Dr bhanu pratap singh UP election

UP election 2022 इसलिए गणेश परिक्रमा कर, नेताओं को जेब में धर

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डॉ. भानु प्रताप सिंह

राजनीति की चाल बड़ी निराली है, ‘नवयौवना’ की तरह मतवाली है। कभी पैदल चलाए तो कभी लाल बत्ती दिलाए। कभी दरबार लगाए तो कभी दर-दर घुमाए। बचपन से पार्टी के काम में गला, फिर भी नहीं कोई मुकाम मिला। विश्वास न हो तो ‘शिवशंकर’ का ध्यान धरो, राजनीति में सोच-समझकर ही काम करो। दूध बेचने वाले, जूता गांठने वाले और स्कूल चलाने वाले विधायक बन गए, बिना कोई काम किए राजनीति में तन गए। ऐसे ही एक विधायक हमसे टकरा गए, बातों ही बातों में बहुत सी बातें बता गए-

फार्मूला नंबर-1: नादान हैं वे जो पार्टी का काम करते हैं, ऐसे लोग तो तिल-तिल कर मरते हैं। काम करने वाला ‘बैशाखनंदन’ कहलाता है और लात ही लात खाता है। जो पार्टी का झंडा लेकर आगे बढ़ा, पार्टी के लिए लड़ा, जेल में सड़ा, वो वहीं का वहीं खड़ा। जो बैकडोर से आया, ऊपर के नेताओं को पटाया, माल खिलाया, उसी ने टिकट पाया। फिर वो सांसद-विधायक बन जाता है, पहले पैर छूता था और अब आँखें दिखाता है। इसलिए गणेश परिक्रमा कर, नेताओं को जेब में धर।

फार्मूला नंबर-2: कितने ही कार्यकर्ता सालों से काम कर रहे हैं, फिर भी नहीं ‘तर’ रहे हैं। सभाओं में नारे लगाते हैं, दरी बिछाते हैं। विरोधियों से लड़-लड़ जाते हैं, जेल भी जाते हैं फिर भी कुछ नहीं पाते हैं। हां, जो बैठे-बैठे हुक्म चलाते हैं, वे आगे ही बढ़ते जाते हैं। राजनीतिक के इस मर्म को समझो, राजनीति के इस धर्म को समझो। इसलिए राजनीति का धर्म निभाओ, बिना किए ही सब कुछ पाओ। गणेश परिक्रमा कर, नेताओं को जेब में धर।

फार्मूला नंबर-3: न किसी के घर जाओ, न किसी को घर बुलाओ। न किसी को खिलाओ, न किसी को पिलाओ। हां, कोई पीने का ऑफर दे तो न ठुकराओ, फ्री में मिले तो भी लिमिट में पैग चढ़ाओ। न किसी को जय भीम कहो, न राम-राम, न जय समाजवाद, न सलाम। न राधे न वादे। न जाति की बात करो न समाज का ध्यान धरो। जो पैसे लेगा वो टिकट देगा। वही वोट ट्रांसफर कराएगा और जीत दिलाएगा। इसलिए गणेश परिक्रमा कर, नेताओं को जेब में धर।

फार्मूला नंबर-4: अपने बिजनेस पर ध्यान दे, एक-एक पाई पर जान दे। जैसे बूंद-बूंद से घट भरता है, वैसे ही पाई-पाई से ‘सूटकेस’ भरता है। चुनाव के ऐनवक्त चल राजनीतिक चाल, सूटकेस निकाल। शुरू में लुटा माल, बाद में हो जा मालामाल। इसलिए गणेश परिक्रमा कर, नेताओं को जेब में धर।

और अंत में

नेताओं के बारे में पद्मश्री गोपालदास नीरज का दोहा देखिए-

नेताओं के पास हैं अब ये दो ही काम,

मंदिर में काटें सुबह, मदिरालय में शाम।

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