हूजरी भवन, पीपल मंडी, आगरा राधास्वामी (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) हैं जो आगरा विश्वविद्यालय (Agra university) के दो बार कुलपति (Vice chancellor of Agra university) रहे हैं। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan, Peepal Mandi, Agra) में हर वक्त राधास्वामी (Radha Soami) नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत (RadhaSomai faith) के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 29 मार्च, 2000 को किरोड़ी डीएवी कॉलेज परिसर, बहादुरगढ़ (हरियाणा, भारत) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा- अगर खेलना, रस, रंग और मस्ती पाना चाहते हो तो इस मत में आ जाओ। उजड़ना, बिगड़ना और बेरुखी की जिन्दगी जीना चाहते हो तो जहां हो वहीं बने रहे।
समाज को एक सुंदर रूप दे सकते हैं
यहां कोई बात जोर जबरदस्ती से मनवाने के लिए नहीं कही जाती है। यहां तो धीरे से उकसाया, चढ़ाया, लगाया और मिलाया जाता है। इधर से हटाया जाता है, उधर को बँधाया जाता है और अंत में बधाया गाया जाता है। इस समय समाज में जो विभिन्नताएं दिखाई दे रही हैं, वह इसी आकर्षण और प्रेम से समाप्त हो सकती हैं। जिन लोगों ने राधस्वामी मत के दर्शन को नहीं समझा है, वह यह समझें जो कुछ भी मानसिक दुर्बलताएं आज यह इंसान वैज्ञानिक उपलब्धियों के बावजूद महसूस कर रहा है, उनसे पार पा सकता है, उनमें संतुलन रख सकता है। समाज को एक सुंदर रूप दे सकता है। बशर्ते कि वह इस प्रेम और भक्ति के मार्ग में सम्मिलित हो जाए, दिसका दर्शन परम पुरुष पुरन धनी हजूर महाराज राधास्वामी दयाल ने कराया है।
प्रेमी का हाल आम के दरख्त की तरह
मैं आपको हजूर राधास्वामी दयाल के चरनों में मिलाने और जोड़ने आया हूं। बहुत दिनों से यह इच्छा थी कि आपके घर जाकर रंगों से होली खेलूं। लिहाजा मैं आ गया हूं। प्रेम से होली खेलिए। जहां प्रेम से होली खेली जाती है वहां विद्वेष और अभिमान नहीं रहता, वहां आत्मीयता होती है और इंसान अपने आपको दीन अधीन समझता है। एक प्रेमी का हाल आम के दरख्त की तरह होता है। जब उसमें फल निकलने लगते हैं तो वह झुक जाता है और साया कर देता है। ऐसे ही एक प्रेमी का लक्षण है कि वह फल भी देता है और साया भी। इंसान जो अपने अहंकार में अकड़कर चलता है, वह खजूर के दरख्त की तरह है, वह साया तो देता नहीं है और फल निकलते भी हैं तो बहुत ऊंचे और दूर।
मस्ती पानी है तो राधास्वामी मत में आ जाओ
इस मत में जो आएगा, उसे ऐसा ढाला जाएगा कि वह कार्य ज्यादा करेगा, कहेगा कम। अंतर में जिसने उस धुन को सुन लिया और उस धनी से मिल लिया तो उसके संग से आनंद, चैन, सुख और तृप्ति आती है। दोनों हालतें आपके सामने हैं। अगर खेलना, रस, रंग और मस्ती पाना चाहते हो तो इस मत में आ जाओ। उजड़ना, बिगड़ना और बेरुखी की जिन्दगी जीना चाहते हो तो जहां हो वहीं बने रहे।
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