Public Service Broadcasting Day

पढ़िए महात्मा गाँधी का ऑल इंडिया रेडियो पर पहला और अंतिम ऐतिहासिक संबोधन

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL लेख

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के त्याग, कर्तव्यनिष्ठा व भारत की स्वतंत्रता के योगदान को हम सभी जानते हैं। महात्मा गांधी  ने 12 नवंबर 1947 को पहली बार व अंतिम बार ऑल इंडिया रेडियो All India Radio के स्टूडियो का दौरा किया था। इसी दौरे को जीवित रखने के लिए ऑल इंडिया रेडियो द्वारा हर वर्ष 12 नवंबर को लोक सेवा प्रसारण दिवस (पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग डे) Public Service Broadcasting Day के रूप उत्सव की तरह मनाया जाता है|

 महात्मा गांधी ने भारत व पाकिस्तान विभाजन के समय कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में अस्थाई रूप से बसे पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को संबोधित करना था। गांधी जी ने संबोधन के लिए कुरुक्षेत्र न जाकर ऑल इंडिया रेडियो दिल्ली के स्टूडियो का दौरा किया। ऑल इंडिया रेडियो से अपना संबोधन दोपहर को दिया। मेरे दुखी भाइयों और बहनो। मुझे पता ही नहीं था कि सिवाए आपके मुझे कोई सुनता भी है या नहीं, ये अनुभव मेरे लिए दूसरा है। पहला अनुभव इंग्‍लैंड में हुआ था जब मैं राउंड टेबल कांफ्रेंस में गया था। मुझको पता ही नहीं था कि मुझको इस तरह से कुछ बोलना भी है। मैं तो एक अंजान पुरुष हूं, मैं कोई दिलचस्‍पी भी नहीं लेता हूं, क्‍योंकि दुख के साथ मिल जाना ये तो मेरा जीवन भर का प्रयत्‍न है। जीवनभर का मेरा पेशा है, जब मैंने सुना कि आप लोगों में करीब ढाई लाख रिफ्यूजी पड़े हैं और सुना कि अभी भी लोग आते रहते हैं तो मुझको बड़ा दुख हुआ। मुझे ठेस लगी और मुझे ऐसा अहसास हुआ कि मैं आपके पास पहुंच जाऊं’। उन्‍होंने पाकिस्‍तान से अपना घर-बार छोड़कर आए शरणार्थियों से एकजुट होकर मजबूती के साथ हर परिस्थिति का सामना करने की अपील की।

इस संदेश को उन शरणार्थियों तक पहुंचाने के लिए कुरुक्षेत्र में मौजूद शरणार्थियों के बीच में एक तख्‍त पर बापू की तस्‍वीर लगाई गई और एक माइक को वहां रखे रेडियो के सामने लगा दिया गया। इसकी आवाज लाउड स्‍पीकर के जरिये दूर तक पहुंचाई गई थी। बापू का यह भाषण करीब 20 मिनट तक चला। बंटवारे की त्रासदी झेल रहे देशवासियों के लिए बापू के इस भाषण ने मरहम का काम किया और उनके जख्‍मों को भरने में अहम भूमिका भी निभाई। इसके बाद से ही इस दिन को लोक सेवा प्रसारण दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। बापू ने ही पहली बार रेडियो का इस्‍तेमाल देश में फैल रही नफरत को प्‍यार में बदलने के लिए किया था।

महात्मा गांधी न तो प्रधानमंत्री थे और न ही राष्ट्रपति। उन्होंने कोई पद नहीं संभाला। एक आम नागरिक की तरह उन्होंने आकाशवाणी के स्टूडियो से बात की। यही बात भारतीय ऑल इंडिया रेडियो के इतिहास में पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग डे के रूप में जाना गया| हर वर्ष स्टूडियो में गांधी जी के भाषण का एक टुकड़ा सम्मा  के रूप में पढ़ा जाता है जो कि बापू को श्रद्धांजलि भी देता है।

आपको अवगत करा दूँ कि 12 नवंबर की तारीख एक और घटना के लिए महत्त्वपूर्ण है। देश की पहली रेडियो उद्घोषक स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता को वर्ष 1942 में इसी दिन ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ रेडियो प्रसारण हेतु गिरफ्तार किया गया था। देश के इस प्रथम रेडियो की शुरुआत डॉ राममनोहर लोहिया की प्रेरणा से विट्ठलभाई झवेरी ने की थी। इसका संचालन उषा मेहता करती थीं। सभी को पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग डे की बहुत शुभकामनाएँ।

rajiv gupta
rajiv gupta

राजीव गुप्ता जनस्नेही कलम से

लोक स्वर आगरा

फोन नंबर 98370 97850