Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। अयोध्या में राम मंदिर की आधार शिला पांच अगस्त को रखी जाएगी। ब्रज में कार्यक्रम शुरू हो गये हैं। कई संगठन पांच से छह दिवसीय कार्यक्रमों की श्रंखला का आयोजन कर रहे हैं। वहीं ब्रज के संत अयोध्या के लिए रवाना होने लगे हैं। राम मंदिर आंदोलन में साध्वी ऋतम्भरा की महत्वपूर्ण भूमिका होने के कारण वह विशेष अतिथि के रूप मे आमंत्रित हैं और तीनों दिन की पूजा में अग्रणी रहेंगी।
महंत नृत्यगोपाल दास के गांव के लोगों ने राममंदिर निर्माण के लिए 55 हजार रुपये इकट्ठा किए
श्रीराम जन्मभूमि के महंत नृत्यगोपाल दास की जन्मस्थली गांव करहैला के लोगों ने राममंदिर निर्माण के लिए 55 हजार रुपये इकट्ठा किए हैं। इसे लेकर गांव के कुछ लोग अयोध्या रवाना हो गए हैं। वे इस धनराशि को मंदिर निर्माण के लिए महंत नृत्यगोपाल दास को सौंपेंगे। पांच अगस्त को अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन होने वाला है।
भगवान श्रीराम के मंदिर पूजन को लेकर संपूर्ण ब्रज मंडल में अपार उत्साह है
साध्वी ऋतम्भरा दीदी ने अयोध्या रवाना होने से पहले केसी घाट पर यमुना पूजन किया। वृंदावन की सनातन संस्कार धाम आनंद वाटिका में ब्रजभूमि कल्याण परिषद की विशेष बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष बिहारीलाल वशिष्ठ की अध्यक्षता में श्रीराम जन्मभूमि पूजन को लेकर हुई। इसमें भूमि पूजन के दिन दीप महोत्सव मनाए जाने पर चिंतन किया गया। परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने कहा कि भगवान श्रीराम के मंदिर पूजन को लेकर संपूर्ण ब्रज मंडल में अपार उत्साह है। भूमि पूजन की रात में ब्रज मंडल में बृज भूमि कल्याण परिषद के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं द्वारा दीप प्रज्ज्वलन महोत्सव मनाएंगे।
श्रीराम जन्मभूमि पूजन का विरोध करने वाले लोगों को भारत में रहने का अधिकार नहीं
गोकुल चंद गोस्वामी एवं अन्य उपस्थित सभी जनों ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पूजन का विभिन्न कारण दर्शाकर विरोध करने वाले लोगों को भारत में रहने का अधिकार नहीं है। भूमि पूजन के नाम पर जो लोग, राजनीतिक दल भगवान श्रीराम के विरोध करते हैं, उनको भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र के बारे में कुछ भी पता नहीं है।
यह आंदोलन बातों से नहीं हुआ, यह आंदोलन नारों से नहीं हुआ
साध्वी ऋतम्भरा दीदी ने क्हा कि सफर की पीडाएं पैरों के छाले और भी विपरीत परिस्थितयां थीं, लेकिन सब भूल जाते हैं जब मंजिल पर पहुंच जाते हैं। यह आंदोलन बातों से नहीं हुआ, यह आंदोलन नारों से नहीं हुआ। हिंदू नारियों ने अपने तरूण बच्चे सौंपे तब यह आंदोलन हुआ। तब यह शिखर पर पहुंचा।
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