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विजय सिंह राणा ने कुआं खेड़ा गांव को दिलाई थी नई पहचान

NATIONAL POLITICS PRESS RELEASE REGIONAL

1996 के चुनाव में प्रतिद्वंद्वी सेठ किशनलाल बघेल के बेटे को घर में जलपान कराया था

गुरुजी कहकर संबोधित करते थे सेठ जी, राणा के कहने पर 20 हैंडपम्प भी लगवाए थे

Agra, Uttar Pradesh, India. पूर्व विधायक विजय सिंह राणा पंचतत्व में विलीन हो गए। 83 वर्ष की उम्र में 29 अप्रैल, 2021 को उन्होंने अंतिम श्वांस ली। वे लम्बे समय से अस्वस्थ थे। मूल रूप से बमरौली कटारा के रहने वाले थे। वे दयालबाग विधानसभा क्षेत्र (अब आगरा ग्रामीण) से 1980 से 1991 तक चार बार विधायक रहे। जनता पार्टी सेकलुर चौधरी चरण सिंह, लोकदल और जनता दल में रहे। 1993 में उनके विजय रथ को चौधरी उदयभान सिंह (अब फतेहपुर सीकरी से विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री) ने रोका। विजय सिंह राणा ने ही विधानसभा में कहा था- उत्तर प्रदेश में कुआँ खेड़ा[BP1] [BP2]  ऐसा गांव है, जहां दूध नहीं बेचा जाता। जो दूध बेचता है, उसके यहां कोई न कोई अनहोनी हो जाती है। जरूरतमंद को दूध फ्री में दिया जाता है। इसके बाद तो कुआंखेड़ा गांव पूरे देश में विख्यात हो गया। तमाम अखबरों ने स्टोरी प्रकाशित कीं।

पूर्व विधायक के भतीजे यशपाल सिंह राणा (पूर्व ब्लॉक प्रमुख) ने बताया कि 29 अप्रैल को गांव में अंतिम संस्कार किया गया। राणा के अंतिम श्वांस जाट हाउस में ली। वे वहीं रह रहे थे। अधिक बीमार होने पर अस्पताल ले जाने की बात कही लेकिन वे नहीं माने। वे एक बार विधान परिषद सदस्य भी रहे थे। इस तरह से उत्तर प्रदेश विधान परिषद के पांच बार सदस्य रहे।

1996 के विधानसभा चुनाव में विजय सिंह राणा और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार सेठ किशनलाल बघेल आमने-सामने थे। रिश्तों का अहसास ऐसा था कि सेठ जी, विजय सिंह राणा को ‘गुरुजी’ कहकर सम्बोधित करते हुए चरणस्पर्श भी करते थे। चाहे वह प्रचार का मैदान रहा हो या कोई सामाजिक कार्यक्रम। टीबी जग्गी ने हमें इस संबंध में एक किस्सा बताया- 1996 के चुनाव में सेठजी के ज्येष्ठ पुत्र डॉ. प्रेम सिंह बघेल जो हार्टीकल्चर के विशेषज्ञ हैं, के साथ प्रचार से शाम को लौट रहे थे।  विजय सिंह राणा के गांव बमरौली कटारा आते ही जीप पंक्चर हो गई। उसी समय विजय सिंह राणा का आगमन हो गया। विजय सिंह राणा ने प्रेम सिंह बघेल को देखते ही अपने परिजनों से कहा- यह सेठ का लड़का है। अपनी जीप में से पहिया खोलकर लगा दो और इन सबको कुछ खिला-पिलाकर भेजना, सुबह से निकले होंगे। हमारी जीप का पहिया बदला गया और जलपान भी कराया गया। यह उस दौर में हमारे लिए आश्चर्य का विषय था।

जब चुनाव का परिणाम आया तो जीत का सेहरा सेठ किशनलाल बघेल के सिर पर सजा। मतगणना हाल में ही सेठजी ने विजय सिंह राणा का चरणवंदन किया। राणा ने भी उसी समय उन्हें आशीर्वाद दिया।

उस समय विधायक को सौ हैंडपंप मिला करते थे। विजय सिंह राणा चुनाव हार गए थे लेकिन जनता के बीच में जाकर काम कराने की ललक फीकी नहीं पड़ी थी। उन्होंने 20 हैंडपंप की सूची सेठ किशनलाल बघेल जी को सौंपी, जिसे बिना किसी ना-नुकुर के बघेल ने अनुमोदित किया और हैंडपम्प लगवाए। सेठ जी अब दुनिया में नहीं हैं। आज के समय राजनीति की परिभाषाएँ इस कदर संक्रमित कर दी हैं कि व्यक्तिगत आस्थाओं पर संकट के बादल घिर आए हैं।


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