Agra, Uttar Pradesh, India. सीपीआर की ट्रेनिंग से उन 30 से 40 फीसद लोगों की जान बचाई जा सकती है, जो हृदयाघात के चलते, किसी दुर्घटना में सड़क पर या घर में गिरकर बेहोश हो जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी कार्डियो पल्मोनरी रीसेसीटेशन यानि सीपीआर से महज एक या दो प्रतिशत लोग ही ट्रेंड हैं। ऐसे में रेनबो हॉस्पिटल ने सीपीआर का एक ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया है। इसकी शुरुआत अस्पताल के एडमिन और नॉन मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करने के साथ हुई है, लेकिन जल्द ही इसे व्यापक स्तर पर चलाया जाएगा।
दी गई ट्रेनिंग
कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप हम सबने देखा है। बड़ी संख्या में लोग घरों में भी रहे। पोस्ट कोविड भी दिक्कतें पैदा करता है। इन हालातों में हास्पिटल ने अस्पताल के नॉन मेडिकल कर्मियों को सीपीआर का प्रशिक्षण देना शुरू किया है, ताकि मुश्किल समय में किसी की जान बचाई जा सके। आईसीयू प्रभारी एवं क्रिटिकल केयर की हैड डॉ. वंदना कालरा के निर्देशन में आईसीयू के प्रशिक्षित स्टाफ ने बाकी स्टाफ को ट्रेनिंग दी।
कोई भी ले सकता है प्रशिक्षण
अस्पताल के निदेशकगण डॉ. जयदीप मल्होत्रा और डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने अस्पताल में यह प्रशिक्षण सबको अनिवार्य किया है। धीरे-धीरे सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पब्लिक प्लेस पर काम करने वाले शहर वासी भी यह प्रशिक्षण अस्पताल में संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं। इसमें पुलिसकर्मी, बस चालक, परिचालक, यातायात पुलिस कर्मी, स्कूल-कॉलेज के छात्र कोई भी यह प्रशिक्षण लेना चाहे तो अस्पताल में संपर्क कर सकता है। इस दौरान एचआर प्रबंधक लवकेश गौतम, असिस्टेंट नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट सुमन धंतोलिया, केशवेंद्र सिसौदिया, निशि, आईसीयू टीम के राममूर्ति, अजय, अनुज, गोविंद, सुभाष गिरि, जयपाल आदि मौजूद थे।
आईसीयू टीम को हासिल है महारथ
बता दें कि रेनबो हॉस्पिटल की आईसीयू टीम को सीपीआर में महारथ हासिल है। डॉ. वंदना कालरा, डॉ. पायल सक्सेना, डॉ. चंद्रशेखर, डॉ. चक्रेश जैन, डॉ. कनष्कि जयसिंघानी, डॉ. पंकज भाटिया, डॉ. टीपी पालीवाल, डॉ. जितेंद्र श्रीवास्तव, डॉ. करिश्मा गुप्ता, डॉ. अरूण चौधरी, डॉ. गंगवीर आर्या, डॉ. राजीव अग्रवाल के निर्देशन में आईसीयू टीम बेहतरीन काम कर रही है।
क्या है और क्यों जरूरी है सीपीआर ?
डॉ. वंदना कालरा ने बताया कि यह एक स्किल बेस्ड ट्रेनिंग है, जिसे हर कोई सीख सकता है। देश की आबादी के हिसाब से 15 से 20 फीसदी लोग यानि हर घर में एक व्यक्ति प्रशिक्षित होना चाहिए। किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आया हो, दुर्घटना में घायल हो गया हो, कोई अभिव्यक्ति न कर रहा हो तो सबसे पहले उसे लिटा लें। अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस को फोन कर दें। एंबुलेंस न आने तक छाती के बीच के हिस्से में प्रति मिनट 120 बार पांच से छह सेमी तक दबाएं।
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