गंदे और कटे फटे नोट के लिए प्रत्येक बैंक में एक काउंटर होना चाहिए

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा। कटे-फटे और गंदे नोट और सिक्कों को बैंक ले नहीं रहे हैं। इससे कारोबारियों के साथ ही आम लोगों की परेशानी बढ गई है। वापसी नियमावली 2009 के अनुसार बैंकों द्वारा नोट बदलने में रुचि ना लेना के संबंध में जनसहयोग समूह समन्वयक और व्यापारी नेता अजय अग्रवाल ने पीएम कार्यालय तथा वित्तमंत्री को नियमों का हवाला देते हुए पत्राचार किया है।

गंदे और कटे फटे नोट और सिक्कों के लिए प्रत्येक बैंक में एक काउंटर होना चाहिए
पत्र में अजय अग्रवाल ने कहा है कि समय समय पर सभी राष्ट्रीय कृत बैंकों के अध्यक्षों, निदेशकों तथा मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को यह आदेशित किया गया है कि गंदे और कटे फटे नोट और सिक्कों के लिए प्रत्येक बैंक में एक काउंटर होना चाहिए। ऐसा नोट वापसी नियमावली 2009 में भी कहती है। परंतु वास्तविकता यह है कि बैंकों की शाखाओं में नोटों का बदलना तो दूर की बात है। जरा सी भी चिपकी अगर नोट पर लगी है, तो बैंक उस नोट को अपने ग्राहक को वापस कर देती है ।

बैंक उसे ग्राहक को नोट बदल कर देने हेतु रिजर्व बैंक द्वारा निर्देशित है
जबकि नोट वापसी नियमावली 2009 में गंदे नोटों की परिभाषा बिल्कुल स्पष्ट है कि जो भी नोट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया गया है उसके अगर एक ही नोट के दो टुकड़े हो गए हैं और दोनों टुकड़े टेपिंग द्वारा जोड़ दिए गए हैं तो यह गंदा नोट मानकर बैंक उसे ग्राहक को नोट बदल कर देने हेतु रिजर्व बैंक द्वारा निर्देशित है। परंतु व्यवहार में बैंक ऐसे नोट लेने से इनकार कर देते हैं। जबकि नियमावली में साफ है की बैंक में नोट प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति चाहे बैंक का खाता धारक हो अथवा ना हो बैंक को नोट बदलने की सेवा उसे प्रदान करनी होगी। साथ ही नियमावली 2009 यह भी कहती है।

बैंकों को नोट वापसी नियमावली 2009 का पालन करने हेतु आप कड़ाई से निर्देशित करें

कटे-फटे नोट बदलने के संबंध में प्रत्येक बैंक को अपने यहां नोटिस बोर्ड पर लिखना चाहिए, कि इस बारे में क्या निर्देश है। परंतु कहीं भी इसका पालन नहीं हो रहा है। और अब स्थिति यहां तक है कि एटीएम से निकले नोट तक बैंकों की जमा करने वाली मशीन लेने से इंकार कर देती है। उस स्थिति में सामान्य नागरिक अपने बेवजह के नुकसान को लेकर चिंतित हो जाता है और मजबूर होकर वह नोट बदलने वाले प्राइवेट एजेंट से कुछ प्रतिशत कमीशन दे कर इस कार्य को करता है। जो कि बिल्कुल भी न्याय संगत नहीं है। भारतीय मुद्रा का सम्मान करते हुए उस पर कुछ भी लिखने और गंदा करने से बचना चाहिए इस हेतु जन सहयोग समूह मथुरा सोशल मीडिया पर भी लोगों को जागरूक करता रहता है। उन्होंने मांग की है कि बैंकों को नोट वापसी नियमावली 2009 का पालन करने हेतु आप कड़ाई से निर्देशित करें। जिससे देश की जनता को इस सुविधा का लाभ मिल सके।

Dr. Bhanu Pratap Singh