रूठते हैं तो वह हमें तरह-तरह से मनाती है। हमारे साथ अनहोनी हो तो मां का आंचल भीग जाता है। मां को हर घटना का पूर्वाभास हो जाता है, क्योंकि मां के अवचेतन मस्तिष्क में भी संतान की चिन्ता होती है। मां अपना पेट काटकर अपने बच्चों को पालती है। मां ही है जो सदैव हमारे सुख की आकांक्षा करती है। मां हमारी त्रुटियों को अंतःकरण के साथ क्षमा करती है। वास्तव में इस धरा पर मां जैसा धीर और गंभीर कोई नहीं है।
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संघर्ष की कहानी

ऐसी ही थी हमारी मां श्रीमती ब्रह्म कला जैन। जब हम किशोरवय के थे, हमारे पिता का देहांत हो गया। तब हम मोतीकटरा, आगरा में रहते थे। विषम परिस्थितियां थीं। हर ओर से संकट था। मां ने जिजीविषा के साथ इन संकटों का सामना किया। वे मां के साथ पिता भी बन गईं। छोटे से छोटा काम किया। हम तीन भाइयों को पढ़ाया और इस लायक बनाया कि समाज के लिए कुछ कर सकें। हम वे दिन और मां के संघर्ष को कभी विस्मृत नहीं कर सकते हैं। स्व. अशोक जैन सीए ने उन अभावग्रस्त दिनों को याद रखते हुए सेवा कार्य शुरू किए, जो आगे भी चलते रहेंगे। 20 अगस्त, 2019 को मां का देहावसान हो गया। मां ने परिवार को माला की तरह एक सूत्र में पिरोकर रखा। मां ने हमें संवेदनशील बनाया। उन्हीं की कृपा है कि हम आज भी संयुक्त परिवार में रहते हैं। हमारी रसोई भी एक ही है।

ब्रह्मकला जैन

कोरोना काल में भी मुस्कान

इस बार मदर्स डे पर कोविड-19 का संकट है। मां की हिम्मत देखिए कि संकटकाल में भी बच्चों को जन्म दे रही हैं। उन्हें एक ही चिन्ता है कि बच्चा कोरोना सकारात्मक न हो। निजी अस्पताल बंद हैं तो क्या हुआ, सरकारी अस्पताल तो हैं। वहां तमाम अव्यवस्थाओं और स्टाफ की निष्ठुरता के बीच भी जन्मदात्री के मुख पर मुस्कान है। इतनी सहनशीलता सिर्फ मां हो सकती है। श्रमिक माताएं बच्चों को गोद में लेकर लम्बा रास्ता पैदल तय कर रही हैं। लॉकडाउन में माताएं अपने बच्चों को खुश रखने के लिए तरह-तरह के व्यंजन बना रही हैं। खुद का जीवन संकट में डालकर माताएं परिवार चला रही हैं।
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मां को कष्ट मत देना

मदर्स डे हम अपनी मां के साथ दुनिया की सभी माताओं को नमन करते हैं। सभी पुत्र-पुत्रियों से प्रार्थना करते हैं कि कुछ भी हो जाए, मां को कष्ट मत देना। मां है, इसीलिए हम हैं। गीतकार नीरज जी के शब्दों में – चाहे बसो पहाड़ पर या फूलों के गांव, मां के आंचल से अधिक शीतल कहीं न छांव।

राजकुमार जैन, अध्यक्ष आगरा विकास मंच

सुनील कुमार जैन, संयोजक, आगरा विकास मंच

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