भारत ने आज ही के दिन 2011 में श्रीलंका को हराकर वनडे विश्व कप का खिताब जीता था। महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में मिली इस जीत को 13 साल पूरे हो गए हैं। पूर्व दिग्गज खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, बीसीसीआई सचिव जय शाह, उस विश्व कप के हीरो रहे युवराज सिंह और सुरेश रैना ने उन विजयी पलों को याद किया। भारत की यह जीत काफी अहम थी क्योंकि उसने 28 साल के बाद विश्व कप का खिताब अपने नाम किया था।
बचपन के सपने को पूरा किया
भारत को विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले सचिन ने 2011 की जीत को याद करते हुए एक्स पर लिखा, ’13 साल पहले मेरे बचपन का सपना हकीकत बना था। मैं उस पल, टीम और करोड़ों लोगों के समर्थन के लिए हमेशा आभारी रहूंगा।’ सचिन का वो छठा विश्व कप था और उन्होंने उस दौरान नौ मैचों में 53.55 की औसत से 482 रन बनाए थे जिसमें दो शतक और दो अर्धशतक शामिल थे। सचिन टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज थे।
बीसीसीआई ने भी की सराहना
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जय शाह ने भी ‘क्लास ऑफ 2011’ की प्रशंसा की जिन्होंने पूरे टूर्नामेंट के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन किया था। जय शाह ने एक्स पर लिखा, ‘2011 में आज ही के दिन हमारी भारतीय टीम ने दूसरी बार आईसीसी वनडे विश्व कप का खिताब जीतकर इतिहास रचा था। धोनी के नेतृत्व में गौतम गंभीर ने शानदार पारी खेली, सचिन के बल्ले से रन बरसे, युवराज के ऑलराउंड प्रदर्शन सहित टूर्नामेंट में पूरी टीम के अथक प्रयासों से हमारी टीम ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया था। 13 साल पहले वानखेड़े स्टेडियम पर हर एक पल ने उस रात हर भारतीयों को गौरवान्वित किया।’ बीसीसीआई ने भी अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, ‘इस विशेष दिन को याद करते हैं। 2011 में आज के ही दिन भारतीय टीम ने दूसरी बार वनडे विश्व कप की ट्रॉफी जीती थी।’
युवराज और रैना ने भी याद किए पल
2011 विश्व कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहने वाले युवराज सिंह और सुरेश रैना ने भी इस यादगार पल को याद किया। युवराज ने एक्स पर विश्व कप की यादों का एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘उस पल को महसूस कर रहा हूं।’ रैना ने भी इस जीत को याद करते हुए लिखा कि अभी भी उस ऐतिहासिक जीत को याद कर उनके रौंगटे खड़े हो जाते हैं। रैना ने लिखा, ‘2011 के उस ऐतिहासिक पल को याद कर अभी भी रौंगटे खड़े हो जाते हैं जब हमने विश्व कप का खिताब जीता था। शानदार टीम के साथ बेहतरीन यादें हैं।’ युवराज ने टूर्नामेंट के दौरान आठ पारियों में 90.5 की औसत और 86 के स्ट्राइक रेट से 362 रन बनाए थे। उन्होंने इस दौरान एक शतक और पांच अर्धशतक लगाए थे। युवराज ने 15 विकेट भी लिए थे और वह टूर्नामेंट के चौथे सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। रैना ने भी मध्यक्रम में अहम जिम्मेदारी निभाई थी।
धोनी ने लगाया था विजयी छक्का
भारत और श्रीलंका के बीच 2011 का फाइनल मुकाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर खेला गया था। श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और माहेल जयवर्धने के नाबाद 113 रनों की पारी के दम पर 50 ओवर में छह विकेट पर 274 रन बनाए। श्रीलंका के लिए संगकारा ने 48, तिलकरत्ने दिलशान ने 48 और तिषारा परेरा ने नाबाद 22 रनों की पारी खेली थी। भारत के लिए तेज गेंदबाज जहीर खान और स्पिनर युवराज सिंह ने दो-दो विकेट अपने नाम किए थे।
लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही थी और उसने जल्द ही वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर के विकेट गंवा दिए थे। हालांकि गौतम गंभीर (97), विराट कोहली (35), महेंद्र सिंह धोनी नाबाद 91 और युवराज सिंह नाबाद 21 ने भारत को जीत दिलाई।
भारत के लिए कप्तान धोनी ने विजयी छक्का जड़ा जिसकी यादें आज भी करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के यादों में तरोताजा है। भारतीय टीम इसके बाद अबतक कभी टी20 या वनडे की ट्रॉफी नहीं जीत पाई है।
-एजेंसी
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