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मुख्य यजमान, प्रमुख सराफा कारोबारी और समाजसेवी धनकुमार जैन ने बताया कि राम कथा क्यों सुननी चाहिए

RELIGION/ CULTURE

कोठी मीना बाजार मैदान पर 3 अप्रैल से चल रही है श्रीराम कथा

इटावा के सांसद प्रो. रामशंकर कठेरियां हैं मुख्य आयोजक

जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज सुना रहे हैं रामचरित

आज हनुमान जन्मोत्सव और सुंदरकांड का पाठ होगा

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Agra, Uttar Pradesh, India.  प्रमुख सराफा व्यवसायी, समाजसेवी और सीबी चेन्स फर्म के चेयरमैन धन कुमार जैन-शालिनी जैन पत्नी) इन दिनों श्रीराम कथा के मुख्य यजमान हैं। धनकुमार जैन इसे श्रीराम की कृपा मानते हैं। श्रीराम कथा सुनाने के लिए जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज आए हुए हैं। वे दुनिया के जाने-माने संत हैं। उनका सानिध्य मिलना अपने आप में उपलब्धि है। वे कहते हैं- अगर आपको अपना विवेक (नीर-क्षीर में विभेद का ज्ञान) जाग्रत करना है, अवसाद को भगाना है, परिवार की कलह समाप्त करनी है, परिजनों से संबंध मधुर करने हैं, श्रीराम और हनुमान जी महाराज की कृपा प्राप्त करनी है, विकारों का शमन करना है तो रामकथा में आइए।

3 अप्रैल से चल रही है कथा

उल्लेखनीय है कि 3 अप्रैल, 2023 से कोठी मीना बाजार मैदान पर श्रीराम कथा चल रही है। इटावा के सांसद प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया- डॉ. मृदुला कठेरिया यह कथा करा रहे हैं। कथा में 25 हजार से भी अधिक श्रद्धालु प्रतिदिन आ रहे हैं। आगरा के सांसद और केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री असीम अरुण, दिनेश दुबे आदि कथा श्रवण कर चुके हैं। केन्द्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने तो भूमि पर बैठकर कथा श्रवण किया। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, कथावाचक धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को भी आना है। याद रहे कि धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के गुरु रामभद्राचार्य महाराज हैं, जो कथा सुना रहे हैं।

राम कथा से संस्कार, मर्यादा और जीवन जीने की कला

मुख्य यजमान धन कुमार जैन ने बताया कि राम कथा की महिमा अनंत है। प्रभु श्री राम की कथा आनन्ददायी, फलदायी, जीवनदायी है। यह सब सिद्धियों तथा सुख सम्पति देने वाली है। राम कथा सुनने से व्यक्ति का शारीरिक शुद्धिकरण होता है। समस्त सांसारिक दु:खों से मुक्ति मिलती हैं। राम कथा सुनने से मन निर्मल होता है। राम कथा संस्कार, मर्यादा और जीवन जीने की कला सिखाती है। राम कथा पाप, कष्ट, दुख, संताप और शोक का नाश करने वाली है। रामकथा सुनने से प्रभु श्री राम की कृपा मिलती है। राम कथा जीवन के दोषों का नाश करती है। राम कथा संस्कारित जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करती हैं। राम कथा सुनने से परिवार में आपसी प्रेम और सामंजस्य को बढ़ावा मिलता है। जहां राम कथा का पाठ होता हैं वहाँ सभी देवता सपरिवार विराजमान होते हैं। जो व्यक्ति जितनी बार राम कथा का श्रवण करेगा उसे उतना ही लाभ प्राप्त होगा।

आगरा का सौभाग्य

श्री जैन ने बताया कि राम कथा में तीन-चार घंटे के लिए ही सही, निरंतर राम का नाम लेते हैं। कलयुग में राम का नाम सुमिरन करने मात्र से भवसागर से पार हो जाता है। राम कथा कलियुग में सब मनोरथों को पूर्ण करने वाली कामधेनु गाय है। संजीवनी बूटी है। उन्होंने कहा कि यह आगरा का सौभाग्य है कि रामभद्राचार्य महाराज स्वयं रामकथा सुना रहे हैं।

पद्मविभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बारे में

रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार पद्मविभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य  का आश्रम उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में है। रामायण के अनुसार श्रीराम ने वनवास के चौदह में से बारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। वे शिक्षाविद्, बहुभाषाविद, लेखक, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानंद सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं। इस पद पर 1988 ईसवी से प्रतिष्ठित हैं। संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ (धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान) के संस्थापक अध्यक्ष हैं। जगदगुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं। वे 22 भाषाएं बोलते हैं। 80 से अधिक ग्रंथों की रचना की है, जिनमें से चार महाकाव्य हैं। वे केवल सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएँ लिखवाते हैं। उन्हें गोस्वामी तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है। उनका जन्म 14 जनवरी, 1950 को जौनपुर के सांडी खुर्द नामक गांव में हुआ था। जगदगुरु रामभद्राचार्य ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में श्राराम जन्मभूमि के संबंध में साक्ष्य दिए थे, जो निर्णय का प्रमुख आधार बना।

चित्र परिचयः श्रीराम कथा में रामलला के जन्मोत्सव पर श्रीराम के बाल स्वरूप को गोद में लिए हैं प्रो. रामशंकर कठेरिया, डॉ. मृदुला कठेरिया और कथा के मुख्य यजमान धन कुमार जैन।

Dr. Bhanu Pratap Singh