tajmahal corona

जैसे कोर्ट में तारीख पर तारीख वैसे आगरा में अधिकारी पर अधिकारी

NATIONAL REGIONAL

-सब्जी, दूध, जरूरी सामान मिले न मिले, शराब और गुटखा की कमी नहीं

-पीओ और झूमो, खाओ और थूको, कोरोना फैलता है फैले, अफसरों को क्या

-कोरोनावायरस के कारण पूरे उत्तर प्रदेश में टॉप पर ताजमहल का आगरा

Agra (Uttar Pradesh, India)। ताजमहल के शहर आगरा की अजीब कहानी है। यहां सबकुछ बंद है, चालू हो तो शराब की दुकानें। सब्जी, दूध, जरूरी सामान की किल्लत है, लेकिन शराब और गुटखा की नहीं। पीओ और झूमो। खाओ और थूको। जैसे कोर्ट में तारीख पर तारीख होती है, वैसे ही आगरा में अधिकारी पर अधिकारी पर है। परिणाम ढाक के तीन पात हैं। हम बात कर रहे हैं कोरोनवायरस के संक्रमण की। अरे वही कोरोनावायरस जिससे पूरी दुनिया परेशान है। आगरा भले ही हर काम में पिछड़ा है, लेकिन  कोरोनावायरस के कारण पूरे उत्तर प्रदेश में टॉप पर है। यही है आगरा मॉडल, जिसकी देशभर में चर्चा हुई। यहां तक कि भारत सरकार ने भी सराहा था।
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आंकड़ों पर गौर कीजिए

आगरा में संक्रमितों की संख्या 752 है और 25 लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात यह है कि 325 मरीज स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। मई का महीन आगरा के लिए काल साबित हो रहा है। सर्वाधिक मौतें और संक्रमण के मामले मई के महीने में हुए हैं। चिकित्सक, पैरा मेडिकल स्टाफ, प्रबंधक, व्यापारी, दुकानदार, यूपी पुलिस के जवान, मां, बहन, पिता, भाई, व्यापारी कोई नहीं बचा, जिसे कोविड-19 ने आकर न घेरा हो। घर के घर संक्रमण से परेशान हैं। अनेक घरों पर ताले लगा दिए गए हैं बाहर से। लोग वीडियो वायरल करके गुहार लगा रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। एकांतवास स्थलों का बुरा हाल है। वहां रहने वाले लोग अपना दुखड़ा रो रहे हैं। उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार हो रहा है।
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अस्पतालों का हाल

महिला चिकित्सालय में प्रसूताओं का इलाज तब मिल रहा है जह वीडियो वायरल हो रहा है। हाल इतना खराब है कि अस्ताल के गेट नहीं खोले जा रहे हैं और सड़क पर ही प्रसव हो रहा है। एसएन मेडिकल कॉलेज से लाशें गायब हो रही हैं। वार्ड में ही लाशें पटक दी जाती हैं। जिला चिकित्सालय में इलाज नहीं। कहने को तो कोविड अस्पताल है, लेकिन वहां सुविधाएं नहीं। चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा हो रही है, लेकिन पीपीआई किट नहीं। क्या सरकारइथना भी नहीं जानती है कि कोरोना से बचाव पुष्पवर्षा से नहीं, पीपीई किट से होता है। आगरा शुक्रगुजार है स्वयंसेवी संस्थाओं का, जो पीपीई किट उपलब्ध करा रही हैं।
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फिर आ रहे अधिकारी

लखनऊ से एक अधिकारी को भेजा गया। कई दिन आगरा मे रहे। खूब बैठकें कीं। निर्देश पर निर्देश जारी किए, लेकिन समस्या वहीं की वहीं है। स्वास्थ्य विभाग से दो स्वास्थ्य अधिकारी भेजे। वे भी अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन असहाय हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा को लेकर चिन्ता में हैं। लगातार निर्देश जारी कर रहे हैं। आगरा में बैठे अधिकारी सुनें तब न। हारकर उन्हें पांच अधिकारियों की टीम भेजनी पड़ी है। आलोक कुमार, प्रमुख सचिव व नोडल अधिकारी आगरा, रजनीश दुबे प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा,   विजय प्रकाश आईजी आईपीएस, डॉ अविनाश कुमार सिंह विशेष कार्याधिकारी,  प्रो आलोक नाथ प्रोफेसर एसजीपीजीआई लखनऊ आज आ जाएंगे। कल मौसम खराब था, इसलिए आ नहीं पाए। देखते हैं ये क्या करने वाले है।

स्वास्थ्य विभाग

आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुकेश कुमार वत्स और अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ एके मित्तल पर गाज गिरी है। दोनों को हटा दिया गया है। सीएमओ डॉ. मुकेश कुमार वत्स को डीएम कार्यालय से और डॉ, मित्तल को आगरा कमिश्नर मुख्यालय से संबद्ध किया गया है। आगरा के नए सीएमओ डॉ आरसी पांडेय और  अपर निदेशक स्वास्अय आगरा मंडल डॉ अविनाश सिंह को बना दिया गया है। यही दोनों अधिकारी कई दिन से आगरा में हैं। अनेक पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र) और सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र) पर अधिकारी नहीं हैं। हैं तो वे जाते नहीं हैं। हर सरकारी चिकित्सक की जेब में कोई न कोई नेता रहता है। इसलिए कार्रवाई कुछ होती नहीं है। महीनेदारी की बात भी सामने आती है। जो समय पर महीनेदारी नहीं देता है, उसी पीचएसी और सीएचसी पर छापा पड़ जाता है। इसके बाद सैटिंग और गैटिंग।