Agra (Uttar Pradesh, India)। राम मंदिर आंदोलन में सुरेन्द्र कुमार गुप्ता एडवोकेट की महती भूमिका रही है। 1990 में वही आंदोलन का चेहरा थे। पर्दे के पीछे रहकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के डॉ. कृष्ण गोपाल, रामलाल, दिनेश, भारतीय जनता पार्टी के हृदयनाथ सिंह, विश्व हिन्दू परिषद के चम्पत राय थे। रात्रि में योजना बनती और अगले दिन कार्यावन्ति हो जाती। सुरेन्द्र कुमार गुप्ता एडवोकेट ने www.livestorytime.com को ऐसे ही कई संस्मरण सुनाए जो रोमांचक के साथ संघर्षवृत्ति के परिचायक हैं। आइए जानते हैं श्री मनःकामेश्वर मंदिर पर पुलिस का छापा और उसके बाद का घटनाक्रम।
रात्रि तीन बजे पुलिस का छापा
बात सन 1990 की है। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। रामभक्तों का जमकर उत्पीड़न हो रहा था। पुलिस चाहे जिसे उठा ले जाती थी। तब राम मंदिर आंदोलनकारी समिति के अध्यक्ष श्रीमनःकामेश्वर मंदिर के मंहत उद्धवपुरी महाराज थे। पुलिस ने रात्रि तीन बजे जंगला तोड़कर उनके यहां दबिश दी। मंहत उद्धवपुरी उस समय अपने निवास स्थल पर न होकर मंदिर के अंदरूनी हिस्से में थे, जिसके बारे में पुलिस को कोई जानकारी नहीं थी।
गोपनीय बैठक में रणनीति
इस दबिश की सूचना पाते ही विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश सहमंत्री सुरेन्द्र गुप्ता एडवोकेट तत्काल महंत उद्धवपुरी महाराज के पास पहुंचे। मंहत उद्धवपुरी रोष में थे। उन्होंने कहा- पुलिस ने मंदिर में इस तरह से प्रवेश की कभी हिम्मत नहीं की है। इसके बाद सुरेन्द्र कुमार गुप्ता एडवोकेट के निवास पर कार्यकर्ताओं की गोपनीय बैठक हुई। इसमें सेवा भारती के संगठन मंत्री बृजेन्द्र सिंह उपस्थित थे। बैठक में तय किया गया कि दोपहर 12 बजे से मनकामेश्वर मंदिर से पुलिस के खिलाफ जुलूस निकाला जाएगा।
जौहरी बाजार में जुलूस पर लाठीचार्ज
समय पर जुलूस शुरू हुआ। जुलूस में महिलाओँ की संख्या बहुत अधिक थी। महिलाएं जुलूस का नेतृत्व कर रही थीं। देखते ही देखते कई हजार लोग जुलूस में आ गए। जौहरी बाजार पर जैसे ही जुलूस पहुंचा, पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। अनेक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। इसकी गूंज पूरे प्रदेश में हुई और आक्रोश फैल गया।
पत्रकार बनकर पहुंचे कोतवाली
गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं के नाम-पते ज्ञात नहीं हो रहे थे। इसमें दैनिक आज के पत्रकार प्रभाकर शर्मा की मदद ली गई। सुरेन्द्र कुमार गुप्ता उनके साथ स्वयं कोतवाली पहुंचे। सुरेन्द्र कुमार गुप्ता एडवोकेट के परिचय दिल्ली के पत्रकार के रूप में कराया गया। करीब एक घंटा तक वहां रहे और गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की।
पुलिस विभाग में खलबली
दूसरे दिन अखबारों में खबर छपी कि जिन विहिप नेता को पुलिस ढूंढ रही थी, वे एक घंटा कोतवली में रहे और पुलिस पहचान नहीं पाई। इस समाचार के बाद पुलिस विभाग में खलबली मच गई। एक बार फिर सुरेन्द्र कुमार गुप्ता की तलाश में छापमारी की गई, लेकिन वे पुलिस से एक कदम आगे चल रहे थे। रात्रि में ही भूमिगत हो गए थे। इस तरह पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी। इस जुलूस के बाद महंत उद्धवपुरी महाराज को बहुत संतोष हुआ कि हिन्दूवादी उनके साथ हैं। इसका असर यह भी हुआ कि पुलिस दोबारा मनकामेश्वर मंदिर की ओर नहीं गई।
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