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सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों में हिन्दी व भारतीय भाषाओं में कामकाज की मांग 25 साल पहले आगरा से उठी थी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में कही ये बात

देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना का भी समर्थन

आगरा में जन्मे चन्द्रशेखर की मुहिम ला रही रंग

संविधान के अनुच्छेद 348 से पहले की स्थिति उत्तराखण्ड में बहाल

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. क्या भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के सर्वोच्च न्यायालय एवं 25 उच्च न्यायालयों में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में कामकाज शुरू कराने के चन्द्रशेखर पण्डित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय के लगभग ढाई-दशक पुराने ‘हिन्दी से न्याय’ अभियान को विजयी बनाने जा रहे हैं? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली  में देश के वरिष्ठतम न्यायधीशों एवं मुख्यमंत्रियों के बीच मातृभाषा में अदालती-कामकाज निपटाने की जरूरत पर बल दिया था। इसके बाद ही देश भर में इस पर विमर्श प्रारम्भ हो गया है।

संविधान के अनुच्छेद 348 में देश की शीर्ष-अदालतों में केवल अंग्रेजी में ही कामकाज निपटाने की बाध्यता है। यह व्यवस्था अंग्रेजों के समय से है। अनुच्छेद 370 की तरह यह भी एक अस्थायी संवैधानिक व्यवस्था है। अनुच्छेद 349 में इसे भारत का संविधान लागू होने के पन्द्रह वर्ष के भीतर इसे समाप्त करने की बात कही गयी थी। 16 वीं लोकसभा में भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल ने मामला सदन में उठाया था। वर्तमान 17वीं लोकसभा में भाजपा के ही सत्यदेव पचौरी ने अनुच्छेद 348 में संशोधन की मांग की थी।

चन्द्रशेखर का अभियान देश की सरहदों को पार करता हुआ अंग्रेजों के देश ब्रिटेन के अलावा कई यूरोपीय देशों तक पहुँच गया है। वहाँ रह रहे भारतीयों ने अभियान के समर्थन में जोरदार हस्ताक्षर-अभियान चलाया। अभी दो वर्ष के भीतर उन्होंने देश-भर से लगातार एक करोड़ नौ लाख के आसपास हस्ताक्षर जुटाये हैं। 27 प्रान्तों में उनकी टीमें काम कर रही हैं। देश के तमाम नामचीन लोगों को उन्होंने अपने अभियान से जोड़ा है ।                                   पत्रकारिता से न्यायाधीश, उत्तराखण्ड के एडीशनल एडवोकेट जनरल, वहाँ दो मुख्यमंत्रियों के ओएसडी (न्यायिक, विधायी एवम् संसदीय-काय॔) एवं विधि-सलाहकार तथा विधि-आयोग में प्रमुख-सचिव विधायी के समकक्ष सदस्य पद पर रहते हुए अनुच्छेद 348 से पहले की स्थिति को उन्होंने वहाँ बहाल करा दिया है। अब मामला संसद के पटल पर है। मोदी सरकार को इस पर फैसला करना है। जल्दी ही मोदी व चन्द्रशेखर की मुलाकात के संकेत सूत्रों ने दिये हैं। इस बार लगता है कि फैसला हो ही जाएगा।

हिन्दी से न्याय अभियान की शीर्ष संस्था केन्द्रीय अधिष्ठाता मंडल के सदस्य डॉ. भानु प्रताप सिंह (प्रबंधन विषय में हिन्दी माध्यम से पीएचडी करने वाले देश में प्रथम) एवं उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने कहा है कि कोर्ट के फैसले जनता की भाषा में करने की बात कहने वाले प्रधानमंत्री मोदी बधाई के पात्र हैं। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने अदालतों में स्थानीय भाषा में काम के लिए कानूनी व्यवस्था की बात कही है तो बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 348 में एक पंक्ति के संशोधन से कानूनी कवच मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी का उच्च अदालतों में हिन्दी और स्थानीय भाषाओं में काम शुरू होते ही अंग्रेजी का आधिपत्य सदा के लिए समाप्त हो जाएगा।

चन्द्रशेखर आगरा में जन्मे हैंउन्होंने पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया।  शहर के नूरी दरवाजा, जहाँ कभी देश के क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, बिस्मिल, जयदेव कपूर, दुर्गा बी के अलावा  उन सबके गुरु गणेश शंकर विद्यार्थी, शिव वर्मा सरीखे क्रांतिकारी रुके थे, कई बड़ी योजनाएं वहाँ बनी, यहाँ तक कि भगतसिंह ने जो बम असेम्बली में फेंका था, वह भी वहीं बना था। चन्द्रशेखर ने शहर के नूरी-दरवाजा स्थित उसी शहीद  भगत सिंह स्मारक से 23 मार्च भगतसिंह बलिदान-दिवस से अपना देशव्यापी अभियान शुरू कर देश का धयान खींचा था। लगभग ढाई-दशक बाद किसी प्रधानमंत्री ने देश के सबसे बड़े मंच से उनकी मुहिम का समर्थन किया है। यह उनके अभियान का शीर्ष-पड़ाव है।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh