जरा ज़ुल्फें हटाओ चाँद का दीदार मैं कर लूँ !
वस्ल की रात है तुमसे जरा सा प्यार मैं कर लूँ !!
बड़ी शोखी लिए बैठा हूँ यूँ तो अपने दामन में !
इजाजत हो अगर तो इनको हदके पार मैं करलूँ!!
मुआलिज है तू दर्दे दिल का ये अग़यार कहते हैं!
हरीमे यार में खुद को जरा बीमार मैं कर लूँ !!
यूँ ही बैठे रहें इकदूजे के आगोश में शबभर !
जमाना देख ना पाये कोई दीवार मैं कर लूँ !!
तुझे लेकर के बाहों में लब-ए-शीरीं को मैं चूमूँ !
कि होके बेगरज़ ये इक नहीं सौ बार मैं कर लूँ!!
दानिस्ता दिल जला के यूँ तेरा पर्दानशीं होना !
है तीर-ए-नीमकश इसको जिगर के पार मैं कर लूँ !!
रक्षिता सिंह (दीपू), उझानी, बदायूं
Latest posts by Special Correspondent (see all)
- रिटायर्ड प्रोफेसर ने बिल्डर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई - September 13, 2024
- वृंदावन के रंगनाथ मंदिर में होगा प्रसिद्ध लट्ठ का मेला, तैयारियां शुरू - August 8, 2023
- Love Jihad in Agra विवाहित जफर अली ने राहुल गुप्ता बन हिंदू महिला को प्रेम जाल में फँसाया, 5.10 लाख रुपये वापस मांगे तो धर्म परिवर्तन कर नमाज पढ़ने का दबाव, शाहगंज पुलिस ने जेल भेजा - July 27, 2023