लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज जनपद लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने सभी विभागों को सड़क सुरक्षा से संबंधित आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनपदीय सड़क सुरक्षा समितियां जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 05 जनवरी 2025 तक हर हाल में बैठक सम्पन्न कर लें। 06 से 10 जनवरी 2025 तक सभी स्कूलों-कॉलेजों में सड़क सुरक्षा नियमों से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। महाकुम्भ में बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए PRD व होमगार्डों की संख्या बढ़ाई जाए।
उन्होंने कहा, सड़क सुरक्षा माह सिर्फ लखनऊ तक सीमित न रहे, बल्कि इसे प्रदेश के सभी 75 जनपदों में सुचारु रूप से सम्पन्न कराया जाए। नाबालिग, ई-रिक्शा व अन्य वाहनों का संचालन न कर पाएं, इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई सुचारु रूप से की जाए। साथ ही कहा, प्रत्येक माह सभी जनपदों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा की बैठक हो, जिसमें पुलिस अधीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, RTO, PWD के अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी आदि उपस्थित रहें। हर तीसरे महीने जनपद स्तर पर हुए कार्यों का प्रगति मूल्यांकन शासन स्तर पर किया जाए। उन जनपदों व स्थलों को चिह्नित करें, जहां अधिक दुर्घटनाएं सम्भावित हैं। कारणों का पता लगाते हुए, इस समस्या के समाधान की कार्ययोजना बनाई जाए।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, सड़कों पर अनिवार्य रूप से साइनेज लगाए जाएं, जिससे लोगों को आवागमन में सहूलियत हो सके। ओवरलोडिंग कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी, इसे स्टार्टिंग प्वॉइंट पर ही रोका जाए। Expressway व Highway पर लोडेड वाहन भी खड़े रहते हैं, जो दुर्घटना का कारण बनते हैं। इन वाहनों को क्रेन के माध्यम से हटवाया जाए। हेलमेट, सीट बेल्ट तथा सड़क सुरक्षा के अन्य मानकों को अपनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को प्रेरित किया जाए।
किसी वाहन का बार-बार चालान होने पर लाइसेंस/परमिट निरस्तीकरण आदि की कार्रवाई की जानी चाहिए। इस कार्रवाई को अनिवार्य रूप से Fastag से जोड़ा जाए। सूचना, परिवहन व सड़क सुरक्षा से जुड़े विभागों द्वारा लोगों से ट्रैफिक नियमों के पालन की अपील करने वाली होर्डिंग लगाई जाएं। इसे सभी 75 जनपदों, 350 तहसीलों, 1500 थानों व सभी नगर निकायों के बाहर भी लगाया जाए। राहगीरों/आमजन को जागरूक किया जाए कि दुर्घटना को देखकर भागें नहीं, बल्कि घायलों को गोल्डेन ऑवर के अंदर समीप के हॉस्पिटल या ट्रॉमा सेंटर में पहुंचाएं। एम्बुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम न्यूनतम करें।
मुख्यमंत्री ने कहा, स्कूलों-कॉलेजों में रोड सेफ्टी क्लब की तर्ज पर प्रत्येक जनपद में रोड सेफ्टी पार्क बनाए जाएं। रोड सेफ्टी अवेयरनेस कार्यक्रमों से स्कूली बच्चों को जोड़ते हुए यातायात नियम से जुड़े विषयों पर नाटक, संगीत, कविता, निबन्ध, संगोष्ठी, भाषण, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएं कराई जाएं। परिवहन निगम की बसों के ड्राइवरों की नियमित स्वास्थ्य जांच अनिवार्य रूप से कराई जाए। बसों की फिटनेस का भी ध्यान रखा जाए।
उन्होंने आगे कहा, हर निकाय में वेंडिंग जोन बनाकर रेहड़ी-पटरी वालों को स्थापित किया जाए। सड़कों पर कहीं भी अवैध स्टैंड न लगे, उनके लिए स्पेस बनाया जाए। ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए बाइकों में से मोडिफाई साइलेंसर व हॉर्न को प्रतिबन्धित किया जाए। अवैध रूप से बसों का संचालन दुर्घटना का कारण बनता है। गैर-अनुबन्धित बसों का पंजीकरण कर, उन्हें निर्धारित रूट प्रदान किया जाए। इससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी, साथ ही आमजन को भी सुविधा मिलेगी।
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