rismi lalwani

चातुर्मास में तपस्या करने पर जैन साध्वी वैराग्य निधि के सानिध्य में रिमसी ललवानी का सम्मान

RELIGION/ CULTURE

9 उपवास की तपस्या पूर्ण करने पर रिमसी ललवानी की शोभायात्रा निकाली

मनुष्य के मन का प्रबंधन न हो तो जीवन अस्त-व्यस्तः वैराग्य निधि

Agra, Uttar Pradesh, India.  रिमसी ललवानी पत्नी नितिन ललवानी के त्याग की कहानी है ये। उन्होंने नौ दिन तक तपस्या की। सिर्फ उबला हुआ पानी का सेवन किया। इसके बाद भी मंदिर जाकर पूजा-सेवा नहीं छोड़ी। दैनिक कार्य करती रहीं। सिर्फ पानी पीकर रहने से शारीरिक ऊर्जा कम तो हुई लेकिन इतनी नहीं कि बिस्तर पकड़ लें। तपस्या का सकारात्मक लाभ यही है। चातुर्मास के दौरान इस तरह का त्याग जैन श्रावक और श्राविकाएं करते रहते हैं। कुछ श्रावक ऐसे भी हैं जो एक माह तक की तपस्या कर रहे हैं। ऐसे ही त्यागी श्रावक श्राविकाओं को भगवान महावीर स्वामी को गोद में लेकर रथ में बैठने का अवसर मिलता है। इस रथ को घोड़े नहीं बल्कि श्रावक और श्राविकाएं खींचते हैं। इससे उन्हें भी तपस्या का मीठा फल मिलता है।

 

जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ ने 9 उपवास की तपस्या पूर्ण करने पर तपस्विनी रिमसी ललवानी पत्नी नितिन ललवानी की तपस्वी वरघोड़ा शोभायात्रा निकाली। परमात्मा का विग्रह अपनी गोद में लेकर रिमसी ललवानी रथ पर सवार हुईं। श्रावक और श्राविकाओं ने रथ को खींचा। इस दौरान जैन धर्म की जय-जयकार होती रही। तीर्थस्थल दादाबाड़ी से प्रारंभ हुई शोभायात्रा प्रवचनस्थल पर सम्पन्न हुई। यहां वैराग्य निधि जी महाराज के सामने तपस्विनी को पचखान कराया गया।

 

vairagya nidhi
तपस्विनी रिमसी ललवानी के रथ को खींचते श्रावक और श्राविकाएं

श्री संघ अध्यक्ष राजकुमार जैन ने तपस्वी की अनुमोदना की। श्री संघ की ओर से तपस्विनी का बहुमान महेंद्र जैन, बृजेंद्र लोढ़ा, विनय वागचर, अशोक कोठारी, अर्पित वेद, कमल चंद जैन, बेला वेद, सुमन वेद एवं अन्य श्रावक श्राविकाओं ने किया। तपस्विनी की अनुमोदना बृजेंद्र लोढ़ा, महेंद्र जैन, सुशील जैन, दुष्यंत जैन ने की। तेले की तपस्या के लिए दिनेश वैद्य का बहुमान राजीव खरड़, गौरव ललवानी ने किया। इसके बाद साध्वी श्री जी की निश्रा में शासन माता के गीत हुए।

 

इसके बाद प्रवचन में वैराग्य निधि महाराज ने कहा कि जीवन के तीन महत्वपूर्ण घटक हैं- शरीर, वाणी और मन। चर्मचक्षुओं से अदृश्य मन मनुष्य की अदृश्य शक्ति है। मन से युक्त होने के कारण ही मनुष्य या मानव कहलाता है। मननात मनुष्यः। मनुष्य के मन का प्रबंधन न हो तो जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। सतत अभ्यास से चंचल मन को मदारी के बंदर की तरह आज्ञाकारी बनाया जा सकता है। ऐसा होने पर मन नौकर और आत्मा मालिक हो जाती है।

 

vairagya nidhi maharaj
रिमसी ललवानी का सम्मान और प्रवचन देतीं जैन साध्वी वैराग्य निधि महाराज।

श्री संघ अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि जैन साध्वी के प्रवचन दादाबाड़ी में प्रातः 9.15 से 10.15 बज तक हो रहे हैं। धर्मप्रेमी प्रवचन के माध्यम जीवन प्रबंधन सीख सकते हैं। योगेश बाबू जैन, नीरज जैन, वीरचंद गादिया, शैलेंद्र, विपिन वरड़िया, अशोक, अभिलाष, प्रेम ललवानी, दिनेश, संजय चौरड़िया आदि उपस्थित थे।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh