वैश्विक महामारी Covid-19 और Heart पर सवाल, डॉ. विवेका कुमार के उपयोगी जवाब

वैश्विक महामारी Covid-19 और Heart पर सवाल, डॉ. विवेका कुमार के उपयोगी जवाब

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आगरा विकास मंच ने हार्ट इंस्टीट्यूट मैक्स के निदेशक डॉ. विवेका कुमार के साथ कराया वीडियो सम्मेलन

Agra (Uttar Pradesh, India) आगरा विकास मंच द्वारा आयोजित वीडियो सम्मेलन में डायरेक्टर हार्ट इंस्टीट्यूट मैक्स हॉस्पिटल डॉ. विवेका कुमार ने कोविड-19 को लेकर चल रहे तमाम भ्रम दूर किए। आम जनता और चिकित्सकों के प्रत्येक भ्रम को दूर किया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कोरोनावारस का खौफ दूर करें। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि आम जनता को कोरोना योद्धाओं से दूरी बनाकर रखनी चाहिए, क्योंकि उनसे संक्रमण का खतरा अधिक है। युवा उद्यमी आशीष जैन ने संचालन किया। आगरा विकास मंच के अध्यक्ष राजकुमार जैन, संयोजक सुनील जैन, डॉक्टर सुनील शर्मा, डॉ. रमेश धमीजा, डॉ. बीके अग्रवाल, प्रवक्ता संदेश जैन, सुशील जैन, ध्रुव जैन, विवेक सेठिया, जिनवाणी चैनल के निदेशक चक्रेश जैन, अमर उजाला के सिटी प्रभारी चंद्रमोहन शर्मा, हिन्दुस्तान से पत्रकार पवन तिवारी, दैनिक जागरण से पत्रकार अजय दुबे ने सवाल किए। यहां पढ़िए सवाल और उनके जवाब-

सवालः हृदयरोगी व्यायाम नहीं कर पा रहे हैं तो क्या करें कि बीमारी न बढ़ें।

डॉ. विवेका कुमारः घर में जितना स्थान उपलब्ध हैं, उसमें ही सक्रिय रहें। सीढ़ियां चढ़ना अच्छी एक्सरसाइज है। अगर जोड़ों में दर्द है तो घर में वॉक करें। खान-पान में बदलाव करें। हाई कैलोरी डाइट से बचें, जैसे शुगर आदि। हरी सब्जी, फल, फाइबर मिल रहे हैं, उनका सेवन करें। चावल और रोटी कम खाएं।

सवालः कोरोना के कारण खौफ का माहौल है। इसे कैसे दूर करें।

डॉ. विवेका कुमारः ये बीमारी उतनी खतरनाक नहीं, जितना खौफ है। इसमें लोगों को शिक्षित करना है कि स्वयं को सुरक्षित रखना है। भीड़ वाली जगह पर न जाएं, बार-बार हाथ धोएं, मास्क लगाएं, लोगों को दो गज की दूरी बनाकर रखें। सर्दी जुकाम वाले से दूर रहें। गले न मिलें। इसकी मृत्यु दर एक फीसदी से अधिक नहीं है। कम्युनिटी ट्रांसमिशन भारत में नहीं है। जो कोरोना योद्धा, जैसे चिकित्सक, पुलिस आदि से भी दूरी बनाकर रखें, क्योंकि इन लोगों से संक्रमण हो सकता है। इसी कारण स्वयं को एकांतवास किया जाता है। खौफ को मन से निकाल दें। लोगों को बताएं कि यह बीमारी घातक नहीं है। 90 फीसदी लोग सुरक्षित रहेंगे। घातक इसलिए हो सकता है कि संक्रामक है। इससे बचाव करें। आरोग्य सेतु से भी पता कर सकते हैं।

सवालः मैक्स में कोविड यूनिट चल रहा है क्या। क्या प्लाज्मा थेरेपी कर रहे हैं। क्या गाइड लाइन हैं?

डॉ. विवेका कुमारः बिलकुल चल रहा है। प्लाज्मा थेरेपी भी कर रहे हैं। 325 बेड सरकार को दिए हैं। यह प्राइवेट में मोस्ट एडवांस्ड है कोरोनावायरस की दृष्टि से। देश का पहला प्लाज्मा थेरेपी मैक्स में हुआ और मरीज स्वस्थ है। एंटी वायरल मेडिसिन का प्रयोग भी मैक्स में हो रहा है। पैथालोजी लैब भी सरकार द्वारा अधिकृत है। यहां कोरोना के दोनों टेस्ट कर रहे हैं। यह दिल्ली और केन्द्र सरकार की ओर से नोडल सेन्टर है प्राइवेट ह़ॉस्पिटल में।

सवालः क्या प्राइवेट पेशेंट मैक्स में सीधे जा सकते हैं?

डॉ. विवेका कुमारः बिलकुल जा सकते हैं। आगरा से एक पेशेंट आया था। उसे लाभ है।

सवालः क्या आप ओपीडी में मरीजों को पीपीई किट पहनकर देख रहे हैं?

डॉ. विवेका कुमारः हमारे यहां सिर्फ इमरजेंसी ओपीडी चलती है। पीपीई किट पहनकर ही देखना पड़ता है। फ्लू क्लीनिक में भी पीपीई किट पहनते हैं। हमारे यहां मरीज का पहले ही स्क्रीनिंग हो जाता है। 99 परसेंट ऑनलाइन सलाह दे रहे हैं। इमरजेंसी हो, तभी आने दिया जाता है।

सवालः कार्डियक कॉम्पलीकेशन को एवॉयड करने के लिए क्या करना चाहिए?

डॉ. विवेका कुमारः जो लोग पहले से ही हृदयरोगी हैं, वे तो दवा ले ही रहे हैं। जो नहीं हैं, उन्हें लगता है कि कोरोना सकारात्मक हैं तो उसे एस्पिरन टैबलेट शुरू कर देनी चाहिए।

सवालः लॉकडाउन समाप्त होने के बाद जो लोग काम पर जाएंगे, वे कैसे काम करें, लेबर और स्टाफ के लिए क्या करें?

डॉ. विवेका कुमारः आफ्टर लॉक डाउन- स्लो डाउन। सरकार का भी कहना है कि 25 फीसदी से शुरू करेंगे। प्रवेश द्वार पर ही सेनीटाइजेशन हो। फेस मास्क रहे। सामाजिक दूरी रहे। ऐसा होता है तो फिर कोई समस्या नहीं रहेगी। लोगों को क्लोज में न रहना पड़े। फैक्ट्री खोलते है तो थर्मल स्कैनर लगा लें। किसी को लक्षण हैं तो उसका कोरोना टेस्ट कराएं।

सवालः लेबर के लिए मास्क एन-95 या थ्री लेयर का प्रयोग करें।

डॉ. विवेका कुमारः होम मेड मास्क पर्याप्त है। एन-95 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए जरूरी होता है। थ्री लेयर मास्क पर्याप्त है। अंगोछा लगाकर आता है तो एलाउ करें।

सवालः क्या हम कोविड के मरीजों को आपके यहां रेफर कर सकते हैं

डॉ. विवेका कुमारः बिलकुल। प्राइवेट में पहला अस्पताल है मैक्स जहां 300 से अधिक बेड हैं।

सवालः क्या कोरोना नंगे पैर से भी हो सकता है?

डॉ. विवेका कुमारः जो स्किन का पतला हिस्सा है, वह आंख, मुंह, नाक है, वहां से हो सकता है, पैरों से नहीं हो सकता है। कोरोना के दृव्य हैं, उसे छूते हैं तो हो सकता है। हाथ से एक मिनट में 20-40 बार नाक और मुंह छूते हैं। उसे रोकना है। मास्क पहनने से इसे रोका जा सकता है।

सवालः पानी में भी कोरोना पाया गया है क्या?

डॉ. विवेका कुमारः उबला हुआ पानी से कोरोना नहीं फैल सकता है। लेकिन पानी से फैलने का कोई प्रमाण नहीं है।

सवालः आगरा विकास मंच ने वे सभी काम किए हैं, जो चिकित्सकों ने बताए हैं और प्रधानमंत्री ने जो आह्वान किया है। मास्क, सेनेटाइजर्स, सर्किल बना रहे हैं। भोजन वितरण कर रहे हैं। 50 फीसदी लोग पालन नहीं कर रहे हैं। आपकी ओर से मार्मिक अपील आनी चाहिए?

डॉ. विवेका कुमारः आगरा विकास मंच के कार्यों से मैं अवगत हूं। सारे लोग इस पर अमल नहीं करेंगे तो समस्या होगी। जनता से अपील है कि आगरा विकास मंच ने जो मास्क वितरण किया है,उसका प्रयोग करें। घर में रहने की जो सलाह दी गई है, यह दिखावा नहीं है। पूरे विश्व में पाया गया है कि इससे कोरोना का फैलना बहुत कम हो सकता है। हमारी जान बच सकती है। बहुत बड़ी महामारी से बच सकते हैं। राष्ट्र प्रगति के रास्ते पर दोबारा चल सकता है।

सवालः तापमान बढ़ने का कोरोनावायरस पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

डॉ. विवेका कुमारः तापमान 40 से अधिक तो फैलाव की संभावना कम है। क्लीनिक लक्षणों का भी ध्यान रखना होगा।

सवालः वायरस निर्जीव होता है या सजीव?

डॉ. विवेका कुमारः फ्लू वायरस मल्टीप्लाई होते हैं। एक वायरस करोड़ों में हो जाता है शरीर में जाकर। फिर जिस अंग पर होता है, उसे नष्ट करता है। निकोटीन इस वायरस को ब्लॉक कर देता है। लेकिन जो लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, उनमें क्या होता है, यह अध्ययन नहीं हुआ है।

सवालः यूरोप की अपेक्षा एशिया, अफ्रीका में कोविड-19 के मरीज कम हैं, इसका कोई वैज्ञानिक कारण है क्या

डॉ. विवेका कुमारः अफ्रीकन देशों में मलेरिया है, इस कारण भी उनका बचाव हो रहा है। कोरोनावायरस दो प्रजातियों में है। हमारे यहां अच्छी बात यह है कि समय पर लॉकडाउन कर दिया, जिससे बचाव हो सका है।

सवालः क्या यह संभव है कि सभी को वैक्सीन लगाई जा सके?

डॉ. विवेका कुमारः हम पूरे विश्व को वैक्सीनेट नहीं कर सकते हैं। लेकिन जहां समस्या अधिक है, वहां किया जा सकता है। साठ साल से अधिक आयु के लोगों को वैक्सीन लगाई जा सकती है क्योंकि इनमें मृत्यु दर अधिक है।

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