मजहब है मुख़्तलिफ ये बता कर चले गये..
रोते रहे खुद, मुझको हँसा कर चले गये- काफ़िर से अपना दिल वो लगाकर चले गये। पूछा जो उनसे घर का पता मैंने दोस्तो- हौश अपना कूं-ए-यार बता कर चले गये। तारीक में वो शम्मा जला कर चले गये- मैं रूठी और वो मुझको मना कर चले गये। ग़ाफ़िल थी जिनके इश्क को लेकर मैं […]
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