New Delhi (Capital of India) । अरबी शब्द ‘हलाल’ का अर्थ इस्लाम के अनुसार है वैध ! मूलतः मांस से संबंधित ‘हलाल’ की मांग अब शाकाहारी खाद्यान्नों के साथ ही सौंदर्य प्रसाधन, औषधियां, चिकित्सालय, गृहसंस्थाएं, मॉल जैसे अनेक बातों में की जाने लगी है । उसके लिए निजी इस्लामी संस्थाओं की ओर से ‘हलाल प्रमाणपत्र’ लेना अनिवार्य किया गया है। हिन्दू जनजागृति समिति ने यह आवाहन किया है कि हलाल प्रमाणित उत्पादों का बहिष्कार करें। आइए जानते हैं विरोध क्यों किया जा रहा है।
धर्मनिरपेक्ष भारत में सरकारी संस्था ‘अन्न सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’ (FSSAI) की ओर से प्रमाणपत्र लेने पर यह निजी इस्लामी प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य क्यों ? भारत में मुसलमानों की संख्या केवल 15 प्रतिशत होते हुए भी शेष 85 प्रतिशत हिन्दुओं पर ‘हलाल प्रमाणपत्र’ क्यों थोपा जा रहा है ? सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि, ‘हलाल प्रमाणिकरण’ के द्वारा होने वाली करोड़ों रुपए की आय केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को न मिलकर कुछ इस्लामी संगठनों को मिल रही है। यह प्रमाणपत्र देने वाले संगठनों में से कुछ संगठन आतंकी गतिविधियों में संलिप्त धर्मांधों को छुडाने हेतु न्यायालयीन सहायता कर रहे हैं । साथ ही केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ‘नागरिकता संशोधन कानून (CAA)’ का विरोध कर रहे हैं । धर्मनिरपेक्ष भारत में इस प्रकार धर्म पर आधारित समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी की जाना, देश की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत गंभीर बात है। अतः शासन ‘हलाल प्रमाणिकरण’ पद्धति को तत्काल बंद करे और सभी नागरिक ‘हलाल प्रमाणित’ उत्पादों का बहिष्कार करें ।
सबसे अचंभित करने वाली बात यह है कि, स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहलानेवाली पिछली सरकार ने ‘भारतीय रेल’, ‘एयर इंडिया’ एवं ‘पर्यटन विभाग’ जैसी सरकारी संस्थाओं में भी ‘हलाल’ को अनिवार्य बनाने के लिए खुली छूट दी । सुप्रसिद्ध ‘हल्दीराम’ का शुद्ध शाकाहारी नमकीन भी अब ‘हलाल प्रमाणित’ हो चुका है । सूखे फल, मिठाई, चॉकलेट, अनाज, तेल से लेकर साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, काजल, लिपस्टिक आदि सौंदर्यप्रसाधन; मैकडोनाल्ड का बर्गर और डॉमिनोज का पिज्जा भी ‘हलाल प्रमाणित’ है। इस्लामी देशों में निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के लिए ‘हलाल प्रमाणपत्र’ अनिवार्य है; किंतु हिन्दूबहुसंख्यक भारत में ये अनिवार्यता क्यों ? यदि यह ऐसा ही चलता रहा, तो भारत ‘इस्लामीकरण’की ओर अग्रसर है, ऐसा कहा जाए, तो उसे अनुचित नहीं कहा जा सकता ।
भारत सरकार का ‘अन्न सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण’, साथ ही अनेक राज्यों में ‘अन्न एवं औषधि प्रशासन’ विभाग के होते हुए भी ‘हलाल प्रमाणपत्र’ देनेवाली अनेक इस्लामी संस्थाओं की आवश्यकता ही क्या है ? इस हलाल प्रमाणपत्र के लिए प्रत्येक व्यापारी से पहले 21,500 रुपए और उसके पश्चात प्रतिवर्ष उसके नवीनीकरण के लिए 15,000 रुपए लिए जाते हैं । इससे उत्पन्न इस समानांतर अर्थव्यवस्था को तोड़ डालना अत्यावश्यक है, यह हिन्दू जनजागृति समिति की भूमिका है। इसके लिए ‘भारत में ‘हलाल की अनावश्यकता’, ‘भारत की धर्मनिरपेक्षता पर लगाया हुआ बारुद’, साथ ही ‘सरकार की हो रही हानि’ आदि विषयों पर समिति पूरे देश में उद्योगपतियों के साथ बैठकें, जागृति लाने हेतु व्याख्यान, साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में जागृति ला रही है।
– रमेश शिंदे,
राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
-शुभम सोनी
हिन्दू जनजागृति समिति, आगरा
09359347676