कांग्रेस के भीतर अंतरकलह थमने का नहीं ले रहा है। सिलसिलेवार ढंग से लोकसभा चुनाव से पहले जिस तरह कांग्रेस पार्टी से नेताओं के पलायन का दौर जारी है। एक तरह से कांग्रेस पार्टी आवाज खोने लग रही है। ऐसा इसलिए क्यूंकि महीने भर के भीतर ही कांग्रेस से गौरव वल्लभ, रोहन गुप्ता सरीखे प्रवक्ता किनारे हो लिए हैं। इसी कड़ी में आज राष्ट्रीय प्रवक्ता देवाशीष जरारिया ने पार्टी छोड़ दी है।
आज कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मध्य प्रदेश की भिंड लोकसभा सीट के पूर्व प्रत्याशी देवाशीष जरारिया ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस में नेताओं ने मेरी राजनीतिक हत्या की जिम्मेदारी ले रखी है।
देवाशीष जरारिया ने साल 2019 में बतौर कांग्रेस उम्मीदवार भिंड संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया और उनके स्थान पर फूल सिंह बरैया को उम्मीदवार बनाया है, जिससे वे नाराज बताए जा रहे हैं।
टिकट की बारी आयी तो उनका टिकट काट दिया गया
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में देवाशीष जरारिया ने कहा है कि पिछला चुनाव भिंड संसदीय क्षेत्र से पार्टी ने लड़ाया था और चुनाव नतीजे आने के बाद नेताओं ने अगले चुनाव की तैयारी में जुटे रहने का निर्देश दिया था। जिसके बाद वे अपने अभियान में जुटे रहे और जब टिकट की बारी आई तो उनका टिकट काट दिया गया। इसके बाद न तो किसी बड़े नेता ने उनसे बात की, न ही प्रत्याशी ने उनसे संपर्क करना उचित समझा। इसके साथ ही क्षेत्र के कार्यक्रम में भी उन्हें नहीं बुलाया जा रहा है।
दूध में मक्खी की तरह निकाल फेंका
देवाशीष जरारिया ने आगे लिखा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस में नेताओं ने मेरी राजनीतिक हत्या की जिम्मेदारी ले रखी है और दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंक दिया है। मेरा कसूर क्या है? पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत किया। ग्रुप बाजी करके कांग्रेस में ही कांग्रेस को नहीं निपटाया। कांग्रेस में जो भीतरघात करता है, उसी को सबसे ज्यादा पूछा जाता है।
कांग्रेस की कथनी और करनी में क़ाफी फर्क है
देवाशीष ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस की कथनी और करनी में बहुत फर्क है। पार्टी के भीतर दलित, आदिवासियों, महिलाओं, ओबीसी वर्ग को जिम्मेदारी नहीं मिल रही है। पार्टी के लिए काम करते हुए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी की कोई नीति-रीति नहीं है, न ही इच्छाशक्ति। एक महीने तक मैंने इंतजार किया,लेकीन जहां कोई मान सम्मान नहीं है। उस जगह को छोड़ देना ही उचित है इसलिए मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
-एजेंसी
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