प्रकृति संरक्षण में युवाओं की भूमिका क्या है, पढ़िए विशेषज्ञों के विचार

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परिवर्तन एक दिन में नहीं, किन्तु एक दिन अवश्य होता है

आगरा कॉलेज एनसीसी आर्मी विंग ने कराया वेबिनार
Agra (Uttar Pradesh, India)। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आगरा कॉलेज एनसीसी आर्मी विंग द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने “प्रकृति संरक्षण में युवाओं की भूमिका” पर अपने विचार रखे। युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके दायित्वों का बोध कराना होगा। कहा गया कि परिवर्तन एक दिन में नहीं, किन्तु एक दिन अवश्य होता है।

युवाओं को जाग्रत किया जाए
वेबिनार का शुभारंभ करते हुए प्राचार्य डॉ. विनोद कुमार माहेश्वरी ने कहा कि मनुष्य ने अपने अहंकार में रहते हुए प्रकृति के नियमों के विरुद्ध कार्य किए हैं, जिसका दुष्परिणाम प्रकृति आज संपूर्ण मानवता को दे रही है। युवाओं की भूमिका के संदर्भ में उन्होंने कहा कि युवाओं को पर्यावरण से होने वाले नुकसान के प्रति जागृति लाने के लिए जन जागरण अभियान चलाया जाए।

भारत में सनानत काल से प्रकृति संरक्षण
इस अवसर पर बोलते हुए कंपनी कमांडर लेफ्टिनेंट अमित अग्रवाल ने कहा कि भारत के युवा सनातन काल से ही प्रकृति संरक्षण का महत्वपूर्ण कार्य करते आ रहे हैं। रामायण में भगवान श्री राम ने युवावस्था में वनों में जाकर प्रकृति का संरक्षण किया, वहीं द्वापर युग में श्री कृष्ण ने अपने किशोरावस्था से ही नदियों, पर्वतों और पशु पक्षियों के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित कर आम जनमानस को प्रकृति संरक्षण के प्रति दायित्व बोध कराया। नदियों, पर्वतों, पेड़ों व पशु-पक्षी आदि को धर्म से जोड़ कर उन्हें पूजनीय बना दिया व सदैव के लिए उनके संरक्षण की अद्भुत व्यवस्था भारतीय संस्कृति में आज भी जीवित है। भारत अपनी इन्हीं सनातन परंपराओं के सहारे संपूर्ण विश्व को प्रकृति से प्रेम करने का संदेश दे रहा है। इस अभियान में देश के युवाओं की एक महत्वपूर्ण भूमिका है चाहे वह वृहद पौधारोपण हो, सफाई अभियान हो या पशु पक्षियों को पानी व चारा डालना हो।

पर्यावरण पर काव्य पाठ
डॉ. संध्या अग्रवाल ने विचार व्यक्त करते हुए पर्यावरण संरक्षण में युवाओं की भूमिका रेखांकित की। वेवबिनार का संचालन तनिष्का माथुर एवं महिमा चौधरी ने संयुक्त रूप से किया। व्यवस्थाएं लक्ष्मी बसवराज ने संभाली। धन्यवाद ज्ञापन कैडेट अमित कुमार ने किया। कैडेट रितु भार्गव, राशि जैन, रुद्राक्षी, डोली कुमारी ने पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में विस्तार से चर्चा की। वेदवती एवं ऋतिक दुबे ने पर्यावरण असंतुलन से होने वाले सामाजिक एवं आर्थिक नुकसान के बारे में बताया। अनिकेत शर्मा ने विश्व पर्यावरण दिवस के इतिहास के बारे में जानकारी दी। कैडेट कबीर चटवाल, संतोष ओली, प्रशांत चौधरी, सुहाना खान, अंजली, यामिनी चाहर, शुभम, पुलकित बघेल ने भी अपने विचार रखे। यति मंगल, शिवानी एवं तनु मौर्य ने पर्यावरण से संबंधित कविता पाठ किया।