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UP Election 2022: 90- आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट (सुरक्षित): दयालबाग से चुने जाते थे दो विधायक, लोहामंडी विधानसभा क्षेत्र था, बेबीरानी मौर्य के सामने चुनौती

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Agra, Uttar Pradesh, India. दयालबाग विधानसभा क्षेत्र अब आगरा ग्रामीण के रूप में आपके सामने है। आपको यह जानकर हैरानी जरूर होगी कि पहले यह क्षेत्र लोहामंडी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था। यहां से दो विधायक चुने जाते थे। यहां के वोटर इस भ्रम को भी तोड़ चुके हैं कि जाट मतदाताओं के हाथ में ही सब कुछ है। यहां के वोटरों ने सर्वाधिक प्यार विजय सिंह राणा पर लुटाया। उन्हें चार बार विधानसभा में पहुंचाया। तीन दलों को दो-दो बार मौका दिया है। भाजपा एक बार ही चुनाव जीत सकी है। 2017 में भाजपा की हेमलता दिवाकर कुशवाह ने भाजपा की टिकट पर चुनाव जीता। 2022 के चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है। उनके स्थान पर भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबीरानी मौर्य को प्रत्याशी बनाया है। वे उत्तराखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं। एत्मादपुर विधानसभा सीट से वे एक बार चुनाव हार चुकी हैं। बेबीरानी मौर्य के सामने विपक्षी दलों ने चुनौती प्रस्तुत की है। वह इसलिए कि उनके लिए यह नया क्षेत्र है। यहां के भाजपा कार्यकर्ताओं से उनका प्रायः संपर्क नहीं है।

पहले आपको फ्लैश बैक में ले चलते हैं। 1974 से पूर्व तक दयालबाग क्षेत्र लोहामंडी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था। उस समय यहां से दो विधायक चुने जाते थे। एक सामान्य तो दूसरा आरक्षित वर्ग का होता था। 1952 में हुए पहले चुनाव में आरक्षित वर्ग से छत्रपति अंबेश और सामान्य वर्ग से सी. महाजन चुने गए। जनसंघ के प्रत्याशियों ने उन्हें टक्कर दी थी। 1956 में श्री महाजन के इस्तीफे के बाद उपचुनाव हुआ। इसमें संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी एसकेडी पालीवाल ने कांग्रेस की प्रत्याशी प्रेमवती मिश्रा को धूल चटा दी। कांग्रेस प्रत्याशी के हारने पर सबको ताज्जुब हुआ था। 1957 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के देवकी नंदन विभव ने जीत हासिल की। उन्होंने जनसंघ के प्रत्याशी को पराजित किया।

1962 में इस क्षेत्र का परिसीमन बदला। रकाबगंज और लोहामंडी का क्षेत्र भी दयालबाग की सामान्य सीट में शामिल कर लिया गया। आरक्षित सीट में जगदीशपुरा और शाहगंज क्षेत्र शामिल किए गए। सामान्य सीट से देवकीनंदन विभव ने परचम फहराया। उनका मुकाबला जनसंघ के प्रत्याशी राजकुमार सामा से हुआ। श्री सामा को पार्टी का भीष्म पितामह कहा जाता था।

पांच साल बाद 1967 में हुए चुनाव में लोहामंडी विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन फिर बदला गया। दयालबाग क्षेत्र को आरक्षित और पश्चिमी क्षेत्र को सामान्य कर दिया गया। दयालबाग सीट में तहसील आगरा और खंदौली ब्लॉक को शामिल किया गया, लेकिन शहरी क्षेत्र को इससे अलग कर दिया गया। इसके बाद भी दयालबाग के वोटरों ने कांग्रेस को ही पसंद किया। कांग्रेस के रामप्रसाद ने जनसंघ के ईश्वरी प्रसाद राजन  को हराकर जीत हासिल की।

1969 में दयालबाग सीट से चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाले भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) के लीलाधर कर्दम ने जनसंघ के करन सिंह को पराजित किया। सामान्य सीट पश्चिमी से बीकेडी के मास्टर हुकम सिंह विजेता रहे। कांग्रेस दूसरे और जनसंघ प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। इसके साथ ही दयालबाग सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई।

1974 के चुनाव में बीकेडी के चौधरी मुल्तान सिंह ने कांग्रेस के हुकम सिंह को पराजित किया। इसके बाद यह माना गया कि दयालबाग में चौ. चरण सिंह का प्रभाव है। यह भी ध्यान में आया कि जाट मतदाता यहां के चुनाव को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं।

1977 में जनता पार्टी की लहर चली। जनता पार्टी के प्रत्याशी श्याम दत्त पालीवाल ने कांग्रेस के पूरन सिंह को हराया।

1980 में लोकदल के विजय सिंह राणा ने कांग्रेस के पूरन सिंह को हरा दिया। विजय सिंह राणा ने 1985 में दलित मजदूर किसान पार्टी (दमकिपा) के बैनर तले चुनाव लड़ा। उन्होंने कांग्रेस की डॉ. (श्रीमती) आरके वर्मा को पराजित किया। 1989 में राणा ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा। उन्होंने कांंग्रेस के ही पूरन सिंह लोधी को हराया।

वर्ष 1991 में राम मंदिर लहर चली।  भारतीय जनता पार्टी की जड़ें मजबूत हो चुकी थीं। इसके बाद भी विजय सिंह राणा ने लगातार चौथी बार जीत हासिल की। इस जीत से हर कोई अचंभित रह गया था। भाजपा प्रत्याशी चौ. उदयभान सिंह को इस हार का आज तक मलाल है।1993 में चौ. उदयभान सिंह ने अपनी हार का बदला लिया। यहां से भाजपा को पहली बार सफलता मिली।

1996 में दयालबाग के वोटरों ने एक बार फिर बदलाव किया। बसपा के सेठ किशनलाल बघेल को विधानसभा में भेजा। विजय सिंह राणा पराजित हो गए। वोटरों ने इस मान्यता को भी तार-तार कर दिया कि सब कुछ जाटों के ही हाथ में है। माना जाता है कि बघेल के पक्ष में जाटव और पिछड़े वर्ग के वोटों को ध्रुवीकरण हुआ। बघेल की जीत पर हर कोई चौंक गया था। 2002 में भी किशनलाल बघेल ने अपनी जीत बरकरार रखी। भाजपा और रालोद के संयुक्त प्रत्याशी भी पराजित हो गए। चौ. उदयभान सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2007 में वोटरों ने फिर पलटी खाई। जनमोर्चा के डॉ. धर्मपाल सिंह को विधानसभा में पहुंचाया। उनकी जीत में सांसद राज बब्बर का अहम योगदान माना जाता है। डॉ. धर्मपाल ने कांग्रेस, बसपा, समाजवादी पार्टी के बाद भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है। उन्हें  पार्टी ने एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। यहां से बसपा की टिकट पर विधायक रह चुके हैं।

 

2022 में मतदाता

पुरुष मतदाता 2,30,184

महिला मतदाता 1,64,026

किन्नर मतदाता 20

कुल मतदाता 4,23,356

 

पांच साल में बढ़े मतदाता

पुरुष 14,396

महिला 17348

कुल 31,784

 

18-19 साल के नए मतदाता

3738

 


मतदान की तारीख: गुरुवार, 10 फरवरी 2022

मतगणना की तारीख: गुरुवार, 10 मार्च 2022

 

वर्ष             विजेता

1952             सी. महाजन और छत्रपति अंबेश (कांग्रेस)

1956             एसकेडी पालीवाल (संयुक्त विपक्ष)

1957             देवकी नंदन विभव (कांग्रेस)

1962             देवकीनंन विभव (कांग्रेस)

1967             राम प्रसाद (कांग्रेस)

1969             लीलाधर कर्दम (बीकेडी)

1974             चौ. मुल्तान सिंह (बीकेडी)

1977             श्यामदत्त पालीवाल (कांग्रेस)

1980             विजय सिंह राणा (लोकदल)

1985             विजय सिंह राणा ( दमकिपा)

1989             विजय सिंह राणा (जनता दल)

1991             विजय सिंह राणा (जनता दल)

1993             चौ. उदयभान सिंह (भाजपा)

1996             सेठ किशनलाल बघेल (बसपा)

2002             सेठ किशनलाल बघेल (बसपा)

2007             डॉ. धर्मपाल सिंह (जनमोर्चा)

2012      कालीचरण सुमन (बसपा)

2017      हेमलता दिवाकर कुशवाहा (भाजपा)

 

आगरा ग्रामीण (सुरक्षित) विधानसभा चुनाव परिणाम (2017)

उम्मीदवार का नाम पार्टी स्थान कुल वोट वोट प्रतिशत % मार्जिन
हेमलता दिवाकर भाजपा विजेता 129,887 51.97% 65,296
काली चरण सुमन बसपा दूसरे स्थान पर 64,591 25.84%
उपेंद्र सिंह कांग्रेस 3rd 31,312 12.53%
Narayan Singh Suman रालोद 4th 17,446 6.98%
None Of The Above नोटा 5th 1,856 0.74%
Oma Shankar Alias Sunil Diwakar जाम 6th 1,378 0.55%
अशोक कुमार आईएनडी 7th 1,328 0.53%
Ambedkari Hasanu Ram Ambedkari आईएनडी 8th 871 0.35%
रविंद्र सिंह आईएनडी 9th 769 0.31%
Bhupal Das आईएनडी 10th 488 0.20%

 

Dr. Bhanu Pratap Singh