राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, रजनीकांत, राजकुमार, धर्मेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती, सलमान खान, शाहरुख खान और सनी देओल जैसे दिग्गज सितारों के साथ फिल्में बना चुके दिग्गज निर्माता-निर्देशक के सी बोकाडिया ने अपने फिल्मी सफर के बीते 50 साल में ऐसी बेबसी नहीं झेली, जैसी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) के एक आदेश के चलते उन्हें अब भुगतनी पड़ रही है।
दो दिन पहले मुंबई आए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने उनके बनाए नए धारावाहिक ‘सरदार द गेम चेंजर’ की जमकर तारीफ की और इसे सप्ताह में एक दिन की बजाय दो दिन प्रसारित करने का भी सुझाव दिया। लेकिन, इसी मंत्रालय के अधीन आने वाले सेंसर बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने बोकाडिया को उनकी नई फिल्म को लेकर जो नोटिस भेजा है, उससे फिल्म जगत भी हैरान है।
पिछले पांच दशकों से हिंदी सिनेमा में सक्रिय फिल्म निर्माता-निर्देशक के सी बोकाडिया ने बीते साल के आखिर में अपनी नई फिल्म ‘तीसरी बेगम’ के सेंसर सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया। फिल्म को सेंसर बोर्ड की परीक्षण समिति (एक्जामिनिंग कमेटी) ने देखने के बाद इसे सेंसर सर्टिफिकेट देने से इसलिए इन्कार कर दिया कि ये फिल्म समाज में प्रचलित सामान्य और औचक घटनाओं को एक परंपरा के रूप में दिखाती है और इससे एक समुदाय विशेष के खिलाफ वैमनस्य फैलता है।
सेंसर बोर्ड ने बोकाडिया को 14 दिन का समय इस फिल्म को पुनरीक्षण समिति (रिवीजन कमेटी) के पास ले जाने का दिया और बोकाडिया ने इसके बाद फिल्म के सेंसर सर्टिफिकेट के लिए फिर से आवेदन किया।
अब सेंसर बोर्ड ने के सी बोकाडिया को इसी महीने 6 मार्च को एक पत्र भेजा है जिसमें फिल्म ‘तीसरी बेगम’ को केवल वयस्कों के लिए प्रमाणपत्र के साथ जारी करने की रिवीजन कमेटी से मिली संस्तुति का जिक्र करते हुए उनसे फिल्म में 14 स्थानों पर कट्स या बदलाव करने को कहा गया है। बोकाडिया बताते हैं, ‘इन कट्स में से मुझे सबसे ज्यादा आपत्ति उस बिंदु को लेकर है जिसमे फिल्म से ‘जय श्रीराम’ हटाने की बात कही गई है। राम हमारी आस्था के केंद्रबिंदु हैं और फिल्म में ये बात एक ऐसा किरदार कह रहा है जो खुद पर हमलावर हुए शख्स की शरण में है।’
रामचरित मानस के सुंदरकांड में विभीषण के अपनी शरण में आने के बाद भगवान राम के कथन पर, ‘शरणागत कहुं जे तजहिं निज अनहित अनुमानि। ते नर पांवर पाप सम तिन्हहिं बिलोकत हानि।।’ का उदाहरण देते हुए के सी बोकाडिया कहते हैं, ‘यदि कोई हमलावर किसी की जान लेने पर आमादा है और अपनी जान बचाने के लिए वह शख्स प्रभु श्रीराम के नाम का उच्चारण ले रहा हो तो उसे ‘जय श्रीराम’ कहने से भारत में तो शायद ही कोई रोकना चाहेगा।
फिल्म ‘तीसरी बेगम’ का ये संबंधित दृश्य भी ऐसा ही है जिसमें अपनी पहचान छुपाकर तीसरी शादी करने वाला शख्स फिल्म के उपसंहार में अपनी गलती मानता है और अपनी जान बचाने के लिए प्रभु श्री राम की दुहाई देता है। मैं मर जाऊंगा लेकिन अपनी फिल्म से ‘जय श्रीराम’ शब्द नहीं हटाऊंगा।’
के सी बोकाडिया ने सेंसर बोर्ड के सुझाए इस कट को मानने से इंकार कर दिया है और अपनी बात सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी तक भी पहुंचा दी है। बोकाडिया कहते हैं, ‘मैंने बीते 40 साल में 60 फिल्में बनाई हैं, लेकिन मुझे कभी सेंसर बोर्ड ने इस तरह परेशान नहीं किया। मैंने हाल ही में दूरदर्शन के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल पर एक साप्ताहिक धारावाहिक ‘सरदार द गेम चेंजर’ बनाया है जिसे देखने के बाद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसे हफ्ते में दो बार करने का सुझाव दिया है, लेकिन सेंसर बोर्ड मेरी एक सामयिक फिल्म को रिलीज नहीं होने दे रहा है। अगर मेरी फिल्म को ‘जय श्रीराम’ शब्दों के साथ रिलीज करने की अनुमति नहीं मिली तो मैं इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाऊंगा।’ इस बारे में और सेंसर बोर्ड की कार्यप्रणाली के बारे में बात करने के लिए सीईओ स्मिता वत्स शर्मा ने महीने के आखिर का समय दिया है।
-एजेंसी
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