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Agra, Uttar Pradesh, India. चित्रकूट धाम बने कोठी मीना बाजार मैदान पर जय श्रीराम सेवा समिति की ओर से चल रहे श्री राम कथा महोत्सव के छठवें दिन पद्म विभूषण स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने सीता राम विवाह का वर्णन किया। सीता स्वयंवर में धनुष तोड़ने के प्रसंग को श्रद्धालुओं को विस्तार से श्रवण कराया।
राम का विरोध करने वाले हवा में उड़ जायेंगे
स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने कथा की शुरुआत में कहा कि जब 1990 में निहत्थे कारसेवकों गोलियां चलाई गई सब किसी की कान पर जूं ही रहेगी। तब हिंदुओं के रक्त से सरयू का पानी लाल हो गया था। मरने वालों में कोठारी परिवार के बच्चे भी थे। 18 वर्ष और 24 वर्ष बच्चों को घर से लाकर एनकाउंटर कर दिया। बर्बरता और नीचता की हद थी। जितनी एफआईआर करनी है करो, मैं अकेला नहीं हूँ। सौ करोड़ भारतीय हिन्दू और पच्चीस करोड़ विदेशी हिन्दू मेरे साथ हैं। मैंने कोई गलत बयान नहीं दिया। जय श्रीराम को हवा में नहीं उड़ने देंगे बल्कि उसका विरोध करने वाले हवा में उड़ जायेंगे। जब तक जिंदा हूं वैदिक हिन्दू साहित्य का प्रचार करूंगा।
कोठी मीना बाजार का नाम बदलो
उन्होंने कहा कि आगरा की ये सीता बाजार की धरती हिन्दुओं के स्वाभिमान की धरती बनेगी, पहले ये महिलाओं के अपमान की धरती थी। उन्होंने मंच पर मौजूद प्रो. एसपी सिंह बघेल और प्रो. रामशंकर कठेरिया का नाम लेकर कहा कि आपको इसका नाम बदलना है।
सीता नाम का अर्थ
सीता जी का नाम नारद जी ने रखा था। जो सबको जन्म देती है वो सीता है, जो सबका पालन करती है वो सीता है, जो दुष्टो का संहार करती हैं उसका नाम सीता है।
सीता जी का स्वयंवर
जनक जी ने प्रतिज्ञा कर ली थी की जो शिव जी के धनुष को तोड़ेगा उस बलवान और पराक्रमी से ही अपनी जानकी का विवाह करूंगा। सब जगह स्वयंवर की सूचना जनक जी ने दे दी। दूर-दूर से लोग आए। वहां रावण भी आया जिसने कैलाश पर्वत कोई उठा लिया था। एक हजार हाथ वाला सहस्रबाहु आया। धनुष नहीं उठा पाया। आज आज राम जी के विवाह को एक करोड़ 80 लाख वर्ष बीत गए है। दशरथ पुत्र राम जी मिथिला आए तो लोगों देखने आए कि आज हमारे परमेश्वर आए हैं। रामजी ने लक्ष्मण जी से कहा कि मैंने सपने में भी किसी और की बारे में नहीं सोचा। मुझे सीता से ही विवाह करना है। यह सीता सुन रही थी और उन्होंने कहा कि प्रभु आपकी ही विजय होगी। उसके बाद घोषणा हुई सब ने धनुष उठाने की कोशिश की पर कोई भी धनुष को हिला भी नहीं सका। तब जनक जी ने दुखी होकर स्वयंवर विश्राम की घोषणाकर दी। इस पर लक्ष्मण को क्रोध आ गया। उसने क्रोध से भूचाल आ गया। इस पर रामजी ने लक्ष्मण को संकेत किया तो लक्ष्मण बोले आपका अपमान किया है। जनक जी ने बोला कि धरती वीरविहीन है। तब राम जी ने कहा कि इसमें मेरा कैसे अपमान हुआ। मैं तो रघुवीर हूं। जनक जी ने रघुवीर तो नहीं कहा, फिर मेरा अपमान कैसे हुआ।
गुरु की आज्ञा से तोड़ा धनुष
शंकर जी का धनुष तोड़ने के लिए गुरुदेव का संकेत हुआ। उनकी आज्ञा लेकर रामजी ने गुरुदेव विश्वामित्र, गुरु वशिष्ठ और शंकर जी को प्रणाम कर धनुष को उठा लिया। धनुष को ह्रदय के मध्य में लाकर तोड़ दिया। उसके बाद सीता जी ने सबके सामने झुक कर प्रभु श्री राम के गले में वरमाला दाल दी और पूरा प्रांगण जय श्री राम के जय घोष से गूंज उठा।
भारत के ध्यात्म की विदेश में बहुत प्रतिष्ठा
उन्होंने कहा कि मुझे गाली से बहुत चिढ़ है। जो मनुष्य गाली देता है उसे कभी आध्यात्मिक विद्या मिल ही नहीं सकती। ऐसा कभी मत करो जिससे आपके माता पिता रोएं। अगर आपके माता पिता प्रसन्न रहेंगे तो आपको जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं हो सकता है। आज भी भारत के ध्यात्म की विदेश में बहुत प्रतिष्ठा है।
इतिहास का पुनर्लेखन देश की संस्कृति, अस्मिता और सांस्कृतिक मूल्यों को सुरक्षित करना
इनके घर हुआ आगमन
स्वामी रामभद्राचार्.य अब तक पूरन डावर, दीपांशु कुमार, गौरव बंसल और धनकुमार जैन के घर पधार चुके हैं। अगला आगमन प्रो. रामशंकर कठेरिया और केशव अग्रवाल के निवास पर होगा।
इन कार्यक्रमों में लिया हिस्सा
शनिवार को कथा से पूर्व हिन्दुस्तान कॉलेज के नजदीक पीपी टाउन स्थित लुई ब्रेल दृष्टि बाधित कॉलेज में के एल गर्ग की स्मृति में आयोजित हुए कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। दोपहर 12 बजे कीठम स्थित सुरकुटी दृष्टि बाधित विद्यायलय में विद्यार्थियों से भेट कर उनका उत्साह बढ़ाया। उसके बाद स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज वृंदावन के लिए अपने उतराधिकारी रामचंद्र और शिष्यों के साथ प्रस्थान कर गए।
छठवें दिन के यजमान
मुख्य यजमान धनकुमार जैन- शालिनी जैन रहे। दैनिक यजमान में हरि नारायण चतुर्वेदी, शकुन बंसल, राजेश गुप्ता, संजय गुप्ता, राजीव जयराम, अर्पित मित्तल, अमित गुप्ता, मनीष बंसल और नवल शर्मा रहे। शनिवार की प्रसादी वितरण की व्यवस्था मोहनलाल की रही।
उल्लेखनीय उपस्थिति
इस अवसर पर मुख्य आयोजक सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया, डॉ. मृदुला कठेरिया, मध्य प्रदेश के वन राज्यमंत्री धनश्याम पेरोनिया, केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, राज्यमंत्री योगेंद्र उपाध्याय, विधायक छोटेलाल वर्मा, पक्षालिका सिंह भदावर, विधायक टुंडला प्रेमपाल सिंह धनगर, राकेश गर्ग, डॉ. बीना लवानिया, श्याम भदौरिया, रामसकल गुर्जर, प्रेमचंद अग्रवाल, अनूप अग्रवाल, एड. अरविंद गुप्ता, दुष्यंत सारस्वत, शंभू कठेरिया, स्वदेश वर्मा, केशव अग्रवाल, सुशीला चौहान, अजय अवागढ़, आलोक जैन, पीयूष सिंघल, राकेश अग्रवाल, अनमोल अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल, ममता शर्मा, निधि बंसल, रजनी अग्रवाल, रिचा जैन आदि मौजूद रहे।
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