प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखकर इस साल दर्ज हुए एक मामले में पूछताछ के लिए पेश होने को सात दिन का वक़्त दिया है.
इस पत्र में उनसे दो दिनों के भीतर जगह और तारीख़ तय कर ईडी को लिखित रूप में जानकारी देने की बात कही गई है. यह मामला सरकारी दस्तावेज़ में छेड़छाड़ और जालसाज़ी करने से संबंधित है.
ईडी ने बड़गाई अंचल के एक राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप के ख़िलाफ़ इन्फोर्समेंट केस इन्फ़ॉर्मेशन रिपोर्ट (ईसीआइआर) संख्या आरएनजेडओ/25/23 दर्ज किया था.
एजेंसी ने तब दावा किया था कि उन्हें सरकारी दस्तावेज़ में हेराफेरी कर ज़मीन की ख़रीद-बिक्री करने के साक्ष्य मिले हैं.
ईडी इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ करना चाहती है. इसके लिए पिछले अगस्त से अब तक उन्हें कुल सात समन भेजे गए हैं.
मुख्यमंत्री या उनके कार्यालय ने इस ताज़ा पत्र (समन) पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
ईडी अधिकारियों ने भी इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन इस पत्र की प्रति मीडिया संस्थानों में उपलब्ध हैं. स्थानीय मीडिया ने भी इससे संबंधित ख़बरें प्रकाशित की है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने इससे पहले भी छह समन भेजे थे और किसी समन के बाद मीडिया को कोई बयान नहीं दिया था. हालाँकि, हर समन की प्रतियाँ मीडिया को उपलब्ध होती रहीं. इस बार भी यही हाल है.
क्या लिखा है पत्र में
ईडी ने अपने पत्र को पीएमएलए-2002 की धारा 50 के तहत समन मानने के लिए कहा है.
ईडी ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा, “अगर आपने इसे नहीं माना तो समझा जाएगा कि आप जान बूझकर ईडी की ओर से भेजे गए समन का अनुपालन नहीं करना चाहते.”
पत्र में यह भी लिखा, “आपका बयान दर्ज करने के लिए छह समन भेजे गए थे लेकिन आप एक बार भी ईडी कार्यालय में हाजिर नहीं हुए. इसके लिए आपने निराधार कारण बताए. समन के आलोक में आपके हाज़िर नहीं होने की वजह से मामले की जाँच में अड़चन पैदा हो रही है और जाँच प्रभावित है.”
मुख्यमंत्री कहाँ हैं
ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जब यह पत्र भेजा, तब वे अपनी सरकार की चौथी सालगिरह के मौक़े पर रांची में आयोजित एक भव्य समारोह में शामिल थे.
इस दौरान उन्होंने घोषणा की थी कि झारखंड में दलितों और आदिवासियों को 50 साल की उम्र से ही वृद्धावस्था पेंशन दी जाएगी.
इससे पहले हुए कई कार्यक्रमों में हेमंत सोरेन ने कहा था कि जब वे केंद्र सरकार से अपना हक़ माँगते हैं तो सरकार उनके पीछे ईडी लगा देती है. लेकिन ‘मैं इससे डरने वाला नहीं हूँ. मुझे जेल का भय दिखाकर डराया नहीं जा सकता.’
अपनी सरकार की चौथी सालगिरह की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी से संबंधित एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत में क़ानून का राज है. ये क़ानून ईडी पर भी लागू होता है.
हेमंत सोरेन ने कहा, “मैं आदिवासी हूँ लेकिन बोका नहीं हूँ. यह राज्य हमने संघर्ष कर लिया है. हमारी सरकार जनता के हक़ के लिए काम कर रही है, तो हमें तंग किया जा रहा है. हम इससे डरने वाले नहीं हैं.”
-एजेंसी
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