Agra (Uttar Pradesh, India)। 1990 से 1992 तक राम मंदिर आंदोलन चरम पर रहा। इस दौरान आंदोलन के प्रणेता थे सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट। विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश सहमंत्री के रूप में उन्होंने अद्भुत कार्य किया। आज विश्व संवाद केन्द्र का संचालन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ करता है। उस समय विश्व हिन्दू परिषद करता था और उसका केन्द्र आगरा था। विश्व संवाद केन्द्र के प्रमुख के तौर पर भी सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट थे। इसके माध्यम से राम मंदिर आंदोलन के समाचार पूरे प्रदेश में प्रसारित किए जाते थे। www.livestorytime.com को उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में कई रोचक और रोमांचकारी संस्मरण सुनाए।
लवकुश सेना का गठन
1990 की कारसेवा के बाद शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। विजय नगर कॉलोनी में छेदीलाल अग्रवाल के निवास से राम मंदिर आंदोलन का संचालन हो रहा था। उनके यहां लॉन में कार्यकर्ता विचार विमर्श कर रहे थे। तभी विजय नगर कॉलोनी में कोई दस बच्चे निकल रहे थे। वे राम मंदिर के लिए नारे लगा रहे थे। तभी विचार आया कि बच्चों को लेकर लवकुश सेना का गठन किया जाए। सुरेन्द्र गुप्ता तब कैमरा रखते थे। उन्होंने और बच्चे जुटाए। भगवा ध्वज हाथ में थमाया। फोटो खींची। अखबारों में खबर भेजी कि लवकुश सेना का गठन हुआ और बच्चे आगे आए हैं। इस समाचार का प्रभाव यह हुआ हुआ कि बड़े लोग भी घरों से निकलने लगे कि जब बच्चे सड़क पर आ गए हैं तो हम कैसे पीछे रह सकते हैं। राम मंदिर आंदोलन के पूरे समय लवकुश सेना का समाचार चलता रहा।
भारत कुमार का किरदार
राम मंदिर आंदोलन के समय भारत कुमार नाम का एक फर्जी किरदार गढ़ा गया। उनके नाम से अखबारों में समाचार लगातार प्रकाशित हो रहे थे। आगरा की पुलिस परेशान था। वह उन्हें ढूंढ नहीं हो पा रही थी। ढूंढ तो तब पाती जब कोई व्यक्ति होता। सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट ही भारत कुमार के नाम से काम कर रहे थे। अमर उजाला ने भारत कुमार का साक्षात्कार भी छह कॉलम में छापा था। इसके बाद अन्य पत्रकारों ने प्रत्यक्ष मुलाकात की बात कही। इसके बाद भारत कुमार को आगरा से दिल्ली विदा किया गया। तो इस तरह से राम मंदिर आंदोलन में मीडिया का उपयोग किया गया।
कार्यकर्ताओं की जमानत
आंदोलन के दौरान कार्यकर्ता गिरफ्तार किए जाते थे। उनकी जमानत के लिए प्रत्येक कोर्ट में बड़ी संख्या में वकील पहुंच जाते थे। मुख्य भूमिका रतन लाल अरोड़ा एडवोकेट निभाते थे। हाल यह था कि अपनी जेब से जमानत राशि अदा करते थे। कार्यकर्ताओं को यह विश्वास हो गया था कि अगर जेल भी गए थे तो जमानत हो जाएगी। इस कारण कार्यकर्ता बड़ी संख्या में आंदोलन में भाग लेने आते थे।
घर पर दबिश
1990 में पुलिस अधीक्षक नगर ने करीब 40 पुलिस वालों के साथ सुरेन्द्र गुप्ता के पीपल मंडी स्थित आवास पर दबिश थी। सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट तब एक जमानत के सिलसिले में इलाहाबाद हाईकोर्ट गए थे। लौटकर आए तो दबिश की जानकारी मिली। उन्होंने पुलिस की कोर्ट से शिकायत की। जवाब तलब हुआ। पूछा कि किस केस के सिलसिले में दबिश दी गई। थाना छत्ता से रिपोर्ट आई कि सुरेन्द्र गुप्ता के खिलाफ कोई केस नहीं है। इसका प्रभाव यह हुआ कि आगरा के दीवानी, कलक्ट्रेट, कमिश्नरी, तहसील आदि न्यायालयों में वकील हड़ताल पर चले गए। पुलिस की बड़ी भद्द पिटी।
विश्व संवाद केन्द्र
विश्व संवाद केन्द्र का शुभारंभ भी सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट ने किया था। उनकी टीम में अमी आधार निडर, वीरेन्द्र बंसल, डब्बू पंडित और पंकज गुप्ता थे। सबके सब उत्साहित थे। पुलिस का तनिक भी भय नहीं था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का केन्द्र आगरा ही था।
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