बसपा सुप्रीमो मायावती ने मोदी सरकार के चुनाव से पहले के आखिरी बजट को धोखा बताया है। उनका कहना है कि पहले से ही देश की पूंजी कुछ लोगों के हाथों में सिमट गई है। सरकार ने बजट से उनके हाथ और ज्यादा मजबूत कर दिए हैं। आम जनता की जेब पूरी तरह से खाली है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट पेश करने के बाद मायावती एक्शन में आईं और सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश की। उनका कहना था कि इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं है। पिछले साल की कमियां सरकार नहीं बताती और नए वादों की फिर से झड़ी लगा देती है। जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दाव पर लगा रहता है जैसे पहले था। लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं,
लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?
बसपा सुप्रीमो का कहना है कि पिछले 9 सालों में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही। लेकिन वो सब बेमानी हो गए जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण लोअर मिडिल क्लास बन गया। उनका कहना था कि बजट सत्र के पहले दिन केंद्र की बातों में 100 करोड़ से अधिक जनता को राहत देने के लिए कुछ खास नहीं है। महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी से त्रस्त जनता की सान्त्वना व शान्ति के लिए इसमें बहुत ही कम चीजें हैं। लोग सुखी होंगे तभी देश बढ़ेगा।
मायावती ने कहा कि सरकार को याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं। उनके लिए बातें ज्यादा हैं। बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर। उनका कहना था कि सरकार की संकीर्ण नीतियों व गलत सोच का दुष्प्रभाव उन करोड़ों गरीबों किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं। ये लोग ही असली भारत हैं। सरकार उनके आत्म-सम्मान व आत्मनिर्भरता पर ध्यान दे ताकि आमजन की जेब भरे व देश विकसित हो।
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