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महर्षि वाल्मीकि को ‘मरा-मरा’ मंत्र कैसे सिद्ध हो गया, जैन साध्वी वैराग्य निधि ने बताया बड़ा कारण

RELIGION/ CULTURE

जैन साध्वी का प्रवास और प्रवचन 21 जुलाई से से दादाबाड़ी में

अरिहंत तप शुरू, तेले की तपस्या करने पर अर्पित वेद का स्वागत

Agra, Uttar Pradesh, India. पृथ्वीचंद जैन स्मृति भवन में जैन साध्वी वैराग्य निधि महाराज ने जीवन की श्रेष्ठता किसमें विषय पर सारगर्भित प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने वास्तविक जीवन का लक्ष्य पता नहीं है। आत्मानुभूति में ही जीवन की श्रेष्ठता है। इस मौके पर श्वेताम्बर जैन मूर्तिपूजक श्रीसंघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि 21 जुलाई से साध्वी महाराज का प्रवास जैन दादाबाड़ी में होगा और वहीं पर प्रवचन प्रातः 9 से 10 बजे तक होंगे।

 

जैन साध्वी ने कहा- बाराती, बैंड सबकुछ है लेकिन बारात में वर राजा न हो तो बारात का कोई अर्थ नहीं है। इसी तरह जप-तप-अनुष्ठान आदि सभी शुभ क्रिया हों किन्तु आत्मारूपी वर राजा न हो तो आनंद का अनुभव नहीं हो पाता है। स्वयं की आत्मा को प्राप्त करने के लिए परमात्मा सर्वश्रेष्ठ आलंबन है।

 

उन्होंने कहा कि संत वाल्मीकि ने राम-राम की जगह मरा-मरा का जाप किया किन्तु श्रद्धा थी, इसलिए मंत्र सिद्ध हो गया। राम नाम लिखकर पत्थर तालाब में छोड़ने पर पत्थर डूबा नहीं वरन तिर गया। परमात्मा के नाम स्मरण के साथ प्रभु के गुणों का भी स्मरण करें।

 

वैराग्य निधि महाराज ने कहा कि अशुभ भाव पहल मन में आते हैं इसके पश्चात वचन व काया में, जबकि शुभक्रिया पहले काया व वचन द्वारा की जाती है, फिर धीरे-धीरे मन को उसमें रस आने लगता है। आरंभ में ध्यान में मन नहीं लगता परन्तु धीरे-धीरे अभ्यास करते-करते ध्यान में मन स्थिर होने लग जाता है। परमात्मा के प्रति, भक्ति से निर्मलता बढ़ती जाती है। फिर एक दिन साधक को स्वयं को शुद्ध आत्मा की अनुभूति होती है। इसके बाद पूर्णानंदमय अवस्था साधक को प्राप्त होती है।

 

राजकुमार जैन ने बताया कि 20 जुलाई से अरिहंत तप शुरू हो गए हैं। इसके तहत तपस्वी एक दिन निर्जल रहता है दूसरे दिन दो बार भोजन करता है। यह क्रम 24 दिन तक चलता है। 25 जुलाई से अधिक संख्या तपस्वी अरहिंत तप करेंगे। जैन समाज में इस समय तेले की तपस्या चल रही है, जिसमें तीन दिन तक केवल पानी पीकर रहते हैं। आज अर्पित वैद्य की तेले की तपस्या पूर्ण होने पर श्रीसंघ द्वारा स्वागत और तपस्या की अनुमोदना की गई।

 

इस मौके पर सुशील जैन, योगेश बाबू जैन, मनीष गादिया, दुष्यंत जैन, सीए चिराग जैन, रवि लोखड़, राजेंद्र धारीवाल, रॉबिन जैन, प्रदीप लोढ़ा, राजीव खरड़, विनय वागचर, केके कोठारी, सुनील, प्रेम ललवानी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh