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इटावा से भाजपा सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया द्वारा आगरा में आयोजित राम कथा की चर्चा क्यों

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डॉ. भानु प्रताप सिंह

आगरा में राम कथा और भागवत होती रहती हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे विजय कौशल महाराज ने आगरा में अनेक बार रामकथा सुनाई है। जितनी चर्चा कोठी मीना बाजार मैदान में हुई रामकथा की है, उतनी किसी अन्य की नहीं रही। इस राम कथा की चर्चा इसलिए अधिक हुई क्योंकि इसके आयोजक पूर्व केन्द्रीय मंत्री और इटावा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया थे। यह कितनी अजीब बात है कि प्रो. रामशंकर कठेरिया के नाम से ही आगरा के राजनीतिक गलियारे में हलचल सी हो जाती है। मैं आगरा से बाहर था, इसलिए राम कथा नहीं सुन सका। 12 अप्रैल, 2023 को विश्व शांति यज्ञ और भंडारा देखने को मिला। वहां उपस्थित श्रद्धालुओं से बातचीत की। बहुत सी नई बातें पता चलीं।

न भूतो न भविष्यति’

राम कथा का समापन 11 अप्रैल को ही हो गया था। विधिवत समापन विश्व शांति यज्ञ के बाद 12 अप्रैल, 2023 को हो गया। राम कथा को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शहर में चल रही हैं। हर कोई यह जानना चाहता है कि प्रो. रामशंकर कठेरिया ने इतना बड़ा आयोजन कैसे करा लिया, जबकि वे यहां के सांसद भी नहीं हैं? यह भी जानने का प्रयास कर रहे हैं कि राम कथा किस-किसको मिर्ची लगाने के लिए कराई गई? अधिकांश लोग कह रहे हैं कि राम कथा तो बहुत देखीं लेकिन ऐसी राम कथा नहीं देखी। यह राम कथा वास्तव में ‘न भूतो न भविष्यति’ है।

डॉ. रामशंकर कठेरिया इटावा से सांसद तो आगरा में रामकथा क्यों करा रहे हैं?

आगरा में राम कथा क्यों कराई?

मैंने यह पता लगाने का प्रयास किया कि प्रो. रामशंकर कठेरिया ने आखिर आगरा में राम कथा क्यों कराई? गहराई से खोजबीन की तो पता चला कि प्रो. कठेरिया इटावा में भागवत कराना चाहते थे। उन्होंने तुलसी पीठाधीश्वर, पद्मविभूषण, 22 भाषाओं के ज्ञाता, जगदगुरु रामभद्राचार्य से संपर्क किया। तारीख नहीं मिली। रामकथा से ठीक एक माह पूर्व अचानक ही रामभद्राचार्य महाराज ने प्रो. कठेरिया को फोन करके आगरा में राम कथा कराने की बात कही। तारीख भी उन्होंने स्वयं तय की 3 से 11 अप्रैल, 2024। कोठी मीना बाजार मैदान के लिए प्रयास किया गया तो पता चला कि आवंटन के लिए आवेदन आया हुआ है। संयोग देखिए कि उस व्यक्ति ने एक दिन बाद ही आवेदन वापस ले लिया। इस तरह मैदान मिल गया। इस तरह स्वामी रामभद्राचार्य के निर्देश पर आगरा में रामकथा हुई।

सर्वव्यवस्थाओं में माहिर

सब जानते हैं कि अप्रैल में भीषण गर्मी पड़ती है। राम कथा सुनने के लिए हजारों लोग आते हैं। कथा से पूर्व आगरा में बारिश हो गई। आयोजकों के हाथ-पांव फूलना स्वाभाविक था। सबसे बडा काम टैंट का होता है, जिसमें समय भी लगता है। जब प्रो. रामशंकर कठेरिया के पास सर्वव्यवस्थाओं में माहिर अजय अवागढ़, नाम से ही धनी धनकुमार जैन, केशव अग्रवाल, मुकेश नेचुरल, गौरव बंसल जैसे समर्पित कार्यकर्ता हों तो चिन्ता किस बात की। सबको जिम्मेदारियां दी गईं। सब अपने-अपने काम में लग गए। आज विश्व शांति यज्ञ और भंडारे में पहुँचा तो ये लोग मुझे खूब भागदौड़ करते दिखाई दिए। इसी से अनुमान लगाया जाता है कि कौन क्या कर रहा है। अजय अवागढ़ ने टैंट, केशव अग्रवाल (छवि ज्वैलर्स) ने भोजन और मुकेश नेचुरल ने प्रचार का काम सँभाला। श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही थी। सो कुर्सियों का टोटा पड़ गया। फिरोजाबाद, हाथरस, टूंडला से कुर्सियां मंगवाई गईं।

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डॉ. रामशंकर कठेरिया के बारे में

कोई राजनेता कार्यक्रम कराए तो उसमें राजनीतिक निहितार्थ ढूंढ जाना स्वाभाविक है, भले ही वह राम कथा या भागवत हो। एक समय में आगरा में भारतीय जनता पार्टी के पर्याय रहे प्रो. रामशंकर कठेरिया ने रामकथा करवाई है। इस समय वे इटावा से भाजपा सांसद हैं। वही इटावा जो कभी समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करता था। विश्व शांति यज्ञ के बाद प्रसादी में मैंने देखा कि कि प्रो. रामशंकर कठेरिया मंच से सबको निर्देश जारी कर रहे थे। कार्यकर्ता सिर नवाकर अनुपालन में रत थे। किसी को कोई शिकायत नहीं।

डॉ. मृदुला कठेरिया के बारे में

राम कथा के मुख्य आयोजक प्रो. रामशंकर कठेरिया और उनकी पत्नी डॉ. मृदुला कठेरिया थे। विश्व शांति यज्ञ के बाद कठेरिया दंपति के साथ सेल्फी की होड़ मची हुई थी। मैंने देखा कि महिलाएं डॉ. मृदुला कठेरिया के साथ सेल्फी खिंचवाने के लिए व्याकुल हुई जा रही थीं। रामकथा के लिए हर कोई कठेरिया दंपति की प्रशंसा कर रहा था। मैंने मुख्य यजमान शालिनी जैन (पत्नी धनकुमार जैन) से राम कथा के लिए साधुवाद दिया तो उन्होंने पास ही खड़ीं डॉ. मृदुला कठेरिया की ओर संकेत किया कि सब इन्होंने कराया है, हम तो इनके साथ थे। डॉ. मृदुला कठेरिया के मुख मंडल पर मुस्कान तिर गई। प्रो. रामशंकर कठेरिया तो कम ही मुस्कराते हैं। हां, उनके नयनों में मुस्कराहट परिलक्षित हो जाती है। डॉ. मृदुला कठेरिया ने मंदिर निर्माण के लिए 51 लाख रुपये रामभद्राचार्य को दिए हैं। इस कारण भी उनकी चर्चा अधिक होना स्वाभाविक है।

राम कथा में पद्म विभूषण स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने सीता राम विवाह का सुंदर वर्णन किया

मिर्ची लगाते रहे रामभद्राचार्य

तुलसी पीठाधीश्वर, पद्मविभूषण, 22 भाषाओं के ज्ञाता, जगदगुरु रामभद्राचार्य ने कोठी मीना बाजार मैदान पर कथा सुनाई। उनके बयानों और प्रवचनों से एक तरह से भाजपा के पक्ष में माहौल बना है। उन्होंने हर बात डंके की चोट पर कही। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर भी खुलकर प्रहार किया। उन्होंने यहां तक कहा दिया- ‘हिन्दू लड़कियों को विधर्मी फंसा रहे हैं, बेटियां कटार चलाने का अभ्यास करें’। ‘मरे मुलायम कांशीराम, प्रेम से बोलो जय श्रीराम’ नारा लगाया तो विरोधियों को मिर्ची लग गयी। उन्हें भाजपा का एजेंट बताया गया। सपा वाले तो प्रथम सूचना रिपोर्ट कराने पुलिस के पास पहुंच गए। रामभद्राचार्य ने कह दिया कि मैं एफ.आई.आर. से नहीं डरता हूँ। सामाजिक संचार माध्यमों में लोगों ने यहां तक कहा कि यह राम कथा हो रही है या कुछ और। रामभद्राचार्य अपनी बात कहते रहे, कुछ लोग भुनभुनाते रहे और हिन्दूवादी मुस्कराते रहे।

रामकथा में रामभद्राचार्य बोले- हिंदू लड़कियों को विधर्मी फंसा रहे हैं, बेटियां कटार चलाने का अभ्यास करें

नहीं आए धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

इस समय सर्वाधिक चर्चित कथावाचक धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री हैं। वे रामभद्राचार्य महाराज के शिष्य हैं। रामकथा में उनके आगमन की भी जानकारी दी गई थी। दिन तय नहीं था। मीडिया प्रभारी विमल कुमार ने एक दिन संकेत दिया तो मैंने समाचार भी प्रकाशित कर दिया। बाद में बताया गया कि आगमन तय नहीं है। मुझे पता चला है कि धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री आते तो कम से कम एक लाख लोग कथास्थल पर पहुंचते। प्रशासन भीड़ का दबाव झेलने के लिए तैयार नहीं था। इसी कारण उनका आगमन टाल दिया गया।

राजनीतिक लाभ मिलेगा क्या?

जानकारों का कहना है कि रामभद्राचार्य महाराज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अच्छे संबंध हैं। वे जो चाहते हैं, वह करवा लेते हैं। रामभद्राचार्य ने हाथरस की कथा में मंच से कहा था कि बेबीरानी मौर्य को मैंने राज्यपाल बनवाया है। इसका खंडन आज तक किसी ने नहीं किया है। कहा जा रहा है कि भविष्य में प्रो. रामशंकर कठेरिया को कुछ तो राजनीतिक लाभ मिलना चाहिए।

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कोठी मीना बाजार का नाम बदलेगा क्या?

स्वामी रामभद्राचार्य ने कथास्थल कोठी मीना बाजार का नाम पहले सीता बाजार करने की मांग की। फिर कहा कि नाम सीता वाटिका होना चाहिए। यह सुझाव भी डॉ. मृदुला कठेरिया ने दिया था। रामभद्राचार्य ने नाम बदलने की जिम्मेदारी केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल और प्रो. रामशंकर कठेरिया को दी है। वैसे नाम बदलने का काम नगर निगम का है। किसी भी पार्षद से प्रस्ताव लगवाकर नाम बदला जा सकता है।

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प्रसाद का वितरण

प्रसादी के बाद प्रसादी के पैकेट कार्यकर्ताओं को घर ले जाने के लिए तैयार किए गए थे। दो बजे के बाद इनका वितरण किया गया। प्रसाद की बात आती है तो मेरी पत्नी का मन भी माथे से लगाने को करता है। उन्होंने प्रसाद लाने का आग्रह किया। मैंने अजय अवागढ़ से आग्रह किया। उन्होंने केशव अग्रवाल छवि ज्वैलर्स से कह दिया क्योंकि वहीं भोजन व्यवस्था देख रहे थे। मैंने एक पॉलीथिन का इंतजाम किया। खीर गर्म थी। इसलिए घर के लिए प्रसाद न मिल सका। मेरा मानना है कि ईश्वर का प्रसाद उसे ही मिलता है, जिसके भाग्य में होता है।

Dr. Bhanu Pratap Singh