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UP Election 2022: 87-आगरा छावनी (सुरक्षित): डॉ. कौशल के नाम जीत तो रमेशकांत लवानिया के नाम हार का रिकॉर्ड, कभी नहीं जीती सपा, तीन बार चला दलित-मुस्लिम एकता का दांव

Election POLITICS REGIONAL

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में आगरा छावनी विधानसभा क्षेत्र की पृष्ठभूमि बड़ी रोचक है। यहां से कांग्रेस के डॉ. कृष्णवीर सिंह कौशल ने जीत का रिकॉर्ड बनाया तो भाजपा के रमेशकांत लवानिया ने हार का। यहां से जीते तीन प्रत्याशी राज्य सरकार में मंत्री भी रहे हैं। कभी यह सीट भाजपा का मजबूत गढ़ थी। फिर बसपा की गढ़ रही। फिर से भाजपा ने कब्जा कर लिया है।hF नए परिसीमन के तहत छावनी सीट अब सुरक्षित है। यहां से डॉ. जीएस धर्मेश विधायक हैं, जिन्हें पार्टी ने 2022 के चुनाव में  फिर  से प्रत्याशी बनाया है। बसपा के पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। समाजवादी पार्टी को अब तक इस सीट पर कभी भी सफलता नहीं मिली है।

वर्ष 1952 में कांग्रेस के टिकट पर सीबी महाजन ने चुनाव जीता। उनके मुकाबले में जनसंघ प्रत्याशी थे। 1957 में कांग्रेस ने देवकी नंदन विभव को प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जनसंघ को हराया। 1962 में दलित-मुस्लिम एकता का नारा दिया गया। रिपब्लिकन पार्टी ने स्थानीय मुस्लिम नेताओं से समझौता किया और खेमचंद्र गौतम को प्रत्याशी बनाया। कांग्रेस प्रत्याशी देवकी नंदन विभव को पराजय का मुंह देखना पड़ा। 1967 में कांग्रेस ने हरिहरनाथ अग्रवाल को टिकट दिया। जनसंघ प्रत्याशी राजकुमार सामा को हार का मुंह देखना पड़ा। 1969 में कांग्रेस ने देवकी नंदन विभव पर दांव लगाया और वे जीते।

1974 में कांग्रेस ने डॉ. कृष्णवीर सिंह कौशल को टिकट दिया। उन्होंने जनसंघ प्रत्याशी रमेश कांत लवानिया को पराजित किया। डॉ. कौशल ने जीत का जो सिलसिला शुरू किया, वह अगले चुनावों तक जारी रहा। 1977 की जनता लहर में भी डॉ. कौशल ने शानदार जीत दर्ज की। 1980 और 1985 में भी डॉ. कौशल ने यह सीट कांग्रेस की झोली में डाली। उनके सामने हर बार रमेशकांत लवानिया हारते रहे। हर चुनाव में डॉ. कौशल की जीत का अंतर घटता रहा। 1985 में जनसंघ के स्थान पर भाजपा अस्तित्व में आ गई। 1985 के चुनाव में परिणाम को लेकर विवाद भी हुआ। भाजपाइयों ने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया था। डॉ. कौशल दो बार कैबिनेट मंत्री रहे।

लगातार चार बार की हार का बदला भाजपा ने 1989 में चुकाया। 1989 में विधानसभा चुनाव से पहले रमेशकांत लवानिया मेयर बन चुके थे। भाजपा ने उनके स्थान पर हरद्वार दुबे को टिकट दिया। तेज-तर्रार दुबे ने भाजपा का खाता खोल दिया। कांग्रेस के डॉ. कौशल चुनाव हार गए। 1991 के चुनाव में छावनी के वोटरों ने एक बार फिर से भाजपा को पसंद किया। हरद्वार दुबे फिर से विधायक बन गए। इस बार उनका मुकाबला जनता दल के प्रत्याशी शिवचरन लाल मानव से हुआ। कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. कौशल काफी पिछड़ गए। दूसरी बार की जीत से खुश तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने हरद्वार दुबे को राज्यमंत्री बना दिया।

1993 के चुनाव में भाजपा ने रमेशकांत लवानिया को मौका दिया। कांग्रेस ने हाजी जमीलुद्दीन कुरैशी को मैदान में उतारा। डॉ. कौशल को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। इससे वे नाराज हो गए। उन्होंने सपा का दामन थाम लिया। सपा ने उन्हें प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। सपा-बसपा में चुनावी तालमेल के बाद भी डॉ. कौशल हार गए। भाजपा के रमेशकांत लवानिया विजयी रहे। लवानिया ने इस तरह पहली बार लगातार हार का बदला लिया।

1996 के चुनाव में भाजपा का टिकट हासिल करने के लिए मारामारी मच गई। बड़े-बड़े दिग्गज लाइन में थे। पार्टी ने केशो मेहरा को पसंद किया। चुनाव में कांग्रेस और बसपा साथ-साथ थे। यह सीट बसपा के खाते में गई। बसपा ने हाजी इस्लाम कुरैशी को टिकट दिया। दलित मुस्लिम एकता का नारा दिया गया, लेकिन 1962 का यह प्रयोग सफल नहीं हो सका। सपा ने गजेंद्र सिंह को टिकट दिया। बाजी हाथ लगी भाजपा के केशो मेहरा के।

2002 के चुनाव में भाजपा ने फि र से केशो मेहरा को टिकट दिया। भितरघात के चलते वे चुनाव हार गए। बसपा प्रत्याशी चौधरी बशीर को विजयश्री मिली। बसपा को पहली बार सफलता मिली। उन्हें मंत्री भी बनाया गया। बाद में बशीर सपा में चले गए। आजकल वे कांग्रेस में हैं और आगरा दक्षिण से टिकट के दावेदार हैं।

2007 में बसपा ने जुल्फिकार अहमद भुट्टो को टिकट दिया। दलित- मुस्लिम एकता का नारा फिर चला। भुट्टो ने छावनी में बसपा का परचम फहराया। चौधरी बशीर सपा से प्रत्याशी थे लेकिन वे सफल न हो सके।

2012 में बसपा के गुटियारीलाल ने भाजपा के डॉ. जीएस धर्मेश को पराजित किया। 1996 के बाद 2017 में भाजपा ने बसपा ने यह सीट छीन ली।

 

जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो यहां करीब 78 हजार वोट जाटवों के हैं। वाल्मीकि समाज के 40 हजार मतदाता, ब्राह्मण समाज के 35 हजार, राठौर वोटरों की संख्या करीब 40 हजार है। मुस्लिम मतदाता करीब 30 हजार हैं। यादव और जाट वोटरों की संख्या यहां 15-15 हजार बतायी जा रही है। इसके अलावा सिंधी और पंजाब मतदाताओं की संख्या करीब 25 हजार है।

 

2022 में मतदाता

पुरुष मतदाता 252153

महिला मतदाता 201103

किन्नर मतदाता 25

कुल मतदाता 462281

 

पांच साल में बढ़े मतदाता

पुरुष 17362

महिला 17870

कुल 35241

 

18-19 साल के नए मतदाता

4316


मतदान की तारीख: गुरुवार, 10 फरवरी 2022

मतगणना की तारीख: गुरुवार, 10 मार्च 2022

 

आगरा छावनी विधानसभा चुनाव वर्ष 2012

पार्टी  प्रत्याशी  वोट

बहुजन समाज पार्टी  गुटियारी लाल दुवेश  67,786

भारतीय जनता पार्टी  गिरराज सिंह धर्मेंश  61,371

समाजवादी पार्टी  चंद्र सेन टपलू  44,684

इस अंतर को देखते हुए कहा जा रहा है कि इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी की राह 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आसान नहीं होगी। पिछले चुनाव में सपा इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही थी। सपा और बसपा के वोटों में अंतर भी बहुत ज्यादा नहीं था।  इस सीट पर मौजूदा समय में विधायक डॉ. गिरराज सिंह धर्मेश हैं।

 

आगरा छावनी विधानसभा चुनाव वर्ष 2017

 

कुल निर्वाचक 427,525

कुल मतदान 252,816

मतदान प्रतिशत 59.13%

विजेता के वोट 1,13,178

वोट प्रतिशत 44.77%

जीत का अंतर 46,325

मार्जिन प्रतिशत 18.32%

पार्टी  प्रत्याशी  वोट

भारतीय जनता पार्टी  गिरराज सिंह धर्मेंश  1,13,178

बहुजन समाज पार्टी  गुटियारी लाल दुवेश  66,853

समाजवादी पार्टी  ममता टपलू  64,683

 

वर्ष          विजयी

1952    सीबी महाजन (कांग्रेस)

1957    देवकी नंदन विभव (कांग्रेस)

1962    खेमचंद गौतम (आरपीआई)

1967    हरिहरनाथ अग्रवाल (कांग्रेस)Þ

1969    देवकी नंदन विभव (कांग्रेस)

1974    डॉ. कृष्णवीर सिंह कौशल (कांग्रेस)

1977    डॉ. कृष्णवीर सिंह कौशल (कांग्रेस)

1980    डॉ. कृष्णवीर सिंह कौशल कांग्रेस)

1985    डॉ. कृष्णवीर सिंह कौशल (कांग्रेस)

1989    हरद्वार दुबे (भाजपा)

1991    हरद्वार दुबे (भाजपा)

1993    रमेशकांत लवानिया (भाजपा)

1996    केशो मेहरा (भाजपा)

2002    चौधरी बशीर (बसपा)

2007    जुल्फिकार अहमद भुट्टो (बसपा)

2012 गुटियारीलाल दुबेश (बसपा)

2017 डॉ. जीएस धर्मेश (भाजपा)

 

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Dr. Bhanu Pratap Singh