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वैज्ञानिकों ने कहा- Corona का टीका 2020 के अंत तक बनेगा, बताई उपचार की पद्धति

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जीव वैज्ञानिकों के लिए चुनौती और अवसर है कोविड-19

Agra university के वेबिनार में दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने भाग लिया

Agra (Uttar Pradesh, India)। दुनियाभर के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 का टीका 2020 के अंत तक बन पाएगा। तब तक बचाव ही सर्वोत्तम उपाय है। यह भी कहा कि इंटीग्रेटेड चिकित्सा पद्धति से कोरोनावायरस के संक्रमण का उपचार किया जा सकता है। ये बातें डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (आगरा विश्वविद्यालय) में ‘माइक्रोबायोलॉजी एवं बायोटेक्नोलॉजी कोरोना के समय इनका योगदान’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में की गईं। बेविनार का आज अंतिम दिन था।

 बचाव ही सर्वोत्तम उपचार

देश के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर डीएस चौहान ने अपने संबोधन में  सूक्ष्म जीव वैज्ञानिकों द्वारा कोरोनावायरस विषाणु के उपचार हेतु अनुसंधान में सुरक्षात्मक उपायों पर प्रमुख जोर दिया गया। प्रयोगशाला में अपनाए जाने वाले बायोसेफ्टी नियमों की विस्तृत जानकारी दी । आम जनमानस को  मास्क, सेनीटाइजिंग (sanitizing) व फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए क्योंकि जब तक इसकी वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो जाती तब तक इससे बचाव ही इसका सर्वोत्तम उपचार है।

 दो लाख परीक्षण रोज कर सकेंगे

डॉक्टर हीरावती देवाल विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला गोरखपुर ने इस महामारी के संक्रमण के विस्तार पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हम अल्प समय में देश में इस संक्रमण की टेस्टिंग में सफल हुए हैं। आज देश की लगभग 260 प्रयोगशाला में इसकी टेस्टिंग संभव है परंतु जिस प्रकार इसके संक्रमण की दर में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है उसी हिसाब से टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने के  प्रयास किए जा रहे हैं, जल्दी ही हम 200000 टेस्ट रोजाना करने में सक्षम हो जाएंगे।

2020 के अंत तक बन पाएगा टीका

प्रोफेसर राम लखन सिंह, अयोध्या ने बताया- सूक्ष्म जीव वैज्ञानिकों द्वारा 2020 के अंत तक इस विषाणु का टीका निर्माण की संभावना है। यह विषाणु अपनी संरचना में बदलाव बहुत जल्दी नहीं ला पा रहा है, इसलिए इसके ऊपर अनुसंधान कोई मुश्किल कार्य नहीं है। Hydroxychloroquine इस इस संक्रमण के उपचार में बहुत कारगर है। इस विषय में बोलते हुए डॉ. प्रवीण केंद्रेकर साउथ अफ्रीका ने बताया इस दवाई द्वारा विश्व के लोगों का उपचार किया जा रहा है एवं भारत इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहा है।   डॉ यश गुप्ता Loyola university e Chicago America ने इस संक्रमण के उपचार हेतु इंटीग्रेटेड चिकित्सा पद्धति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में इस पद्धति का प्रयोग बहुतायत में किया जा रहा है। डॉक्टर राजा भट्टाचार्य अमेरिका ने बताया कि दिमागी उपचार में प्रयुक्त की जाने वाली दवाइयां भी इस संक्रमण के निदान में उपयोगी सिद्ध हुई हैं। उन दवाइयों में थोड़ा बहुत बदलाव करके इस संक्रमण के उपचार हेतु प्रभावी दवाई का निर्माण किया जा सकता है।

विश्व भर के संस्थानों के साथ समन्वय करेगा विवि

आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल ने अपने संबोधन में  कहा विश्वविद्यालय विश्व भर के संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित कर जल्द ही अपने उच्च शिखर को छू लेगा। उन्होंने वेबिनार में भाग लेने हेतु वैज्ञानिकों व प्रतिभागियों का विशेष आभार प्रकट किया। उन्होंने इस सफल अंतरराष्ट्रीय व्यापार के आयोजन पर स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज की पूरी टीम को विशेष रूप से बधाई दी। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन की प्रस्तुति समन्वयक प्रोफेसर डॉ. आशा अग्रवाल द्वारा की गई। 

इन्होंने दिए व्याख्यान

इस में भाग लेते हुए देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर डी एस चौहान नेशनल इंस्टीट्यूट जालमा, प्रोफेसर राम लखन सिंह, राम मनोहर लोहिया विश्व विद्यालय अयोध्या, डॉक्टर हीरावती देवाल, विषाणु प्रयोगशाला गोरखपुर, डॉ यश गुप्ता लोयला यूनिवर्सिटी, शिकागो अमेरिका, डॉक्टर राजा भट्टाचार्य हावर्ड मेडिकल स्कूल अमेरिका, डॉ. प्रवीण केंद्रेकर साउथ अफ्रीका ने आज अपने व्याख्यान दिए। डॉ. रजनीश अग्निहोत्री स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज आगरा द्वारा प्रथम सत्र की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। डॉ. अंकुर गुप्ता व डॉ. अवनीश कुमार द्वारा वेबिनार का संयोजन किया गया।

2500 पंजीकरण हुए 

आयोजन  सचिव डॉ. सुरभि महाजन व डॉ. मोनिका अस्थाना ने बताया कि इस वेबिनार में भाग लेने हेतु प्रतिभागियों ने गजब का उत्साह दिखाया। ढाई हजार रजिस्ट्रेशन हुए।  डॉक्टर महाजन ने इस सफल आयोजन के लिए कुलपति प्रो. अशोक मित्तल, डॉ. वीके सारस्वत, निदेशक आईईटी, नमन गर्ग व उनकी टीम, अधिष्ठाता स्कूल ऑफ लाइफ साइंस प्रोफेसर पीके सिंह, प्रोफेसर भूपेंद्र स्वरूप शर्मा, डॉ. अंकुर गुप्ता, डॉ. अवनीश कुमार, डॉक्टर उदिता तिवारी को इस वेबिनार के सफल आयोजन का श्रेय दिया।