Dadaji maharaj in agra

राधास्वामी मत के गुरु दादाजी महाराज का 90वां जन्मोत्सव आज, वीडियो में देखें दुर्लभ चित्रों की झांकी

NATIONAL REGIONAL RELIGION/ CULTURE

मत के आदि केन्द्र हजूरी भवन, पीपल मंडी, आगरा में हजूरी समाध पर होगा विशेष सतसंग
Agra (Uttar Pradesh, India) राधास्वामी सतसंग के आचार्य एवं अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) का 27 जुलाई, 2020 को 90 वां जन्मोत्सव है। उनका अध्यात्म, धर्म, दर्शन, शिक्षा, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व जैसे तमाम क्षेत्रों में अतुलनीय योगदान है। राधास्वामी मत के आदि केन्द्र हजूरी भवन, पीपल मंडी, आगरा से मत के करोड़ों अनुयायियों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। देश-विदेश के लाखों सतसंगी अपने प्राण प्यारे दादाजी महाराज का जन्मोत्सव मनाएंगे। इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी की गई है। दादाजी महाराज का जन्मोत्सव हजूरी समाध पर पूर्वाह्न 11 बजे से सतसंग के साथ सादगीपूर्ण ढंग से मनाया जाएगा। इस दौरान सामाजिक दूरी का पालन सुनिश्चित किया गया है।

1861 में हुई थी राधास्वामी मत की स्थापना

स्वामी जी महाराज ने अपने परमप्रिय शिष्य हजूर महाराज के आग्रह पर 1861 में राधास्वामी मत को जगत उद्धार के लिए प्रकट किया था। दादाजी महाराज उन्हीं हजूर महाराज के वंशज हैं। लालाजी महाराज और कुँवर जी महाराज के बाद दादाजी महाराज राधास्वामी मत के आचार्य हैं। दादाजी महाराज के 65वें जन्मोत्सव पर चार भागों में अभिनंदन ग्रंथ का लोकार्पण किया गया, जिसमें पांच हजार पेज हैं। ग्रंथ में देश-विदेश के सभी वर्गों के विद्वतजनों ने दादाजी महाराज के बारे में अपने आंतिरक अनुभव सार्वजनिक किए हैं। आगरा कॉलेज के इतिहास विभाग में प्रवक्ता से लेकर विभागाध्यक्ष के रूप में 30 वर्ष तक अध्यापन कार्य किया।

16 पुस्तकें लिखीं

उन्होंने 16 गद्य, पद्य, हिन्दी और अंग्रेजी में 16 पुस्तकों की रचना की है।1980 में सम्राट अकबर की सुलह-ए-कुल नीति की 400वीं वर्षगांठ के समारोह के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय एकीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत संगोष्ठी के संयोजक के रूप में अद्भुत कार्य हुआ।

आगरा विश्वविद्यालय के दो बार कुलपति के रूप में अनोखे कार्य

आगरा विश्वविद्यालय के दो बार कुलपति रहे जो एक रिकॉर्ड है। पहली बार 1982 से 1985 तक और दूसरी बार 1988 से 1991 ई. तक। उन्होंने विवि के खंदारी परिसर की स्थापना की। पहली बार रोजगारपरक पाठ्यक्रम, यूनिट प्रणाली, बीएड (अवकाशकालीन) समेत कई स्ववित्तपोषित कोर्स, शिक्षकों का स्थाईकरण समेत अनेक कार्य किए। नेहरू जन्म शताब्दी, भारत-रूस मैत्री सम्मेलन, इंस्टीट्यूट ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज के तीन अधिवेशन, कुलपति विश्व सम्मेलन खासे चर्चित रहे हैं।

आगरा के विकास के लिए चिन्तित

आगरा के चतुर्दिक विकास के लिए आज भी चिन्तित हैं। उनका सुझाव है कि केन्द्र सरकार दस साल तक आगरा को अपने अधीन ले, अपने बजट का एक प्रतिशत धन दे और केन्द्रीय प्राधिकरण बनाकर कार्य कराए। ताजमहल और फतेहपुर सीकरी में व्यापक उत्खनन के पक्षधर हैं।

मिले हैं सम्मान

फेलो ऑफ रॉयल एशियाटिक सोसाइटी लंदन, फेलो ऑफ इंस्टीट्यूट ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज, कोलकाता, फेलो ऑफ यूनाइटेड राइटर्स एसोसिएशन चेन्नई, बृज रत्न, आगरा शिरोमणि, सेकुलर इंडिया हारमनी अवार्ड 1998, हूज हू इन इंडो अमेरिका एजूकेशन 1975, इंडिया हूज हू ईयर बुक 1977-78, लर्नेंड्स इंडिया बायोग्राफीज 1980, लर्नेंड्स एशिया हूज हू 1981, Who’s Who इन इंडिया 1985, रेफरेंस एशिया वॉल्युम सेकंड 1986, बायोग्राफी इंटरनेशनल 1993, इंडो-अमेरिकन हूज हू 1994 आदि। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के वार्षिक सम्मेलन में मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। आगरा के प्रमुख दैनिक अखबार डीएलए ने वर्ष 2016  का सिटीजन ऑफ द ईयर अवॉर्ड से विभूषित किया। 1962, 1963, 1964,  1966, 1999, 2000  में पूरे देश का आध्यात्मिक परिभ्रमण करके अध्यात्म की अलख जगाई।

बच्चे खुश रहें

अपने जन्मोत्सव पर दादाजी महाराज ने संदेश दिया है- मैं प्यार करता हूं सबको। मेरा प्यार देना सबको। जिस तरह से जमाने में बातें चल रही हैं उसमें देखने में आता है कि प्यार की कमी है। स्वार्थ बहुत है। प्रेम में स्वार्थ नहीं चलता है। मैं सबका भला चाहता हूं। मेरा बर्थडे संदेश यही है कि 90 साल का मैं हो गया। उमर हो गई। मैं चाहता हूं कि बच्चे खुश रहें और ठीक दिशा में चलें। पढ़ें- लिखें। चरित्र सही रहना चाहिए। देशभक्ति रहनी चाहिए। समाज में एकता रहनी चाहिए।

आगरा के प्राचीन वैभव के लौटने का इंतजार

दादाजी महाराज ने कहा है- आगरा को बहुत प्यार करता हूं। मेरी जन्मभूमि है। यहीं मैं पढ़ा-लिखा। नौकरी की। आगरा कॉलेज में 30 साल बढ़ाया। आगरा यूनिवर्सिटी में छह साल वाइस चांसलरी की। इसके बाद बुढ़ापा। आगरा में रह रहा हूं। मुझे आज भी इन्तजार है आगरा के प्राचीन वैभव के लौटने का। समाज, देश, परिवार और अपने प्रति दायित्व को निभाओ।