निमोनिया कम उम्र के बच्चों के लिए दुनिया का प्रमुख संक्रामक बीमारी है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन ) द्वारा विश्व भर में निमोनिया के प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 12 नवंबर 2009 से लगातार विश्व निमोनिया दिवस मनाया जा रहा है| इस दिवस के बनाने का उद्देश्य कि बच्चों में निमोनिया को समाप्त करना साथ ही इस दिवस के माध्यम से कमजोर बच्चों तक पहुंचने का प्रयास करना और निमोनिया के प्रति लोगों को जागरूक करना तथा निमोनिया होने के लक्षण के प्रति आम आदमी को ध्यान रखना चाहिए ।
सामान्य से अधिक तेज सांस या सांस लेने में परेशानी या सांस लेते में या खांसते में समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले हरे या जंग के रंग का बलगम, बुखार, कँपँकपी या ठंड लगना, पसीना आना, नाखून पीले होना आदि निमोनिया के लक्षण होते हैं| अगर निमोनिया बिगड़ जाता है तो बच्चे की जान चली जाती है| कोविड-19 में बच्चे क्या बड़े भी निमोनिया होने से बचाव की सलाह (डब्ल्यूएचओ) के साथ शहर के सभी डॉक्टरों ने दी। कोविड-19 में सभी डाक्टरों का मानना था कि निमोनिया होने से मरीज की जान को खतरा हो सकता है| निमोनिया होने पर पहले फेफड़ों को एक हिस्से को सख्त कर देता है। उसमें शुद्ध हवा का आवागमन भी बाधित हो जाता है। फेफड़ों में हवा की थैली में संक्रमण या बलगम भर जाता है जिससे सांस लेने में परेशानी होती है इसलिए विशेष एहतियात रखना चाहिए|
यह वर्ष कोविड-19 की वजह से निमोनिया के प्रति ज्यादा संवेदनशील व जागरूक होने की जरूरत है और इसके संक्रमण को रोकथाम के लिए सभी सामाजिक संगठन, गैर सरकारी संगठन, सरकारी संगठन व ग्लोबल गठबंधन, अंतरराष्ट्रीय समुदाय आधारित संगठन , अनुसंधान व शिक्षण संस्थान के लोगों को एक नेटवर्क बनाकर मोहल्ला अनुसार निमोनिया के प्रति जागरूक करना बनता है| आशा की जाती है कि सभी स्वास्थ्य के लिए काम करने वाले संगठन 12 नवंबर 2020 को निमोनिया के प्रति जागरूक करेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी, यूनिसेफ ने निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एकीकृत वैश्विक कार्य योजना जारी की है ताकि 2025 तक हर देश में 1000 बच्चों में निमोनिया होने वाली मौत का लक्ष्य तीन से कम किया जा सके।

–राजीव गुप्ता जनस्नेही
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