माता-पिता और बड़े भाई के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना अवश्य रखें: जैन संत जय मुनि
आगरा – राजा मंडी स्थित महावीर भवन में श्री जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी ट्रस्ट के तत्वावधान में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचनों में आध्यात्मिक ज्ञान की त्रिवेणी बह रही है। बहुश्रुत आगम ज्ञानी पूज्य श्री जयमुनि जी महाराज, पूज्य श्री आदीश मुनि जी और पूज्य श्री आदित्य मुनि जी ने अपने उद्बोधनों से श्रद्धालुओं को गहराई से प्रभावित किया।
भगवान महावीर की करुणा और पारिवारिक संबंध के समबद्ध में पूज्य श्री जयमुनि जी महाराज ने अपने प्रवचन में भगवान महावीर की करुणा यात्रा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि हमारे पूज्यों के प्रति सच्ची श्रद्धा और उनकी आज्ञा का पालन करना ही उनके प्रति हमारी करुणा है।
महाराज श्री ने विशेष रूप से माता-पिता और बड़े भाई के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज के स्वार्थ-भरे माहौल में ऐसी श्रद्धा कम ही देखने को मिलती है।
महाराज श्री ने एक मार्मिक गीत के माध्यम से समझाया, “जो मानव-मानव को जोड़े, वो प्रेम का धागा होता है। सौभाग्य बड़ा है, धन पाया, भामाशाह जैसा मन पाया। धन होने पर भी दान न दो, वो मन अभागा होता है।” उन्होंने भाइयों के बीच प्रेम और संतुलन बनाए रखने की सीख दी और कहा कि आपसी मतभेद होने पर भी बोलचाल बंद नहीं करनी चाहिए।
पूज्य श्री आदीश मुनि जी ने सुख पाने के तीसरे सूत्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुखी जीवन के लिए अपमान सहना सीखना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने इस कटु सत्य को समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार एक अच्छा पाचन तंत्र हर तरह के भोजन को पचा लेता है, उसी तरह एक स्वस्थ मानसिक अवस्था मान और अपमान दोनों स्थितियों में समभाव बनाए रखती है। उन्होंने समाज के अग्रणी लोगों को “अंधा, गूंगा और बहरा” बनने की सलाह दी, ताकि वे शांति से सामाजिक कार्य कर सकें और अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकें।
पूज्य श्री आदित्य मुनि जी ने संस्कार और असंस्कार के महत्व पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि संस्कार रहित जीवन केवल सांसों का पिटारा है, जो पशु जीवन के समान है। उन्होंने माता-पिता को अपने बच्चों के भविष्य के लिए खुद के जीवन में सुधार लाने की प्रेरणा दी, क्योंकि बच्चे बचपन में माता-पिता से ही सीखते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए विजय, श्रद्धा, भक्ति और आस्था आवश्यक है।
प्रवचनों के दौरान सी.ए. उज्ज्वल जैन ने एक भजन के माध्यम से भगवान महावीर से विश्व में करुणा रस बरसाने का आह्वान किया। इस अवसर पर तपस्वी बालकिशन जी ने 17 वें आयंबिल तप का और वैभव जैन ने सातवें उपवास का संकल्प लिया। गन्नौर, पानीपत, दिल्ली, फरीदकोट, रायकोट, किशनगढ़, मदनगंज, फगवाड़ा जैसे शहरों से आए श्रद्धालुओं ने भी प्रवचनों का लाभ उठाया।
गुरुदेव ने धर्म प्रेमियों से आज के त्याग के रूप में चटनी, चॉकलेट और चाऊमीन का त्याग करने की प्रतिज्ञा दिलाई।
- Agra News: सेवा और समर्पण की मिसाल, जय झूलेलाल सेवा संगठन ने रक्तदान शिविर में जुटाया 150 यूनिट रक्त - July 29, 2025
- Agra News: ‘सत्य प्रकाश विकल चैरिटेबल नेत्रालय’ में शिला पट्टिका का लोकार्पण, 137 संस्थापक सदस्यों का किया गया सम्मान - July 29, 2025
- Agra News: सावन के पवित्र दिनों दाल बाटी पार्टी का आनंद, महिलाओ ने परिवार के साथ किया ख़ुशी का इजहार - July 29, 2025