जाने-माने हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रिहान  ने Coronavirus की हर शंका का किया समाधान

जाने-माने हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रिहान ने Coronavirus की हर शंका का किया समाधान

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  • आगरा विकास मंच ने कोविड-19 और हृदय रोग पर कराया वीडियो सम्मेलन
  • स्वास्थ्य कर्मचारी ही आर्मी, लॉकडाउन का लाभ, हर जोन में बने कोविड अस्पताल
    Agra (Uttar Pradesh, India)।
    कोविड-19 महामारी के कारण हृदयरोगियों की अधिक मौत हो रही है। ऐसे में हृदय रोगी क्या करें कि सुरक्षित रहें। इसके लिए आगरा विकास मंच ने अभिनव प्रयोग किया। मीडिया और चिकित्सकों के साथ देश के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ, पद्मभूषण डॉ. नरेश त्रिहान (चेयरमैन मेदांता, गुरुग्राम), पदमश्री डॉ. प्रवीन चन्द्रा (चेयरमैन हार्ट इंस्टीट्यूट, मेदांता) और डॉ. विवेका कुमार (डायरेक्टर हार्ट इंस्टीट्यूट मैक्स) का वीडियो संवाद कराया। चिकित्सकों ने इस आयोजन के लिए आगरा विकास मंच का आभार जताया। साथ ही मंच के संस्थापक अध्यक्ष स्व. अशोक जैन सीए को श्रद्धांजलि दी। कोरोना और अन्य रोगों को लेकर उपजी तमाम शंकाओं का समाधान किया। यह भी कहा कि कोरोना का कोई इलाज नहीं है। बचाव ही इलाज है। बुजुर्गों का ध्यान रखना है।

आगरा विकास मंच के कार्यों को सराहा
वीडियो सम्मेलन का संचालन करते हुए युवा उद्यमी आशीष जैन ने बताया कि अशोक जैन सीए ने आगरा विकास मंच की स्थापना 2004 में की थी। तभी पहला हृदय रोग शिविर लगाया गया। डॉ. प्रवीन चन्द्रा तभी से साथ हैं। डॉ. विवेका कुमार 2010 से मंच के साथ हैं। कार्यक्रम संयोजक आशीष जैन ने डॉ. नरेश त्रिहान का परिचय कराया। आगरा विकास मंच ने मेदांता में हृदय विभाग के चेयरमैन डॉ. प्रवीन चन्द्रा के साथ 2004 में आगरा में पहला कैम्प लगाया था। आगरा विकास मंच की स्थापना स्व. अशोक जैन सीए ने 2004 में की थी। हम अब तक 1500 से अधिक हृदय ऑपरेशन करा चुके हैं। लॉकडाउन के कारण उन्हें परामर्श नहीं मिल रहा है। यह वीडियो सम्मेलन उनके लिए भी बहुत उपयोगी है। स्व. अशोक जैन सीए के अनुज राजकुमार जैन वर्तमान अध्यक्ष और सुनील कुमार जैन संयोजक हैं। आगरा विकास मंच के सभी प्रोजेक्ट लगातार चल रहे हैं। कोविड-19 में भोजन, खाद्यान्न, मास्क, सेनेटाइजर्स का उत्पादन और वितरण कर रहे हैं। सेनीटाइजेशन कर रहे हैं। सामाजिक दूरी कायम रखने के लिए सर्किल बनाए जा रहे हैं। राजकुमार जैन ने आगरा विकास मंच द्वारा बनाए गए मास्क को दिखाया। डॉ. प्रवीन चन्द्रा ने इसे अच्छा बताया और कहा कि मास्क प्रयोग धोकर फिर प्रयोग कर सकते हैं।

इन्होंने पूछे सवाल
अमर उजाला के सिटी प्रभारी चंद्रमोहन शर्मा, हिन्दुस्तान से पत्रकार पवन तिवारी, दैनिक जागरण से पत्रकार अजय दुबे, जिनवाणी चैनल के निदेशक चक्रेश जैन, आगरा विकास मंच के अध्यक्ष राजकुमार जैन, संयोजक सुनील जैन, डॉक्टर सुनील शर्मा, डॉ. रमेश धमीजा, डॉ. बीके अग्रवाल, प्रवक्ता संदेश जैन, सुशील जैन, ध्रुव जैन और विवेक सेठिया ने सवाल किए।

कोविड से निपटने की तैयारी नहीं थी
पद्मभूषण डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा- भारत में कोरोना की शुरुआत अन्य देशों के बाद आई है, इसका लाभ मिला है। सरकार ने बहुत जल्दी कदम उठाया। इससे लोगों को तकलीफ हुई, फिर भी सिविल सोसाइटी ने मदद की। सरकार ने मदद की। लॉकडाउन का उद्देश्य कोविड-19 की चेन को तोड़ना था। हेल्थ केयर सिस्टम इसके लिए तैयर नहीं था। अगर यह फैल जाता तो बहुत समस्या हो जाती। तीन सप्ताह में सरकार और निजी क्षेत्र ने मिलकर खामियां दूर करने का प्रयास किया। अब हर जगह कोविड हॉस्पिटल खुल रहे हैं। न्यूयार्क में इतनी समस्या आई कि उन्हें भी कोविड हॉस्पिटल बनाना पड़ा। वेंटिलेटर नहीं थे। पांच परसेन्ट को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी। 50 हजार खरीदे गए थे और 30 हजार काम कर रहे थे। भारत के उद्योग बना रहे थे। हमारे यहां डेढ़ लाख रुपये में बन जाएगा। मेक इन इंडिया शुरू हो गया वरना पहले तो हर चीज आयात करते थे। पीपीई बनने शुरू हो गए हैं और सरकार ने मंजूरी दे दी है। ऐसे समय में भी कुछ लोग फायदा उठाने की कोशिश कर रहे है और इससे बड़ा पाप नहीं हो सकता है। गलत काम करके पैसे कमाने की कोशिश करने वालों को टांग देना चाहिए। हेल्थ केयर वर्कर और पेशेंट की लाइफ खतरे में डाल रहे हैं अपने लालच के लिए। उल्टे सीधे काम करने वालों के बारे में बताएं ताकि हम उनका सामान न खरीदें।
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इस समय स्वास्थ्य कर्मी ही आर्मी
डॉ. नरेश त्रेहन ने बताया कि लॉकडाउन आगे बढ़ाने से फायदा हुआ। हर जगह के प्रशासन ने गंभीरता से लिया और कोविड-19 की रफ्तार को नियंत्रित किया। अभी ये आएगा तो सही लेकिन किस रफ्तार से आएगा, इसकी फिक्र है। आज के समय में इसकी तैयारी कर ली गई है। डॉक्टर और अस्पताल तकलीफ में हैं, इसका हमें अंदाज है। कोविड का इलाज आयुष्मान से कर दिया है, लेकिन खर्चा चार गुना है। अस्पातल में 50 फीसदी लागत मैन पावर की होती है। आज हम आर्मी हैं, हम लड़ेंगे, लेकिन सबका साथ होना चाहिए। बीच में डॉक्टर्स पर अत्याचार हुए थे। हमने प्रधानमंत्री और ग़ृहमंत्री को बातया है। अब कानून बन गया है।

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तीन चीजों पर ध्यान दें
उन्होंने बताया कि तीन मई तक लॉकडाउन है। इसे आहिस्ता-आहिस्ता खोलना होगा वरना करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। स्थिति सामान्य हो। तीन चीजों पर ध्यान दें। पर्सनल हाइजिंग, शत प्रतिशत मास्किंग, बाहर से कोई घर आए तो उसे भी मास्क पहनाएं और आप भी पहनें। कोविड के संक्रमण वाले ने मास्क नहीं पहना और आपने भी नहीं पहना और 15 मिनट का संपर्क हुआ तो खतरा बहुत अधिक है। मरीज ने थ्री लेयर मास्क पहना है और तीन-चार फीट दूर है तो कम चांस होंगे। दोनों ने मास्क पहना है और पांच मिनट का संपर्क है तो कम चांस है संक्रमण का। सब मिलकर ऐसा करें। पत्रकार प्रचार करें ताकि जनता को पता चले। हम सब मिलकर काम करें। आज के दिन आर्मी स्वास्थ्य कर्मचारी ही हैं। जब सीमा पर लड़ाई तो आर्मी होती है और हम घर पर बैठे रहते हैं। जो इस समय लड़ने को तैयार नहीं है, वह बंदा ठीक नहीं है। डॉक्टर अपनी सुरक्षा करके जनता की मदद करें। जनता और पत्रकार मदद करें। जहां देखें कि कोई मास्क नहीं पहन रहा है, तो उस पर लानत भेजें। लापरवाही पर खुद के साथ परिवारीजन और समुदाय कष्ट में आएगा। लॉकडाउन दिल्ली और मुंबई में नहीं खोला जा सकता है। 50 फीसदी देश को खोल सकते हैं तो श्रमिकों को राहत मिलनी शुरू हो जाएगी। निर्माण उद्योग शुरू हो जाए तो कई करोड़ लोगों को रोजगार मिल जाएगा। स्वास्थ्य कर्मचारियों की बहुत जरूरत है। होटल, टुअर ऑपरेटर, एयरलाइंस को तकलीफ बहुत अधिक होगी।

हर जोन में कोविड अस्पताल की जरूरत
डॉ. नरेश त्रिहान ने कहा कि कोविड के कारण हृदयरोगियों की मृत्यु हुई है। किसी को पेट में दर्द हो रहा था तो सोचा कि चूरन खाकर काम चलाते हैं, लॉकडाउन खुलेगा तो देखेंगे। लेकिन यह गंभीर बात है। मेदांता में हमने इटेलियन का इलाज किया, लेकिन अब हम सभी को कोविड अस्पताल में ट्रांसफर कर रहे हैं। कोविड और नॉन कोविड अस्पताल घोषित करना होगा। आगरा में कोई एक कोविड अस्पताल होना चाहिए। हर जोन में होना चाहिए। नहीं होगा तो मारामारी अधिक मचेगी। उद्योगों में अगर कोई कोविड सकारात्मक है तो उसे कहां भेजें, यह तय हो। ऐसा न हो कि फैक्टरी बंद हो जाए। एयरलाइंस में जाने वालों के लिए भी स्पेशल पीपीई बना रहे हैं। खेती शुरू हो गई है, लेकिन फसल को उठाने वाले नहीं है। इससे समस्या हो रही है। ये सबकी लड़ाई है। सिर्फ सरकार की नहीं है।

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