जैन मुनि मणिभद्र

नेपाल केसरी जैन मुनि मणिभद्र ने कहा- बार-बार सुनते रहो जिनवाणी, जानिए क्यों

RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. नेपाल केसरी व मानव परिवार संगठन के संस्थापक डॉ. मणिभद्र महाराज ने कहा कि मन बहुत बलवान होता है। यदि व्यक्ति ने उसे जीत लिया तो वह पूरे संसार को जीत सकता है। शरीर ही व्यक्ति को धोखा देता है, वह मनुष्य को आलसी बनता है। इसलिए मनोबल को हमेशा ऊंचा रखा चाहिए।

 

राजामंडी के जैन भवन स्थानक में वर्षा वास में प्रवचन करते हुए जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज ने कहा कि साधु, संत तो प्रेरणा देते हैं, नियम, संयम बताते हैं, धर्म के उपदेश देते हैं। इससे उन्हें सुख मिलता है, लेकिन उनका कोई और स्वार्थ नहीं है। उनका उद्देश्य केवल यही है कि भटकती आत्माओं को सन्मार्ग मिले। उनके उपदेशों को मानना या न मानना श्रावकों का मन है। यदि मन मजबूत होगा, आस्था होगी तो उपदेशों का पालन करेंगे वरना, वृद्धावस्था अथवा संकट के समय धर्म याद आएगा। संतों, साधुओं की ओर दौड़ेंगे कि कष्ट दूर करो, लेकिन तब आपका शरीर अशक्त होकर पराधीन हो चुका होगा। इसलिए मन को नियंत्रित करके प्रभु की शरण में जाओ और नियम, संयम का पालन करें।

 

महाराज श्री ने कहा कि नियम, संयम को सीमित कर सकते हैं। एक-एक दिन के भी संकल्प लिए जा सकते हैं। नियमों के प्रति जागरूक होना जरूरी है, तभी बहुत से दोषों से बचा सकेगा। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग जीवन में संकल्प लेने से पहले ही घबरा जाते हैं। नकारात्मकता उन्हें घेर लेती है। इसलिए सकारात्मक सोच के साथ ही श्रावक नियमों का पालन कर सकते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि पत्थर पर एक बार चोट करने से उस पर कोई असर नहीं पड़ता। बार-बार प्रहार करने पड़ते हैं, तभी वह दो भागों में विभक्त होता है। इसी प्रकार हम बार-बार जिनवाणी सुनें, सुनते रहें, एक दिन तो ऐसा आएगा कि उसका प्रभाव हमारे मन-मष्तिष्क पर अवश्य पड़ेगा।

 

जैन मुनि ने जागरूक किया कि हमारी आत्मा अनादि काल से सोयी हुई थी। हमारा सौभाग्य है कि एसे परिवार में जन्म लिया है, जहां जिन वाणी सुनने को मिलता है। इसलिए हमें इस जीवन को धर्म और सत्कर्म के साथ जीना चाहिए।

 

इससे पूर्व स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि ने प्रवचन दिए और कहा कि अपने परिवार, बच्चों पर तो सभी दया, करुणा करते हैं। हमारे यह भाव हर प्राणी के लिए होने चाहिए।

इस चातुर्मास पर्व में  नेपाल से आए डॉक्टर मणिभद्र के सांसारिक भाई पदम सुवेदी का छठवें दिन का उपवास जारी है। मनोज जैन लोहामंडी का चौथे दिन का उपवास चल रहा है। आयंबिल की तपस्या की लड़ी शोभा जैन ने आगे बढ़ाई। मंगलवार के नवकार मंत्र के जाप का लाभ शशि एवम सुनीता जैन परिवार लोहामंडी ने लिया।

 

Agra, Uttar Pradesh, India. नेपाल केसरी व मानव परिवार संगठन के संस्थापक डॉ. मणिभद्र महाराज ने कहा कि मन बहुत बलवान होता है। यदि व्यक्ति ने उसे जीत लिया तो वह पूरे संसार को जीत सकता है। शरीर ही व्यक्ति को धोखा देता है, वह मनुष्य को आलसी बनता है। इसलिए मनोबल को हमेशा ऊंचा रखा चाहिए।

 

राजामंडी के जैन भवन स्थानक में वर्षा वास में प्रवचन करते हुए जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज ने कहा कि साधु, संत तो प्रेरणा देते हैं, नियम, संयम बताते हैं, धर्म के उपदेश देते हैं। इससे उन्हें सुख मिलता है, लेकिन उनका कोई और स्वार्थ नहीं है। उनका उद्देश्य केवल यही है कि भटकती आत्माओं को सन्मार्ग मिले। उनके उपदेशों को मानना या न मानना श्रावकों का मन है। यदि मन मजबूत होगा, आस्था होगी तो उपदेशों का पालन करेंगे वरना, वृद्धावस्था अथवा संकट के समय धर्म याद आएगा। संतों, साधुओं की ओर दौड़ेंगे कि कष्ट दूर करो, लेकिन तब आपका शरीर अशक्त होकर पराधीन हो चुका होगा। इसलिए मन को नियंत्रित करके प्रभु की शरण में जाओ और नियम, संयम का पालन करें।

 

महाराज श्री ने कहा कि नियम, संयम को सीमित कर सकते हैं। एक-एक दिन के भी संकल्प लिए जा सकते हैं। नियमों के प्रति जागरूक होना जरूरी है, तभी बहुत से दोषों से बचा सकेगा। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग जीवन में संकल्प लेने से पहले ही घबरा जाते हैं। नकारात्मकता उन्हें घेर लेती है। इसलिए सकारात्मक सोच के साथ ही श्रावक नियमों का पालन कर सकते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि पत्थर पर एक बार चोट करने से उस पर कोई असर नहीं पड़ता। बार-बार प्रहार करने पड़ते हैं, तभी वह दो भागों में विभक्त होता है। इसी प्रकार हम बार-बार जिनवाणी सुनें, सुनते रहें, एक दिन तो ऐसा आएगा कि उसका प्रभाव हमारे मन-मष्तिष्क पर अवश्य पड़ेगा।

 

जैन मुनि ने जागरूक किया कि हमारी आत्मा अनादि काल से सोयी हुई थी। हमारा सौभाग्य है कि एसे परिवार में जन्म लिया है, जहां जिन वाणी सुनने को मिलता है। इसलिए हमें इस जीवन को धर्म और सत्कर्म के साथ जीना चाहिए।

 

इससे पूर्व स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि ने प्रवचन दिए और कहा कि अपने परिवार, बच्चों पर तो सभी दया, करुणा करते हैं। हमारे यह भाव हर प्राणी के लिए होने चाहिए।

इस चातुर्मास पर्व में  नेपाल से आए डॉक्टर मणिभद्र के सांसारिक भाई पदम सुवेदी का छठवें दिन का उपवास जारी है। मनोज जैन लोहामंडी का चौथे दिन का उपवास चल रहा है। आयंबिल की तपस्या की लड़ी शोभा जैन ने आगे बढ़ाई। मंगलवार के नवकार मंत्र के जाप का लाभ शशि एवम सुनीता जैन परिवार लोहामंडी ने लिया।

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Dr. Bhanu Pratap Singh