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ढांचा गिराए जाने से पहले आगरा में हुई थी पहली और अंतिम सभा, पढ़िए पांच पांडवों के बारे में

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Agra (Uttar Pradesh, India)। वैसे तो राम मंदिर आंदोलन सन 1989 से शिखर पर पहुंच चुका था, लेकिन इसका चरम आया 1992 में। राम मंदिर आंदोलन के वे दिन बहुत रोमांचकारी थे। आज की पीढ़ी तो उन दिनों की कल्पना भी नहीं कर सकती। वर्तमान में श्रीराम जन्मभूमि न्यास के महामंत्री चम्पराय उन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विश्व हिन्दू परिषद के संगठन मंत्री थे। उनका केन्द्र आगरा ही था। विश्व हिन्दू परिषद के संगठनात्मक ढांचे में उन दिनों उत्तर प्रदेश का पश्चिमी भाग तथा सम्पूर्ण उत्तराखंड शामिल थे। इस दृष्टिकोण से आगरा देश में आंदोलन की गतिविधियों का मुख्य केन्द्र था।

जिनके हाथ में थी कमान आज वे बड़ी हस्तियां

उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक दिनेश चन्द्र थे जो बाद में विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संगठन मंत्री के पद पर रहे। संघ के सह प्रांत प्रचारक के रूप में रामलाल थे जो बाद में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बने। उस समय आगरा में संघ के विभाग प्रचारक के रूप में डॉ. कृष्ण गोपाल थे, जो वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह हैं। उस समय भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हृदयनाथ सिंह थे जो वर्तमान में अखिल भारतीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी का कार्य देख रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश सहमंत्री के रूप में सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट आंदोलन का दायित्व संभाले हुए थे। इन्हें पांच पांडव कहा जाने लगा था।

लखनऊ में हुई थी गुप्त बैठक

आंदोलन से पूर्व निराला नगर, लखनऊ में आंदोलन की तैयारी के संबंध में गोपनीय बैठक हुई थी। इसमें उत्तर प्रदेश के कुछ चुनिंदा लोग शामिल हुए थे। इस बैठक में आरएसएस की ओर से प्रांत प्रचारक दिनेश चन्द्र, भाजपा की ओर से क्षेत्रीय संगठन मंत्री हृदयनाथ सिंह, विहिप की ओर से प्रदेश सहमंत्री सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट शामिल हुए। वहां इन सभी के गोपनीय नाम तय किए गए। सुरेन्द्र गुप्ता को ‘डॉक्टर साहब’ नाम दिया गया क्योंकि जनता के बीच इन्हें ही रहना था।

संजय प्लेस में हुई थी सभा

6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराया गया, लेकिन उससे 10 दिन पहले 26 नवम्बर, 1992 को आगरा के संजय प्लेस के विशाल मैदान में एक आम सभा हुई थी। उस समय संजय प्लेस का अधिकांश भाग खाली पड़ा था। सभा को संबोधित करने के लिए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल को आना स्थगित किया गया। उनके स्थान पर मुख्य वक्ता के रूप में विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैकुंठ लाल शर्मा (बीएल शर्मा प्रेम) आए। मंच पर वामदेव महाराज, उषा सिंघल, रमेशकांत लवानिया, राजकुमार सामा, अमर सिंह वर्मा (सभी स्वर्गीय), हृदयनाथ सिंह आदि थे। इस सभा में अनुमान से अधिक भीड़ उमड़ पड़ी थी। इसके बाद यह तय हो गया था कि छह दिसम्बर की कार सेवा निर्णायक होगी और यही हुआ। विवादित ढांचा गिरा दिया गया। इसका प्रतिफल राम मंदिर के शिलान्यास के रूप में मिल रहा है। पांच अगस्त, 2020 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शिलान्यास करेंगे।