डॉ. भानु प्रताप सिंह
Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में 93-फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की अजीब आदत है। वे किसी भी दल का वर्चस्व नहीं बनने देना चाहते हैं। सबको मौका देते हैं। ऐसे प्रत्याशियों को विधायक बना दिया जिनके जीतने की कोई उम्मीद नहीं कर रहा था। इस क्षेत्र में किसी जाति विशेष का प्रभाव अब तक के चुनावों में नजर नहीं आया है। हर जाति के प्रत्याशियों को वोटरों ने गले लगाया है। अगर कोई प्रत्याशी उम्मीदों पर खरा न उतरा तो उसे हटाने में नहीं चूके हैं फतेहाबाद के लोग। इस समय भाजपा के जितेन्द्र वर्मा विधायक हैं लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है। उनके स्था पर पूर्व विधायक छोटेलाल वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। फतेहाबाद में ठाकुर, निषाद, ब्राह्मण प्रभावी हैं।
1952 में हुए पहले चुनाव में फतेहाबाद से कांग्रेस प्रत्याशी इसरुल हक ने जनसंघ के प्रत्याशी नत्थीलाल बछरवा को हराया। 1957 में भी कांग्रेस के प्रत्याशी लक्ष्मी नारायण बंसल ने सोशलिस्ट पार्टी के हुकम सिंह परिहार को हराया। 1962 में हुए तीसरे चुनाव में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मी नारायण बंसल तीसरे स्थान पर रहे। रिपब्लिकन पार्टी के बनवारी लाल विप्र ने सोशलिस्ट पार्टी के हुकम सिंह परिहार को हराकर चुनाव जीता। वोटरों ने 1967 में फिर पलटा खाया। दो बार से चुनाव हार रहे सोशलिस्ट पार्टी के हुकम सिंह परिहार को विधानसभा में भेजा। कांग्रेस के लक्ष्मी नारायन बंसल को पराजित किया। 1969 के मध्यावधि चुनाव में हुकम सिंह परिहार एक बार फिर चुनाव जीते। कांग्रेस के ब्रह्मलाल परास्त हो गए।
1974 के चुनाव में वोटरों ने फिर करवट बदली। कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद दौनेरिया को विधानसभा में भेजा। सोशलिस्ट पार्टी के हुकम सिंह परिहार को हरा दिया। 1977 में जनता लहर चल रही थी। हुकम सिंह परिहार ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा। उनका मुकाबला एक बार फिर कांग्रेस के लक्ष्मी नारायन बंसल से हुआ। बंसल चुनाव हार गए। 1980 में जनता ने कांग्रेस को पसंद किया। कांग्रेस प्रत्याशी महेश उपाध्याय जीते। उन्होंने लोकदल प्रत्याशी हरनारायण सिंह को हराया। 19985 का चुनाव भी कांग्रेस के नाम रहा। कांग्रेस के अमिताभ लवानिया ने दलित मजदूर किसान पार्टी के बहादुर सिंह को हरा दिया। 1989 में जनता ने दलित मजदूर किसान पार्टी के प्रत्याशी बहादुर सिंह पर भरोसा किया। कांग्रेस के महेश उपाध्याय को 24 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया।
1991 के चुनाव में राम मंदिर की लहर आई। भाजपा जोश में थी। यहां से बिजेंद्र सिंह भाटी को टिकट दिया। वोटरों ने जनता दल के विजयपाल सिंह को विजय दिलाई। जनता दल के निवर्तमान विधायक बहादुर सिंह समाजवादी पार्टी में आ गए थे।
1993 के चुनाव में भाजपा ने छोटेलाल वर्मा को टिकट दिया। तब तक भाजपा अपनी जड़ें मजबूत कर चुकी थी। जनता दल से विजय पाल सिंह उनके मुकाबले में थे। वर्मा को जीत मिली। 1996 के चुनाव में वोटरों ने फिर छोटेलाल वर्मा को नकार दिया। जनता दल के प्रत्याशी विजयपाल सिंह पर भरोसा किया और विजयश्री दिलाई। इस जीत पर सबको अचरज हुआ था। बसपा की ओर से अशोक दीक्षित मैदान में थे।
2002 के चुनाव में भाजपा ने नए प्रत्याशी डॉ. राजेंद्र सिंह पर दांव लगाया। छोटेलाल वर्मा पहले बसपा में और फिर बाद में सपा में शामिल हो गए थे। सपा ने प्रत्याशी भी बनाया था। बसपा की ओर से विनोद जादौन और कांग्रेस से पिूजा तिवारी थीं। लोकसभा चुनाव में छोटेलाल वर्मा बसपा में आ गए थे। उन्हें लाल बत्ती दी गई।
2007 के चुनाव में में स्थितियां बदलीं। डॉ. राजेंद्र सिंह सपा के टिकट पर चुनाव लड़े। छोटेलाल वर्मा बसपा के प्रत्याशी बने। भाजपा ने नए प्रत्याशी गिर्राज कुशवाह को टिकट दिया है। कांग्रेस-रालोद गठबंधन की ओर से रालोद के सतीश उपाध्याय प्रत्याशी थे।
इस सीट से लड़ने वाले प्रत्याशी का फैसला निषादों के हाथ में है लेकिन यहां क्षत्रिय ठीक-ठाक है। क्षत्रिय-75 हजार, निषाद- 60 हजार, ब्राह्मण-40 हजार, कुशवाहा-25 हजार, गुर्जर-वैश्य 15-15 हजार की वोटर हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी जितेंद्र वर्मा को 1,01,960 वोट मिले थे। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार राजेंद्र सिंह को 67,596 वोट मिले और बीएसपी के उमेश सैंथिया को 35,040 वोट मिले थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर 48.61 प्रतिशत, समाजवादी पार्टी का वोट शेयर 32.23 प्रतिशत और बीएसपी का वोट शेयर 16.71 प्रतिशत था।
2012 के विधानसभा चुनाव में फतेहाबाद सीट पर बसपा के छोटे लाल वर्मा चुनाव जीतकर विधायक चुने गए थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी के डॉ. राजेंद्र सिंह को चुनाव में हराया था। राजेंद्र सिंह 2007 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर इस सीट से विधायक चुने गए थे। 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में फतेहाबाद सीट पर भाजपा का कब्जा था, लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट को बसपा ने अपने पाले में कर लिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी छोटे लाल वर्मा को 73,098 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह थे, जिन्हें 72,399 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के गिरिराज सिंह कुशवाहा तीसरे नंबर पर थे और उन्हें 20,502 वोट मिले थे।
2022 में मतदाता
पुरुष मतदाता 173957
महिला मतदाता 147691
किन्नर मतदाता 08
कुल मतदाता 321656
पांच साल में बढ़े मतदाता
पुरुष 10943
महिला 13384
कुल 24328
18-19 साल के नए मतदाता
4342
मतदान की तारीख: गुरुवार, 10 फरवरी 2022
मतगणना की तारीख: गुरुवार, 10 मार्च 2022
वर्ष विजेता
1952 इसरुल हक (कांग्रेस)
1957 लक्ष्मी नारायन बंसल (कांग्रेस)
1962 बनवारीलाल विप्र (रिपब्लिकन पार्टी)
1967 हुकम सिंह परिहार (सोशलिस्ट पार्टी)
1969 हुकम सिंह परिहार (सोशलिस्ट पार्टी)
1974 राजेंद्र प्रसाद दौनेरिया (कांग्रेस)
1977 हुकम सिंह परिहार (जनता दल)
1980 महेश उपाध्याय (कांग्रेस)
1985 अमिताभ लवानिया (कांग्रेस)
1989 बहादुर सिंह (जनता दल)Þ
1991 विजयपाल सिंह (जनता दल)
1993 छोटेलाल वर्मा (भाजपा)
1996 विजयपाल सिंह (जनता दल)
2002 डॉ. राजेंद्र सिंह (भाजपा)
2007 डॉ. राजेन्द्र सिंह (बसपा)
2012 छोटेलाला वर्मा (बसपा)
2017 जितेन्द्र वर्मा (भाजपा)
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