Kheragarh assembly

UP Election 2022: 92- खेरागढ़ विधानसभा सीटः मनमौजी हैं यहां के वोटर, दिग्गजों को भी धूल चटा चुके हैं

Election POLITICS REGIONAL

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में खेरागढ़ विधानसभा क्षेत्र को ठाकुर बहुल माना जाता है। ब्राह्मणों की संख्या भी ठीकठाक है। दोनों जातियों के वोटर मिलकर किसी को भी हरा और जिता सकते हैं। खेरागढ़ के वोटरों की मन की कोई नहीं जान सका है। वोटर चुनाव में अपने मन की करते हैं। राजनीतिक के धुरंधरों को भी चुनाव हरा चुके हैं। कृष्णदत्त पालीवाल ने निर्दलीय चुनाव जीतकर इतिहास ही रच दिया था। राजनीतिक विश्लेषक अनुमान ही लगाते रह जाते हैं। वोटरों के मन की तो यह है कि रानी पक्षालिका सिंह को भी हरा चुके हैं। इस समय भाजपा के महेश कुमार गोयल विधायक हैं। पार्टी ने उनका टिकट काटकर बसपा के पूर्व विधायक भगवान सिंह कुशवाह को टिकट दिया है। उनका पार्टी में विरोध हो रहा है। भाजपा नेता रहे दिगम्बर सिंह धाकरे ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। इससे लड़ाई रोचक हो गई है।

आजादी के बाद पहले चुनाव में 1952 में कांग्रेस के जगन प्रसाद रावत ने यह सीट हासिल की। उनके मुकाबले में थे निर्दलीय ठा. हाकिम सिंह। 1957 में वोटरों ने रुख बदला। निर्दलीय कृष्णदत्त पालीवाल को विजयी बनाया। पालीवाल ने कांग्रेस के जगन प्रसाद रावत को हराया। पालीवाल की जीत चौंकाने वाली थी। 1962 में वोटरों ने फिर अपने मन की। कांग्रेस के जगन प्रसाद रावत को जिताया। स्वतंत्र पार्टी के तेज सिंह धाकरे को पराजित किया। 1967 के चुनाव में जगन प्रसाद रावत ने एक बार फिर जीत हासिल की। जनसंघ के प्रत्याशी ठा. भीमसेन परमार मुख्य मुकाबले में रहे। 1969 का चुनाव भी कांग्रेस के लिए खुशियां लेकर आया। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जगन प्रसाद रावत ने भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशी कृष्ण प्रसाद रावत को दस हजार से भी अधिक मतों से हराया। जगन प्रसाद रावत चौथी बार विधानसभा में पहुंचे। कांग्रेस ने 1974 में जगन प्रसाद रावत को फिर से टिकट दिया। कांग्रेस (एस) के प्रत्याशी शिवप्रकाश गुप्ता के हाथ बाजी लगी। वे करीब सात हजार मतों से जीते।

1977 में देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था। जनता पार्टी ने चौधरी चरण सिंह के दामाद गुरुदत्त सिंह सोलंकी को टिकट दिया। उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी बहादुर सिंह से हुआ। सोलंकी करीब 15 हजार मतों से जीते। 1980 में कांग्रेस ने मंडलेश्वर सिंह को टिकट दिया। उनकी जीत भी हुई। उनके मुकाबले में चार बार विधायक और मंत्री रहे जगन प्रसाद रावत की पुत्री सरोज गौरिहार (कांग्रेस एस) थीं।  वे चुनाव हार गईं। 1985 में कांग्रेस ने बहादुर सिंह को टिकट दिया। उन्होंने लोकदल के प्रत्याशी ओमप्रकाश कुशवाहा को 20 हजार से भी अधिक वोटों से हराया।

1989 के चुनाव में मंडलेश्वर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी। वे जनता दल में आ गए। जनता दल ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और जीत हासिल की। कांग्रेस के कैलाशचंद मित्तल चुनाव हार गए। रामलहर के चलते 1991 में भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल गोयल ने मंडलेश्वर सिंह को पराजित कर दिया। 1993 के चुनाव में फिर से स्थितियां बदलीं। मंडलेश्वर सिंह को कांग्रेस ने टिकट दिया। उन्होंने भाजपा के बाबूलाल गोयल को पराजित कर अपनी हार का बदला लिया। 1996 में कांग्रेस ने मंडलेश्वर सिंह को फिर से चुनाव लड़ने का मौका दिया। तब कांग्रेस और बसपा साथ-साथ थे। भाजपा ने इलाहाबाद से आए जगदीश चंद्र दीक्षित को टिकट दिया। मंडलेश्वर सिंह मात्र 800 मतों से विजयी हुए। भाजपाइयों को इस हार का मलाल हमेशा रहेगा। बाद में प्रदेश में सरकार बनाने के लिए हुए दलबदल में मंडलेश्वर सिंह ने लोकतांत्रिक कांग्रेस का दामन थाम लिया। पुरस्कार के रूप में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

2002 के चुनाव में भाजपा के रमेशकांत लवानिया ने विजयश्री हासिल की। कांग्रेस के मंडलेश्वर सिंह, बसपा के अमर सिंह परमार और सपा के रामेंद्र सिंह परमार चुनाव हार गए। लवानिया की मृत्यु के बाद खेरागढ़ में 2005 में उपचुनाव हुआ। रालोद-सपा गठबंधन में रालोद प्रत्याशी अमर सिंह परमार जीते। भाजपा के हरद्वार दुबे की हार हुई।

2007 में बसपा के भगवान सिंह कुशवाह ने चमत्कारिक रूप से जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर रहे भाजपा के केशव दीक्षित।

2012 के चुनाव में सपा से पक्षालिका सिंह, भाजपा से अमर सिंह परमार, बसपा से भगवान सिंह कुशवाह, रालोद से उमेश सैंथियां, जनक्रांति पार्टी से देवेंद्र सिंह भोलू मैदान में थे। जीत हासिल हुई भगवान सिंह कुशवाहा को।

इस सीट पर कुल 3 लाख 26 हजार वोटर्स हैं। इस क्षेत्र में क्षत्रिय (75 हजार), ब्राह्मण (50 हजार) मजबूत स्थिति में हैं। इसके बाद वैश्य (35 हजार), कुशवाहा (35 हजार), जाटव (36 हजार), जाट (26 हजार), मुस्लिम (18 हजार) और गुर्जर (12 हजार) के आसपास हैं। खेरागढ़ में मुख्यतः खेत होती है। ग्वाल बाबा का मंदिर प्रमुख है।

 

खेरागढ़ः 2017 का चुनाव परिणाम

महेश कुमार गोयल भाजपा 93,510

भगवान सिंह कुशवाह बसपा 61,511

कुसुमलता दीक्षित कांग्रेस 23,088

 

खेरागढ़ः 2012 का चुनाव परिणाम

2012 में बीएसपी के भगवान सिंह कुशवाहा ने समाजवादी पार्टी की रानी पक्षलिका सिंह को हराया था। रालोद के उमेश चंद सैंथिया तीसरे, जबकि बीजेपी के अमर सिंह चौथे स्थान पर रहे थे। कुशवाहा को कुल 69533 वोट मिले थे। दूसरे नम्बर पर समाजवादी (सपा) की रानी पक्षलिका सिंह रही थीं। उन्हें कुल 62427 वोट मिले थे।

 

2022 के चुनाव में मतदाता

पुरुष मतदाता 177093

महिला मतदाता 2149833

किन्नर मतदाता 07

कुल मतदाता 326933

 

पांच साल में बढ़े मतदाता

पुरुष 8465

महिला 9161

कुल 17620

 

18-19 साल के नए मतदाता

3739

 


मतदान की तारीख: गुरुवार, 10 फरवरी 2022

मतगणना की तारीख: गुरुवार, 10 मार्च 2022

 

 

अब तक का चुनाव परिणाम

वर्ष    विजेता प्रत्याशी

1952    जगन प्रसाद रावत (कांग्रेस)

1957    कृष्णदत्त पालीवाल (निर्दलीय)

1962    जगन प्रसाद रावत (कांग्रेस)

1967    जगन प्रसाद रावत (कांग्रेस)

1969    जगन प्रसाद रावत (कांग्रेस)

1974    शिवप्रकाश गुप्ता (कांग्रेस-एस)

1977    गुरुदत्त सिंह सोलंकी (जनता पार्टी)

1980    मंडलेश्वर सिंह (कांग्रेस)

1985    बहादुर सिंह (कांग्रेस)

1989    मंडलेश्वर सिंह (जनता दल)

1991    बाबूलाल गोयल (भाजपा)

1993    मंडलेश्वर सिंह (कांग्रेस)

1996    मंडलेश्वर सिंह (कांग्रेस)

2002    रमेशकांत लवानिया (भाजपा)

2005    अमर सिंह परमार (रालोद)

2007    भगवान सिंह कुशवाहा (बसपा)

2012 भगवान सिंह कुशवाहा (बसपा)

2017 महेश गोयल (भाजपा)

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Dr. Bhanu Pratap Singh