ट्रम्प प्रशासन में भारतीयों का दबदबा, काश पटेल को एफबीआई डायरेक्टर की जिम्मेदारी

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वाशिंगटन। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के डायरेक्टर पद के लिए अपने निकट सहयोगी एवं विश्वासपात्र काश पटेल को नामित किया। यह सेलेक्शन ट्रंप के इस दृष्टिकोण के अनुरूप है कि सरकार की कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। साथ ही ट्रंप ने अपने विरोधियों के विरुद्ध प्रतिशोध की इच्छा जताई है। ऐसे में इस पद के लिए पटेल का चयन मायने रखता है। इस तरह ट्रंप के नए प्रशासन में एक और भारतवंशी को महत्वपूर्ण स्थान मिला है। जानते हैं कि ट्रंप प्रशासन में किन भारतीय-अमेरिकी को अहम जिम्मेदारी मिल चुकी है।

काश पटेल की नियुक्ति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही। पटेल अमेरिका में कानून व्यवस्था और नेशनल सिक्योरिटी को मजबूत करने पर फोकस करेंगे। 44 वर्षीय पटेल 2017 में तत्कालीन ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के अंतिम कुछ हफ्तों में अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में भी काम कर चुके हैं।

पेशे से वकील पटेल का संबंध गुजरात में वडोदरा से रहा है। पटेल भारत में अयोध्या में बने राम मंदिर को लेकर दिए बयान की वजह से भी चर्चा में रहे थे। निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने विवेक रामास्वामी को नए डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) के लिए चुना है। बिजनेसमैन रामास्वामी का काम सरकार को सलाह देना होगा। भारतवंशी रामास्वामी करोड़पति शख्स हैं और एक दवा कंपनी के फाउंडर भी हैं। विवेक रामास्वामी राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने की दौड़ में शामिल थे लेकिन बाद में उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली। इसके बाद उन्होंने ट्रंप का समर्थन करने का फैसला किया था।

भारतीय प्रवासी के 39 वर्षीय पुत्र रामास्वामी पहले भारतीय-अमेरिकी हैं जिन्हें ट्रंप ने अपने प्रशासन में शामिल किया है। उनके पिता वी गणपति रामास्वामी पेश से इंजीनियर हैं, जबकि उनकी माता गीता रामास्वामी मनोचिकित्सक हैं। उनके माता-पिता केरल से अमेरिका चले गए थे। सिनसिनाटी, ओहियो में जन्मे और पले-बढ़े, भारतीय मूल के बिजनेसमैन राष्ट्रीय स्तर के टेनिस खिलाड़ी थे।

उन्होंने हार्वर्ड से बायोलॉजी में ग्रेजुएशन की। इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की बायोटेक कंपनी, ‘रोइवेंट साइंसेज’ शुरू की। बायोटेक बिजनेसमैन की शादी अपूर्वा से हुई है, जो गले की सर्जन हैं। वे ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी वेक्सनर मेडिकल सेंटर में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वे कोलंबस, ओहियो में रहते हैं और उनके दो बेटे हैं।

डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व सदस्य तुलसी गबार्ड ‘डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस’ (डीएनआई) के रूप में सेवाएं देंगी। गबार्ड चार बार सांसद रह चुकी हैं। वह 2020 में वह राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उम्मीदवार भी थीं। गबार्ड के पास पश्चिम एशिया और अफ्रीका के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में तीन बार तैनाती का अनुभव है। वह ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक जय भट्टाचार्य को देश के टॉप हेल्थ रिसर्च एवं वित्त पोषण संस्थानों में से एक, ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ’ (एनआईएच) के निदेशक के रूप में चुना है। इसके साथ ही भट्टाचार्य, ट्रंप द्वारा शीर्ष प्रशासनिक पद के लिए नामित होने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी बन गए हैं। डॉ. भट्टाचार्य रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर के साथ मिलकर राष्ट्र के मेडिकल रिसर्च की दिशा में मार्गदर्शन करेंगे।

भारतीय-अमेरिकी वकील उषा चिलुकुरी वेंस उस समय चर्चा में आईं, जब उनके पति जे डी वेंस को रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नामित किया गया। ट्रंप-वेंस की जीत के साथ, 38 साल की उषा अमेरिका की सेकंड लेडी बनने वाली हैं। इस भूमिका में उषा पहली भारतीय-अमेरिकी होंगी। उषा, ओहियो के सीनेटर जे डी वेंस (39) के साथ खड़ी थीं, जब ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद समर्थकों को संबोधित किया।

भारतीय प्रवासियों की बेटी उषा सैन डिएगो उपनगर में पली-बढ़ीं। उनके माता-पिता का पैतृक गांव आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले में वडलुरु है। पढ़ाई में होनहार छात्रा रहीं और किताबों से लगाव रखने वाली उषा ने आगे चलकर नेतृत्व के गुण दिखाए। उषा का जुड़ाव कैम्ब्रिज, येल यूनिवर्सिटी से भी रहा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न सदस्यों के लिए भी काम किया। उनकी आखिरी नौकरी मुंगर, टोल्स एंड ओल्सन एलएलपी में दीवानी मुकदमे की वकील के रूप में थी।

उषा और वेंस की मुलाकात येल लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई थी। बाद में 2014 में केंटकी में उनकी शादी हुई। वेंस के तीन बच्चे हैं। बेटे इवान और विवेक साथ ही एक बेटी जिसका नाम मिराबेल है।


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Dr. Bhanu Pratap Singh