टोरंटो। भारतीय मूल के एक अनुसंधानकर्ता के नेतृत्व में एक टीम ने हाल ही में सामने आए बीए.1 और बीए.2 सहित सार्स-कोव-2 के सभी प्रमुख स्वरूपों की ‘कमजोर नब्ज’ का पता लगाया है। अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया कि वायरस की इस कमजोरी को एंटीबॉडी के जरिए निशाना बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस तरह संभावित रूप से उस उपचार का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है, जो कोरोना वायरस के सभी स्वरूपों पर समान रूप से प्रभावी हो।
हाल ही में एक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (क्रायो-ईएम) का उपयोग वायरस के स्पाइक प्रोटीन के कमजोर स्थान पर किया गया है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि वायरस के खोजे गए कमजोर स्थान को एंटीबॉडी के जरिए निशाना बनाया जा सकता है। इससे ऐस उपचार का मार्ग प्रशस्त हो सकता है, जो कोरोना वायरस के सभी स्वरूपों पर समानरूप से कारगर हो। यह अध्ययन भारतीय मूल के अनुसंधानकर्ता श्रीराम सुब्रमण्यम के नेतृत्व वाली टीम ने किया।
एक अध्ययन के अनुसार, व्यापक रूप से उपलब्ध मधुमेह की दवा मेटफोर्मिन का उपयोग यदि लक्षणों की शुरुआत के चार दिनों के भीतर शुरू कर दिया जाए तो कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने या महामारी से मृत्यु होने का जोखिम आधा हो सकता है। अमेरिका के मिनेसोटा विवि के अनुसंधानकर्ताओं ने उल्लेख किया कि मेटफॉर्मिन, जिसे ग्लूकोफेज के रूप में भी जाना जाता है, का उपयोग 1950 के दशक से “फ्लुमाइन” नामक एंटी-वायरल के रूप में किया जाता रहा है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि यह दवा कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार में कारगर हो सकती है। इसमें कहा गया है कि लक्षणों की शुरुआत के चार दिनों के भीतर इसका इस्तेमाल शुरू किए जाने से कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने या इस संक्रमण से मृत्यु होने का जोखिम आधा हो सकता है। अध्ययन में 30 साल से अधिक उम्र के 1,323 लोगों को शामिल किया गया।
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