किशोरों को अकेलेपन का एहसास न होने दें

HEALTH REGIONAL

Saharanpur (Uttar Pradesh, India) लॉकडाउन के चलते लोग घरों में रह रहे हैं। घरों में रहने वाले किशोर तनावग्रस्त न हों, ऐसे में उन्हें चाहिए कि वह अपने परिजनों से बातचीत करें, उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। साथ ही अभिभावकों को भी चाहिए कि वह उन्हें अकेलेपन का अहसास न होने दें। ऐसी स्थिति में अपने बच्चे को सहारा दें, कोविड-19 के प्रकोप के बारे में पॉजिटिव बात करें।  उनके प्रश्नों का उत्तर दें और ऐसे तथ्यों को साझा करें जो आपके बच्चे या किशोर समझ सकें। अपने बच्चे या किशोर को आश्वस्त करें कि वह सुरक्षित हैं। उन्हें बताएं कि अगर वह परेशान हैं तो यह ठीक नहीं है। उनके साथ यह बात साझा करें कि आप अपने तनाव से कैसे निपटते हैं। नियमित दिनचर्या बनाए रखने की कोशिश करें स्कूल बंद है तो सीखने की गतिविधियों और आराम या मजेदार गतिविधियों के लिए एक कार्यक्रम बनाएं।

संवाद बनाए रखना बहुत जरूरी

मौलाना शेख उल हिंद महमूद उल हसन मेडिकल कालेज के मानसिक चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डा. आशुतोष कुमार का कहना है कि किशोरों से संवाद बनाए रखना बहुत जरूरी है। उन्हें किसी तरह से विचलित नहीं होने देना चाहिए। उन्हें किसी भी तरह की समस्या है तो उसका समाधान करें, यदि स्थिति गंभीर हो रही हो तो चिकित्सक से परामर्श करें।


गंभीर बीमारी वाले लोगों का रखें ध्यान

 उच्च जोखिम वाले लोग जैसे वृद्ध, व्यस्क और अंतर्निहित स्वास्थ्य की स्थिति वाले लोगों में भी कोविड -19 के कारण तनाव का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए विशेष सावधानियां बरतें। वृद्ध वयस्कों और विकलांग लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं होने का खतरा जैसे अवसाद बढ़ना, मानसिक स्वास्थ्य समस्या, शारीरिक शिकायतों जैसे सिर दर्द या पेट में दर्द या संज्ञानात्मक समस्याओं जैसे ध्यान केंद्रित करने में परेशानी। डा. आशुतोष का कहना है कि दूर रह रहे अपने प्रियजनों से बात कर हाल चाल लेते रहें, वीडियो कॉल से बात करते रहें। इससे आपके प्रिय जनों को अकेलापन नहीं लगेगा और वह जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। अपने प्रियजनों के साथ किसी भी तरह जुड़ने पर विचार करें। टेलीफ़ोन , ईमेल पत्र या कार्ड मेल या  वीडियो चैट से जुड़ सकते हैं।