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उत्तर प्रदेश लेखिका मंच ने प्रो. प्रतिमा अस्थाना साहित्य सम्मान-2022 जोधपुर की प्रगति गुप्ता को दिया

साहित्य

Agra, Uttar Pradesh, India.  उत्तर प्रदेश लेखिका मंच ने प्रो. प्रतिमा अस्थाना साहित्य सम्मान 2022 जोधपुर (राजस्थान) निवासी प्रतिष्ठित साहित्यकार प्रगति गुप्ता को दिया है। सम्मान स्वरूप उन्हें स्मृति चिह्न दिया गया। पुष्पहारों से लाद दिया। उनके शुभ की कामना की गई। प्रगति गुप्ता का मायका आगरा में है। इसके साथ ही मंच की वार्षिक पत्रिका ‘अन्तःनिनाद’ का लोकार्पण किया गया। प्रो. प्रतिमा अस्थाना ने ही लेखिका मंच की स्थापना कर चूल्हा फूंकने वाली महिलाओं को लिखने के लिए प्रेरित किया। विशेष बात यह भी है कि होटल ग्रांड में यह कार्यक्रम अनुशासन के साथ हुआ।

 

सम्मान से अभिभूत साहित्यकार प्रगति गुप्ता ने कहा कि स्त्रियां बाईडिफॉल्ट सृजक होती हैं। वे अपने जीवन की हर अवस्था में कुछ न कुछ ऐसा करती हैं, जहां पर सृजन की झलक दिखती है। स्त्रियां जिस दिन स्वयं को पहचानकर या खुद के गहरे उतरना सीख जाती हैं, उस दिन उनका स्वयं से साक्षात्कार हो जाता है। स्त्री सारे दिन जो कुछ करती है, उस पर अपने हुनर का शत प्रतिशत डालने की कोशिश करती है, तब उसकी जीवन सार्थक होता है। यही इस सृजन का चरम है, जिसमें कुछ दृश्य तो कुछ अदृश्य होता है। सहज, सरल, समर्पित स्त्री मुझे प्रकृति और ईश्वर के समकक्ष बैठी नजर आती है। जब बहुत कुछ करने के बाद भी स्त्री के किए हुए को नकार दिया जाता है, श्रम को शून्य मान लिया जाता है तब यह निनाद होता है। अपने अस्तित्व और अस्मिता को बचाए रखने के लिए स्त्री हर कोशिश करती है और यही कोशिश सृजन है।

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पुस्तक का लोकार्पण करते अतिथि

उन्होंने कहा- महिलाओं में जागृति और साहित्यिक रुचि का विकास कर प्रो. प्रतिमा अस्थाना ने नारी सशक्तिकरण को साकार किया। उनका व्यक्तित्व महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। उनके संरक्षण में चिंतन, मनन और लेखन के माध्यम से नारी-चेतना का संवर्धन और कल्याणप्रद समाज का निर्माण करने का वैचारिक मार्ग प्रशस्त हुआ।

उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना सुनाते हुए स्त्री मन की अभिव्यक्ति की-

तुम्हारे अहंकार से जब-जब टूटी हूँ मैं

देखो तब-तब कुछ नया रचती हूँ मैं

तुम जब-जब ज्वालामुखी से फटे हो

मैंने वहीं के उबले लाबा से अपने लिए कुछ चुने।

जितना उफनोगे इतना ही गहरा कुछ रच दूंगी।

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प्रगति गुप्ता को प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान की निदेशक प्रो. बीना शर्मा ने कहा -एक स्त्री के जीवन में जितना द्वन्द्व होगा, उसका लेखन उतना ही प्रखर होगा। हम इसलिए नहीं लिखते कि हमें छपना है, हम इसलिए लिखते हैं कि हमसे लिखे बिना रहा नहीं जाता। विशिष्ट अतिथि प्रो. सुगम आनंद ने कहा कि सृजन करने वाले ईश्वर के स्वरूप होते हैं। साहित्यकार अरुण डंग ने कहा की सृजन हमारी आत्मा को निचोड़ता है, तभी रचना होती है।

 

समारोह का प्रारम्भ राजश्री यादव द्वारा प्रस्तुत सुरीले, स्वरचित सरस्वती वंदना से हुआ। मंचासीन अतिथियों ने देवी सरस्वती और प्रतिमा अस्थाना जी के चित्र पर माल्यार्पण किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए अध्यक्ष प्रीति आनंद ने बताया कि संस्था की स्थापना प्रो. प्रतिमा अस्थाना ने महिलाओं के सपनों और विचारों को अभिव्यक्ति देने के लिए की। अंतःनिनाद वार्षिकी उसी का प्रतिबिम्ब है। महासचिव डॉ. शिखा श्रीधर ने मुख्य अतिथि के प्रभावशाली साहित्यिक उपलब्धियों से सभी को अवगत कराया। उन्होंने मां दुर्गा का स्मरण भी किया।

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पुस्तक लोकार्पण का एक और मौका। इसमें डॉ. राजेन्द्र मिलन, मुकेश जैन और हरेन्द्र मल्होत्रा भी हैं।

डॉ. रानी परिहार ने तीस वर्ष पूर्व स्थापित संस्था उत्तर प्रदेश लेखिका मंच का परिचय देते हुए इसके विविध कार्यों की जानकारी दी। अंतःनिनाद में समाहित रचनाओं की विस्तृत समीक्षा ज्योत्सना सिंह ने प्रस्तुत की। हरेन्द्र मल्होत्रा ने पुरुष अतिथियों का स्वागत किया।

 

कार्यक्रम में डॉ. गीता यादवेन्दु का कहानी संग्रह राह ज़िंदगी की का भी लोकार्पण हुआ। इसकी समीक्षा डॉ. अमिता सरकार ने की। इस अवसर पर डॉ. गीता यादवेंदु ने कहा- लिखना मेरी जिन्दगी का हिस्सा है, जिसके बिना मैं खुद को अधूरा महसूस करती हूँ। कहानी संग्रह राह जिन्दगी की में अलग-अलग विषयों की कहानियां हैं। प्रयास यही रहता है कि समाज को कुछ सार्थक दे सकूं। प्रो. प्रतिमा अस्थान से मैंने बहुत कुछ सीखा है। जो भी लिखती हूँ, उसमें पूरे परिवार और पति का सहयोग रहता है।

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महिलाओं के कार्यक्रम में इस तरह का फोटो तो बनता ही है।

कार्यक्रम का शानदार संचालन करते हुए शशि मल्होत्रा ने कहा- जब नारी चिंतनशील होती है तब वह खरी विश्लेषक होती है। सचेतक और वस्तुस्थिति की दिग्दर्शक भी होती है। अंतःनिनाद एक ऐसा आइना है, जिसमें नारी सरोकार के अतिरिक्त युगबोध भी झलकता है। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दीपा रावत ने किया।

 

कार्यक्रम में डॉ. अमी आधार निडर को भी याद किया गया। डॉ. अपर्णा रानी पोद्दार, डॉ. राजेंद्र मिलन, मुकेश जैन, शारदा गुप्ता, वीणा खंडेलवाल, हेमलता जैन, रजनी सिंह, कल्पना श्रीवास्तन, श्रुति सिंह, मीरा गुप्ता, रुचि अग्रवाल, पद्मावती बघेल, गीता शर्मा, स्वीटी खट्टर, दलजीत ग्रेवाल, सोनम खिरवार, डॉ. रीता निगम, डॉ. सीमा सिंह, नम्रता कुलश्रेष्ठ, करुणा सिंह, सुजाता सिंह,  विनोद वोहरा  आदि की उपस्थित उल्लेखनीय रही।

उत्तर प्रदेश लेखिका मंच के कार्यक्रम में पहुंची केन्द्रीय हिन्दी संस्थान की निदेशक डॉ. बीना शर्मा का अनुभव कुछ ऐसा रहा

Dr. Bhanu Pratap Singh