कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र में भगवान राम के नाम पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। गुरुवार को भगवान राम को मांसाहारी बताए जाने पर गुस्सा भड़क उठा। बढ़ते विवाद को देखते हुए शरद पवार वाली एनसीपी के नेता डॉ. जितेंद्र आव्हाड ने सफाई पेश की है। उन्होंने कहा कि उनका किसी की भावनाओं को आहत पहुंचाने का मकसद नहीं था।
जितेंद्र आव्हाड ने कहा, ‘आज रामायण पढ़ लिजिए कि क्या लिखा है, आपको साफ हो जाएगा। लेकिन किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं खेद व्यक्त करता हूं। मैं किसी की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहता था। लड़कियां उठाने वाले का नाम भी राम है और वो मेरे पर इल्जाम लगा रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि ’22 तारीख तक किसी लॉजिक पर बात नहीं होगी, भावना पर ही बात होगी इसलिए मैं खेद व्यक्त करता हूं।’ उन्होंने अपने खिलाफ शिकायत दर्ज होने पर कहा कि वह किसी भी एफआईआर से नहीं डरते हैं।
यह है मामला
महाराष्ट्र के शिरडी में बुधवार को एक कार्यक्रम में आव्हाड ने कहा था कि भगवान राम शाकाहारी नहीं थे, वह मांसाहारी थे। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति 14 साल तक जंगल में रहेगा वो शाकाहारी भोजन खोजने कहां जाएगा? उन्होंने जनता से सवाल करते हुए कहा कि क्या यह सही बात है या नहीं?
उन्होंने आगे कहा था, ‘कोई कुछ भी कहे, सच्चाई यह है कि हमें आजादी गांधी और नेहरू की वजह से ही मिली। यह तथ्य कि इतने बड़े स्वतंत्रता आंदोलन के नेता गांधी जी ओबीसी थे, उन्हें (आरएसएस को) स्वीकार्य नहीं है। गांधीजी की हत्या के पीछे का असली कारण जातिवाद था।’
-एजेंसी
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